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आज घट रही है वोटिंग, क्या आप जानते हैं 1971 में इस सांसद को मिले थे 73% वोट - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Bihar Record holding MP : बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव के पांच चरणों की वोटिंग समाप्त हो चुकी है. हर चरण में वोटिंग का प्रतिशत घटता हुआ दिखाई दे रहा है. यह गिरावट हमारे लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है. वोटिंग का कम प्रतिशत लोकतंत्र की मजबूती पर सवाल खड़े करता है. लेकिन, आपको पता है कि 1971 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के दो-दो उम्मीदवारों को 70 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे. पढ़ें, विस्तार से.

कमलनाथ तिवारी
कमलनाथ तिवारी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 24, 2024, 8:16 PM IST

बिहार के रिकार्डधारी सांसद. (ETV Bharat)

पटना: बेतिया लोकसभा क्षेत्र जो अब पश्चिम चंपारण के नाम से जाना जाता है, यहां से 1971 में कांग्रेस के कमलनाथ तिवारी ने करीब 73% वोट लाकर जीत का रिकॉर्ड बनाया था. उनका यह रिकॉर्ड आज भी नहीं टूटा है. बिहार में 50 साल से यह रिकॉर्ड कायम है. बेतिया के अलावा बगहा लोकसभा सीट जिसे अब बाल्मीकिनगर कहा जाता है, वहां से भी 1971 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भोला राउत ने 70.99% वोट लाया था.

तीसरी बार में बनाया था रिकॉर्डः कमलनाथ तिवारी 1962 और 1967 में भी बेतिया से लोकसभा का चुनाव जीता था. 1971 में वह तीसरी बार इस सीट से चुने गए थे. 1971 के लोकसभा चुनाव में बेतिया में 2 लाख 663 वोट पड़े थे. उसमें से 1 लाख 45 हजार 965 वोट कमलनाथ तिवारी को मिला जो 72.70% कुल वोट का था. 27% वोट में विपक्ष के अन्य नेताओं को हिस्सेदारी मिली थी. मोदी लहर में 2014 में इस सीट पर संजय जायसवाल ने जीत हासिल की उन्हें केवल 43% वोट मिला था. 2019 में भी संजय जायसवाल को केवल 59.60 प्रतिशत ही वोट मिला.

मोदी लहर में भी नहीं टूटा रिकॉर्डः बेतिया के अलावा बगहा लोकसभा सीट जिसे अब बाल्मीकि नगर कहा जाता है, 1971 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भोला राउत को 70.99% वोट मिला था. यहां कुल 1 लाख 96 हजार 690 वोट डाले गये थे. इनमें से 1 लाख 49 हजार 634 वोट भोला राउत को मिला था. बेतिया और बगहा दोनों लोकसभा सीट ऐसी है जहां 1971 के चुनाव में कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों ने 70% से अधिक वोट लेकर रिकॉर्ड बनाया था. जिसे 50 साल बाद भी यहां तक की इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में जो कांग्रेस के पक्ष में लहर थी या फिर 2014 और 2019 में मोदी लहर में भी नहीं टूट सका है.

ETV GFX.
ETV GFX. (ETV Bharat)

लैंड सीलिंग एक्ट का किया था विरोधः वरिष्ठ पत्रकार रवि अटल का कहना है कमलनाथ तिवारी का कद एक समय काफी बढ़ गया था. उन्होंने लैंड सीलिंग एक्ट का संसद में विरोध किया था. इसके अलावे भी कई मौके पर कमलनाथ तिवारी ने इंदिरा गांधी का विरोध किया था, लेकिन उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता समीर कुमार सिंह का कहना है पार्टी में कई दिग्गज नेता रहे हैं जिन्हें जनता अपने क्षेत्र में बहुत प्यार करती रही. कांग्रेस के कई दिग्गज स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी बड़ी भूमिका निभाये थे, जेल में भी रहे और जनता के लिए ही जिए. कमलनाथ तिवारी उसी में से एक थे. इसलिए लगातार चुनाव जीतते भी रहे.

नेताओं का जनता से होता था जुड़ावः बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रेम रंजन पटेल का कहना है पहले के नेताओं का जनता से जुड़ाव और लगाव होता था. बेतिया के सांसद कमलनाथ तिवारी स्वतंत्रता सेनानी थे, तीन बार सांसद चुने गए. दो बार सांसद रहने के बाद भी एंटी इनकंबेंसी उनके खिलाफ काम नहीं किया और तीसरी बार उन्होंने रिकॉर्ड बनाया. 1971 में कमलनाथ तिवारी के नाम 70% से अधिक का रिकॉर्ड है जो अद्भुत है. अब तो वोटिंग भी कम होता है और उस तरह के नेता भी नहीं है. हालांकि ट्रेंड बदल रहा है, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो सरकार है पहली बार 50% से अधिक वोट मिला है.

