रांची: बिरसा मुंडा चिड़ियाघर की शान रही शेरनी जया की दहाड़ अब कभी नहीं सुनाई देगी. जू के डॉक्टर ओम प्रकाश साहू के अनुसार शेरनी जया किडनी रोग से ग्रसित थी. उसका इलाज पिछले 22 दिनों से रांची वेटनरी कॉलेज के डॉक्टरों की देखरेख में चल रहा था. जहां बीते कल उसकी मौत हो गई.
गुजरात के जूनागढ़ से रांची लायी गयी थी जया
बिरसा मुंडा जू के चिकित्सक डॉ ओमप्रकाश साहू के अनुसार शेरनी जया को एक्सचेंज पॉलिसी के तहत 2019 में गुजरात के जूनागढ़ से रांची लाया गया था. जया के बदले में बिरसा मुंडा जू से एक जोड़ा 'लैपर्ड कैट' और एक बैंडेड करैत सांप जूनागढ़ जू को दिया गया था.
जू में बचे हैं मात्र एक जोड़ी शेर
डॉ ओमप्रकाश साहू ने बताया कि गुजरात में एक रेस्क्यू के बाद शेरनी जया को जूनागढ़ जू को सौंपा गया था. इसलिए उसके वास्तविक उम्र की सही जानकारी नहीं है, लेकिन यह अनुमान है कि वह उस समय 14-15 वर्ष की हो चुकी थी. डॉ ओमप्रकाश साहू ने बताया कि वह बिरसा मुंडा जू में कभी कंसीव नहीं की और न कभी मां बनी. उसके जोड़ीदार नर शेर की भी मौत पिछले वर्ष ही हो गयी थी. शेरनी जया की मौत के बाद बिरसा मुंडा जू में अब एक नर शेर शशांक और एक शेरनी प्रियंका बची है.
गुजरात से शेर-शेरनी को रांची लाने की प्रक्रिया शुरू: डॉ ओमप्रकाश
बिरसा मुंडा जू के चिकिसक डॉ ओमप्रकाश साहू ने बताया कि एक्सचेंज पॉलिसी के तहत एक जोड़ी लकड़बघ्घा और एक जोड़ी भालू के बदले में गुजरात से एक जोड़ी शेर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है.
पोस्टमार्टम के बाद जया का अंतिम संस्कार
मिली जानकारी के अनुसार मृत शेरनी जया के अंतिम संस्कार से पहले बिरसा मुंडा जू में रांची वेटनरी कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा पोस्टमार्टम कराया गया. डॉ ओमप्रकाश ने बताया कि पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार के वक्त चिकित्सकों के साथ-साथ वन विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे. उसके सैंपल को उच्चतर संस्थान भेजा जाएगा.
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