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यूपी में सीटों की गिरावट पर बीजेपी की रिपोर्ट, केंद्रीय नेतृत्व से सुधार की मांग - BJP Report on Seats Decline in UP

लोकसभा चुनाव में उम्मीद के अनुकूल नतीजे नहीं आने को लेकर यूपी के भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने आलाकमान को 15 पेज की एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें हार की या कम सीटें आने की लगभग 10 मुख्य वजह बताएं गईं है. पार्टी सूत्रों की माने तो ये रिपोर्ट लगभग पचास हजार कार्यकर्ताओं से बात करने के बाद बनाई गई है. आइए और जानते हैं क्या मुख्य बातें हैं इस रिपोर्ट में. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

Bharatiya Janata Party
भारतीय जनता पार्टी (फोटो - ANI Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 18, 2024, 2:32 PM IST

नई दिल्ली: यूपी बीजेपी ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस 15 पेज की रिपोर्ट को लगभग पचास हजार कार्यकर्ताओं से बातचीत और फीडबैक के आधार पर तैयार किया गया है. लोकसभा चुनाव के बाद से ही यूपी में सियासी हलचल मची हुई है. इसी क्रम में पिछले दिनों यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की थी और पिछले दो दिनों से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी दिल्ली में पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की और परिणाम पर फीडबैक की रिपोर्ट दी.

हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतीं, जबकि 2019 में उसे पांच सीटें मिली थीं. हाल ही में हुए चुनाव में यूपी, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पार्टी की काफी सीटें घट गई हैं, मगर सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम भाजपा के लिए यूपी का रहा है और पार्टी इस पर लगातार मंथन कर रही है. बीजेपी इस साल लोकसभा चुनाव में यूपी में 62 सीटों से घटकर 33 सीटों पर ही सिमट गई है, जबकि सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतीं.

पार्टी के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम और काशी क्षेत्रों में पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया, जहां उसे 28 में से सिर्फ आठ सीटें मिलीं. ब्रज में उसे 13 में से 8 सीटें मिली. गोरखपुर क्षेत्र में पार्टी को 13 में से सिर्फ छह सीटें मिलीं, जबकि अवध में उसे 16 में से सिर्फ 7 सीटें मिलीं. कानपुर-बुंदेलखंड में बीजेपी अपनी मौजूदा सीटें वापस पाने में विफल रही, उसे 10 में से सिर्फ 4 सीटें मिली.

सूत्रों की माने तो यूपी बीजेपी की तरफ से तैयार इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के सभी 6 क्षेत्रों पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, गोरखपुर और काशी क्षेत्र में पार्टी के वोट शेयर में कम से कम 8 प्रतिशत की कमी आई है. सूत्रों के मुताबिक भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी के करीब 50 हजार कार्यकर्ताओं से बात कर ये रिपोर्ट तैयार की है. 15 पन्नों की रिपोर्ट में हार के 10 मुख्य कारण गिनाए गए हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं.

  1. सबसे पहली वजह इसमें ये बताया गया है कि युवा वर्ग राज्य में बीते 6 साल से लगातार सरकारी नौकरियों में पेपर लीक होने से खासा मायूस है. यानी पेपर लीक के मुद्दे से पार्टी को लोकसभा चुनाव में काफी नुकसान हुआ है, इससे युवा वोटर पार्टी से दूर हुए हैं.
  2. राज्य सरकार की नौकरियों में संविदा कर्मियों की भर्ती के लिए सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता दिया जाना भी एक वजह बताई गई है, जिससे पार्टी के SC-ST और ओबीसी वोटों में कमी आई है.
  3. तीसरी वजह में राज्य सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं में असंतोष भी कम सीटों के मामले में मुख्य वजह बनी. चौंकाने वाली बात ये है कि इस रिपोर्ट में ये भी इशारा किया गया है कि राज्य में अधिकारी सरकार चला रहे हैं और मंत्री मजबूर हैं.
  4. थौथी बड़ी वजह, प्रदेश अध्यक्ष की रिपोर्ट में राज्य के अधिकारियों और प्रशासन पर मनमानी करने का आरोप भी लगाया गया है.
  5. पांचवीं वजह में राजपूत समाज की नाराजगी भी हार के कारणों में से एक बताई गई है. जिसमे भाजपा के एक बड़े नेता का राजपूत समाज के प्रति दिया गया बयान और अनर्गल बयानबाजी भी बताया गया है.
  6. पार्टी नेताओं के संविधान बदलने वाले बयानों ने भी यूपी में नुकसान पहुंचाया है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को पूरे चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया. साथ ही लंबी चुनावी प्रक्रिया और टिकट वितरण को भी वजह बताया गया है. 6 और 7वें चरण की वोटिंग तक कार्यकर्ताओं का जोश कम हो गया, जिससे पार्टी के वोट कम हो गए.
  7. पार्टी की रिपोर्ट में अग्निवीर योजना को भी काम सीटों के पीछे एक बड़ा मुद्दा माना गया है.
  8. सरकारी अधिकारियों में पुरानी पेंशन स्कीम के मुद्दे ने भी मतदाताओं और सरकारी कर्मचारियों पर असर डाला.
  9. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निचले स्तर पर चुनावी अधिकारियों ने BJP के कोर वोटर्स के बड़ी संख्या में नाम काट दिए और कई जगह ऐसा 20 से 40 हजार मतदाताओं के साथ हुआ.
  10. इस रिपोर्ट में कहा गया हैं पार्टी को समय रहते इन सभी कारणों को ठीक कर लेना चाहिए. साथ ही सरकारी अधिकारियों और प्रशासन में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए.

