नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी और बीजेडी के बीच लोकसभा और विधानसभा चुनाव में साथ-साथ चुनाव लड़ने को लेकर तालमेल लगभग हो चुका है. हाल ही में प्रधानमंत्री की ओडिशा यात्रा के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी ने इस बात का ऐलान कर दिया था. मगर इंतजार आधिकारिक घोषणा की है. वैसे तो दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की बात की शुरुआत तभी आने लगीं थी, जब केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव को राज्यसभा के चुनाव में बीजेडी ने समर्थन किया था.
लेकिन तब कुछ स्थानीय नेताओं के बीच तालमेल नहीं बन पाने के कारण दोनों ही पार्टियां असमंजस में थी. मगर सूत्रों की माने तो बुधवार देर रात तक चली बैठक में दोनों ही पार्टियों के गठबंधन की रूपरेखा तय कर दी गई है. हालांकि पार्टी सूत्रों के अनुसार लगभग एक हफ्ते पहले ही भाजपा और बीजेडी के बड़े नेताओं में गठबंधन को लेकर बात काफी आगे तक हो चुकी है और पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा 13/14 और बीजेडी 7/8 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है.
जबकि विधानसभा में बीजेडी 95/100 और भाजपा 46/52 सीटों पर लड़ सकती है. फॉर्मूला ये तय किया गया है कि लोकसभा में ज्यादा सीटें बीजेपी को दी जाएं और विधानसभा में ज्यादा बीजेपी को, यही नहीं विधानसभा में सीटें भी तय करने में बीजेडी ही पहल करेगी और उनकी सीटों के अलावा ही बीजेपी को सीट दी जाए. पार्टी सूत्रों की माने तो बीजेपी एक दो दिन में आधिकारिक घोषणा गठबंधन की कर सकती है.
यहां तक की पार्टी राज्य में प्रचार प्रसार को लेकर भी जो रूपरेखा तैयार कर रही है, उसके अनुसार ओडिशा में पार्टी प्रचार-प्रसार में इतनी ही प्रमुखता बीजेडी के नेता नवीन पटनायक को भी देगी, जितना प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांगा जाएगा, क्योंकि यदि देखा जाए तो ओडिशा में सालों से बीजेडी का शासन है, इसका श्रेय भी राज्य में बीजेडी को दिया जाता रहा है.
खासतौर पर नवीन पटनायक की लोकप्रियता का ग्राफ भी ठीक ठाक माना जाता रहा है और बीजेपी चुनाव में इसका पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहती है. यही नहीं बीजेडी संसद में भी गाहे बगाहे बिल पास करवाने में मोदी सरकार की मदद करती रही है और पहले से ही दोनों पार्टियां समय-समय पर एक दूसरे के साथ और समर्थन भी देती नजर आईं हैं.