नई दिल्ली : भाजपा ने शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के फैसले में हस्तक्षेफ करने से इनकरा कर दिया था. एकल पीठ ने लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाला कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया था.
अधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाश पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया. वकील ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने भाजपा को लोकसभा चुनाव के दौरान चार जून तक विज्ञापन जारी करने से रोक दिया है. शीर्ष अदालत को बताया गया कि हाई कोर्ट की एकल खंडपीठ ने 22 मई को आदेश पारित किया. इस पर वकील ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की. तब पीठ ने पूछा कि आप अगली अवकाश पीठ का रुख क्यों नहीं करते? इसी क्रम में वकील ने पीठ से मामले पर सोमवार (27 मई) को सुनवाई करने का आग्रह किया. तब शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले की लिस्टिंग पर गौर करेगी.
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के 20 मई के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि भाजपा अपने आदेश की समीक्षा के लिए एकल न्यायाधीश के पास जा सकती है. हाई कोर्ट ने कहा था कि लक्ष्मण रेखा का पालन किया जाना चाहिए और किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई व्यक्तिगत हमला नहीं होना चाहिए. भाजपा ने एकल न्यायाधीश के आदेश को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी और दावा किया कि एकल न्यायाधीश ने बिना कोई सुनवाई किए आदेश पारित कर दिया. भाजपा ने एकल न्यायाधीश के आदेश को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी और दावा किया कि एकल न्यायाधीश ने बिना कोई सुनवाई किए आदेश पारित कर दिया.
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