हालांकि सूत्रों की माने तो पार्टी के राज्य अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने राज्य में कम सीटें आने की जिम्मेदारी भी अपने सर ली है, लेकिन जिस तरह राज्य में सरकार और संगठन बिखराव और बगावत दिख रहा है, उससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा आने वाले दिनों में पार्टी में बड़े बदलाव कर सकती है.

नई दिल्ली: यूपी बीजेपी ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस 15 पेज की रिपोर्ट को लगभग पचास हजार कार्यकर्ताओं से बातचीत और फीडबैक के आधार पर तैयार किया गया है. लोकसभा चुनाव के बाद से ही यूपी में सियासी हलचल मची हुई है. इसी क्रम में पिछले दिनों यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की थी और पिछले दो दिनों से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी दिल्ली में पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की और परिणाम पर फीडबैक की रिपोर्ट दी.

हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतीं, जबकि 2019 में उसे पांच सीटें मिली थीं. हाल ही में हुए चुनाव में यूपी, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पार्टी की काफी सीटें घट गई हैं, मगर सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम भाजपा के लिए यूपी का रहा है और पार्टी इस पर लगातार मंथन कर रही है. बीजेपी इस साल लोकसभा चुनाव में यूपी में 62 सीटों से घटकर 33 सीटों पर ही सिमट गई है, जबकि सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतीं.

पार्टी के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम और काशी क्षेत्रों में पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया, जहां उसे 28 में से सिर्फ आठ सीटें मिलीं. ब्रज में उसे 13 में से 8 सीटें मिली. गोरखपुर क्षेत्र में पार्टी को 13 में से सिर्फ छह सीटें मिलीं, जबकि अवध में उसे 16 में से सिर्फ 7 सीटें मिलीं. कानपुर-बुंदेलखंड में बीजेपी अपनी मौजूदा सीटें वापस पाने में विफल रही, उसे 10 में से सिर्फ 4 सीटें मिली.

सूत्रों की माने तो यूपी बीजेपी की तरफ से तैयार इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के सभी 6 क्षेत्रों पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, गोरखपुर और काशी क्षेत्र में पार्टी के वोट शेयर में कम से कम 8 प्रतिशत की कमी आई है. सूत्रों के मुताबिक भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी के करीब 50 हजार कार्यकर्ताओं से बात कर ये रिपोर्ट तैयार की है. 15 पन्नों की रिपोर्ट में हार के 10 मुख्य कारण गिनाए गए हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं.

  1. सबसे पहली वजह इसमें ये बताया गया है कि युवा वर्ग राज्य में बीते 6 साल से लगातार सरकारी नौकरियों में पेपर लीक होने से खासा मायूस है. यानी पेपर लीक के मुद्दे से पार्टी को लोकसभा चुनाव में काफी नुकसान हुआ है, इससे युवा वोटर पार्टी से दूर हुए हैं.
  2. राज्य सरकार की नौकरियों में संविदा कर्मियों की भर्ती के लिए सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता दिया जाना भी एक वजह बताई गई है, जिससे पार्टी के SC-ST और ओबीसी वोटों में कमी आई है.
  3. तीसरी वजह में राज्य सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं में असंतोष भी कम सीटों के मामले में मुख्य वजह बनी. चौंकाने वाली बात ये है कि इस रिपोर्ट में ये भी इशारा किया गया है कि राज्य में अधिकारी सरकार चला रहे हैं और मंत्री मजबूर हैं.
  4. थौथी बड़ी वजह, प्रदेश अध्यक्ष की रिपोर्ट में राज्य के अधिकारियों और प्रशासन पर मनमानी करने का आरोप भी लगाया गया है.
  5. पांचवीं वजह में राजपूत समाज की नाराजगी भी हार के कारणों में से एक बताई गई है. जिसमे भाजपा के एक बड़े नेता का राजपूत समाज के प्रति दिया गया बयान और अनर्गल बयानबाजी भी बताया गया है.
  6. पार्टी नेताओं के संविधान बदलने वाले बयानों ने भी यूपी में नुकसान पहुंचाया है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को पूरे चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया. साथ ही लंबी चुनावी प्रक्रिया और टिकट वितरण को भी वजह बताया गया है. 6 और 7वें चरण की वोटिंग तक कार्यकर्ताओं का जोश कम हो गया, जिससे पार्टी के वोट कम हो गए.
  7. पार्टी की रिपोर्ट में अग्निवीर योजना को भी काम सीटों के पीछे एक बड़ा मुद्दा माना गया है.
  8. सरकारी अधिकारियों में पुरानी पेंशन स्कीम के मुद्दे ने भी मतदाताओं और सरकारी कर्मचारियों पर असर डाला.
  9. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निचले स्तर पर चुनावी अधिकारियों ने BJP के कोर वोटर्स के बड़ी संख्या में नाम काट दिए और कई जगह ऐसा 20 से 40 हजार मतदाताओं के साथ हुआ.
  10. इस रिपोर्ट में कहा गया हैं पार्टी को समय रहते इन सभी कारणों को ठीक कर लेना चाहिए. साथ ही सरकारी अधिकारियों और प्रशासन में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए.

हालांकि सूत्रों की माने तो पार्टी के राज्य अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने राज्य में कम सीटें आने की जिम्मेदारी भी अपने सर ली है, लेकिन जिस तरह राज्य में सरकार और संगठन बिखराव और बगावत दिख रहा है, उससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा आने वाले दिनों में पार्टी में बड़े बदलाव कर सकती है.

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