चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस अपना बिगुल बजा चुकी हैं. दोनों दलों ने अपने तरकश के तीरों को सहेजना शुरू कर दिया है, ताकि वक्त के हिसाब से दिनों दल अपने अपने तीरों का इस्तेमाल कर सकें. विधानसभा चुनाव को धार देने के लिए बीजेपी रोहतक से चंडीगढ़ तक बैठक कर चुकी है. वहीं कांग्रेस भी लगातार जनता के दरबार में हाजिरी दे रही है. यानी दोनों दल चुनाव जीत के लिए किसी भी तरह की कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते.
सीएम फेस के साथ चुनाव लड़ेगी बीजेपी: हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी सीएम चेहरे के साथ उतरेगी. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस बात को बोल चुके हैं. उन्होंने कहा था कि बीजेपी हरियाणा में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. इस बार उन्हें किसी के सहयोग की जरूरत नहीं. अमित शाह ने कहा कि नायब सैनी ही हरियाणा के सीएम होंगे. जिसके बाद बीजेपी ने हरियाणा की सभी 90 सीटों में 60 विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. यानी चुनाव में बीजेपी सीएम फेस के साथ जाएगी.
कांग्रेस घोषित नहीं करेगी सीएम फेस: बीजेपी भले ही सीएम फेस साथ चुनावी मैदान में जा रही हो, लेकिन कांग्रेस हरियाणा में ऐसा नहीं करेगी. पार्टी बिना चेहरे के ही बीजेपी को चुनावी पटखनी देने की तैयारी में है. कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया बीजेपी के साठ सीटें जीतने के दावे पर चुटकी लेकर कह चुके हैं कि बीजेपी लोकसभा में 400 सीट का दावा कर रही थी, लेकिन जीती सिर्फ 240 और पिछली बार विधानसभा चुनाव में 75 पर का नारा दिया जीती चालीस. इस बार बीजेपी 60 सीटों की बात कर रही है, ये जुमलेबाजों की पार्टी है.
बीजेपी फेस और कांग्रेस के बिना फेस के चुनावी मैदान में उतरने के क्या हैं मायने? इस मामले पर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि दोनों पार्टी के लिए ये फैसला सही दिखाई देता है. बीजेपी ने नायब सैनी को सीएम चेहरे के तौर पर घोषित कर दिया है. अमित शाह कह चुके हैं कि नायब सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. मतलब साफ है कि बीजेपी पिछले समय से जो नॉन जाट की राजनीति कर रही है. वही उसकी चुनाव की बॉटम लाइन है. उसी पर ही वो पूरी तरह फोकस करने वाली है. बीजेपी मान चुकी है कि जाट वोट उसके पक्ष में नहीं आने वाला है.
जातीय समीकरण भी होगा अहम: धीरेंद्र ने कहा कि बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले सोच रही थी कि जाट वोट में विभाजन होगा. लेकिन जाट वोट ने मन बना लिया है कि वो वोट को विभाजित नहीं होने देंगे, जाट वोट बैंक पूरे तरीके से कांग्रेस के पाले में गया है. उसके बाद बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति को स्पष्ट कर दिया है कि वो ओबीसी के तीस फीसदी वोट बैंक के साथ हरियाणा में करीब 75 फीसद नॉन जाट वोट बैंक को केंद्रित करेगी. नॉन जाट वोट बैंक पर हरियाणा में बीजेपी का फोकस 2014 से ही है. बीजेपी के लिए ये फायदेमंद है.
कांग्रेस को फायदा या नुकसान? कांग्रेस को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिना सीएम फेस चुनाव में जाएगी. चुनाव के बाद विधायक अपना नेता तय करेंगे. इस रणनीति के पीछे कांग्रेस का भी अपना फायदा है. कांग्रेस नहीं चाहती कि सीएम फेस को लेकर पार्टी के अंदर कोई विरोधाभास हो. हरियाणा में जो पार्टी के दिग्गज हैं. उनमें किसी तरह की असहमति या असंतुलन पैदा होना चाहिए. जिसका उसको चुनाव में नुकसान हो.
कलह से बचना चाहेगी कांग्रेस: ये कांग्रेस के लिए सही है कि चुनाव जीतने के बाद विधायक तय करें कि उसका नेता कौन होगा. पार्टी इस फैसले से पार्टी नेताओं में कोई विरोधाभास या असहमति नहीं बनने देना चाहती है. पार्टी जानती है कि इस तरह के फैसले से उसे विधानसभा चुनाव में नुकसान होगा. सामान्यता कांग्रेस में ये परंपरा है कि वो चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित नहीं करती है, और कांग्रेस की ये लाइन उसके लिए फायदेमंद है.