अररिया : बिहार भी गजब है! बिहार के सरकारी विभाग ने एक ऐसा पुल तैयार किया है जिसका पता अगर नासा वालों को लग जाए तो वो सेटेलाइट लेकर ढूंढने चले आएंगे. दरअसल इस पुल के दाएं और बाएं, आगे या पीछे कोई सड़क नहीं है और न ही उस पुल के नीचे नदी या नाला बहता नजर आपको आएगा. टेक्नोलॉजी को भी गच्चा देने वाला ये पुल बनाने का कारनामा बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग ने कर दिखाया है. यह विभाग इतना तेज काम कर रहा है कि लगता है चंद सालों में प्रदेश के पूरे खेतों में पुल ही पुल नजर आएंगे.
फिर 'पुल' से लपेटे में सरकार : परमानपुर पंचायत के सीधे-साधे गांव वाले विकास की इस रफ्तार से हैरान हैं. सूचना मिलते ही अररिया की डीएम इनायत खान को भी इस पुल के बारे में जानने की इच्छा हुई है. लिहाजा उन्होंने इसे ढूंढने के लिए अफसरों की फौज मौके पर जांच के लिए भेजी है. सवाल ये है कि आखिर कौन है जिसने खेत में लाखों का पक्का पुल तैयार करवाया? क्यों करवाया? जब यह पुल बन रहा था तो जिम्मेदार कहां थे?
'संवेदक और ग्रामीण कार्य विभाग की मिलीभगत' : इस पुल का निर्माण जिले के रानीगंज प्रखंड के परमानपुर पंचायत के वार्ड नंबर 6 में बीच बहियार में हुआ है. गांव वालों का कहना है कि यह पुल निजी जमीन पर बना दिया गया है. संवेदक और ग्रामीण कार्य विभाग ने पुल को खेत में खड़ा कर लावारिस छोड़ दिया है जिसकी कोई उपयोगिता नहीं दिख रही है क्योंकि पुल के दोनों सिरे पर कोई सड़क या रोड नहीं है.
'खेत में बनाया पुल' : गांव वालों ने बताया कि जहां पर पुल बना है वहां पर कोई नदी या नाला नहीं बहता है. बल्कि नदी पुल से कुछ दूरी पर है. बिचौलियों की मिलीभगत से उस जमीन पर पुल खड़ा कर दिया गया और दोनों किनारों को अप्रोच से भी नहीं जोड़ा गया है. ग्रामीणों ने आगे बताया कि जहां पर पुल खड़ा है उसके बाद 500 एकड़ जमीन उनकी है.
''खेत में पुल बना दिया गया है. नदी यहां से दूरी पर है. पुल को रोड से भी नहीं जोड़ा है. हम लोग खुश थे कि पुल बन रहा है लेकिन यह किसी काम का नहींं है. पुल को टेढ़ा-मेढ़ा भी बना दिया है.''- जोगेन्द्र मंडल, ग्रामीण
डीएम ने मांगी रिपोर्ट : हालांकि मामला उजागर होने के बाद अररिया की डीएण इनायत खान ने पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया है. ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है. डीएम ने बताया कि जहां पर पुल बना है वहां पर लगभग 3 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग का निर्माण किया जाना है. उसके अलायमेंट को भी चेक करवा रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार सड़क और पुल के निर्माण में लगभग तीन करोड़ की राशि का खर्च किया जाना है.
'बिना नदी वाला पुल' : एक ओर जहां बिहार में पुल बारिश में धड़ाधड़ गिर रहे हैं वहीं दूसरी ओर खेत में बना ये पुल किसी चमत्कार से कम नहीं है. बिहार में कई ऐसे इलाके हैं जहां लोग पुल न होने की वजह से लोग चचरी पुल बनाकर आवागमन कर रहे हैं और यहां पर ग्रामीण कार्य विभाग खेत में पुल खड़ाकर रोड बनाना भी भूल जा रहा है. गांव वालों के साथ अब ये पुल भी न्याय के लिए धरने पर है. सड़क आज न कल बन जाएगी, नदी लाने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग को काफी गंगा बहाना पड़ेगा.
पुलों ने सरकार को दिया टेंशन : बिहार सरकार के लिए पुल किसी टेंशन से कम नहीं है. अररिया का पुल तो काफी खास है. वैसे भी डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने अपने विभाग को लेकर कोताही बर्दाश्त नहीं करने का फरमान भी सुनाया है. तो ऐसे में क्या मान लें कि इस मसले में ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारी खेत में पुल बनाने वालों के ऊपर कोई एक्शन लेंगे? इस पुल को बनाने में अगर कोई लापरवाही हुई है तो फिर नकेल कसनी जरूरी है.
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