"सब कुछ वोटिंग पर ही तय होता है. यदि 10-12% ही वोटिंग हो तो जीत हार भी उसी में तय होगा. कम वोटिंग चिंता की बात जरूर है और इस पर सभी दलों के साथ चुनाव आयोग को भी गंभीरता से प्रयास करना होगा. जो पुराने रिकॉर्ड हैं, उसे भी उदाहरण के तौर पर जनता के बीच रखना होगा."- प्रेम रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक

पांच सांसदों को 60 फीसदी से अधिक वोटः लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार से भाजपा के पांच ऐसे सांसद हुए जिन्हें 60 प्रतिशत से अधिक वोट मिले. मुजफ्फरपुर से अजय निषाद को सर्वाधिक 63.03 प्रतिशत वोट मिला था. पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद को 61.85, मधुबनी से अशोक कुमार यादव को 61.83, दरभंगा से गोपालजी ठाकुर को 60.74 और शिवहर से रमा देवी को 60.59 प्रतिशत वोट मिले था. 40 लोकसभा सीटों में 29 सीटें ऐसी हैं, जहां विजयी प्रत्याशी को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे. इनमें भाजपा के सर्वाधिक 14, जदयू के 10 और लोजपा के 5 सांसद शामिल हैं. किशनगंज से कांग्रेस से जीतने वाले एकमात्र सांसद को मात्र 33 प्रतिशत वोट मिला था.

"वोटिंग ट्रेंड बदल रहा है. 50 से 60% अब वोट ही होता है. जितना वोट मिलेगा, उसी में जीत हार का फैसला होना है. जितने उम्मीदवार होंगे उसी के हिसाब से जो वोट मिलेगा उसका परसेंटेज निकलेगा. जरूरी है कि जो व्यवस्था है उसमें और सुधार हो. चुनाव में लोगों की भूमिका और बढ़े और अधिक वोटिंग हो."- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता

बिना सांसद के तीन साल रहा बेतियाः कांग्रेस के कमलनाथ तिवारी ने करीब 73% वोट लाने का रिकॉर्ड तो बनाया ही था. साथ ही बेतिया लोकसभा सीट पर तीन वर्षों तक बिना सांसद के रहने का भी अनचाहा रिकॉर्ड है. यह 1974 से 1977 के बीच का समय है. दरअसल 1971 के आम चुनाव में बेतिया सीट से कांग्रेस के कमलनाथ तिवारी सांसद चुने गए थे. 17 जनवरी, 1974 को 67 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था. उस वक्त देश में इमरजेंसी लगी थी. इमरजेंसी लगने के कारण उपचुनाव नहीं हो सका और बेतिया की जनता बिना सांसद के ही 3 साल तक रह गयी. 1977 में जब चुनाव हुआ तब वहां से भारतीय लोक दल से फजलुर्रहमान विजयी हुए थे.

इसे भी पढ़ेंः पटना में जेपी नड्डा ने कम मतदान को लेकर BJP चुनाव प्रबंधन कमेटी के साथ की बैठक, प्रदेश नेतृत्व को दिया टास्क - Low Voting In Bihar

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बिहार के रिकार्डधारी सांसद. (ETV Bharat)

पटना: बेतिया लोकसभा क्षेत्र जो अब पश्चिम चंपारण के नाम से जाना जाता है, यहां से 1971 में कांग्रेस के कमलनाथ तिवारी ने करीब 73% वोट लाकर जीत का रिकॉर्ड बनाया था. उनका यह रिकॉर्ड आज भी नहीं टूटा है. बिहार में 50 साल से यह रिकॉर्ड कायम है. बेतिया के अलावा बगहा लोकसभा सीट जिसे अब बाल्मीकिनगर कहा जाता है, वहां से भी 1971 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भोला राउत ने 70.99% वोट लाया था.

तीसरी बार में बनाया था रिकॉर्डः कमलनाथ तिवारी 1962 और 1967 में भी बेतिया से लोकसभा का चुनाव जीता था. 1971 में वह तीसरी बार इस सीट से चुने गए थे. 1971 के लोकसभा चुनाव में बेतिया में 2 लाख 663 वोट पड़े थे. उसमें से 1 लाख 45 हजार 965 वोट कमलनाथ तिवारी को मिला जो 72.70% कुल वोट का था. 27% वोट में विपक्ष के अन्य नेताओं को हिस्सेदारी मिली थी. मोदी लहर में 2014 में इस सीट पर संजय जायसवाल ने जीत हासिल की उन्हें केवल 43% वोट मिला था. 2019 में भी संजय जायसवाल को केवल 59.60 प्रतिशत ही वोट मिला.

मोदी लहर में भी नहीं टूटा रिकॉर्डः बेतिया के अलावा बगहा लोकसभा सीट जिसे अब बाल्मीकि नगर कहा जाता है, 1971 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी भोला राउत को 70.99% वोट मिला था. यहां कुल 1 लाख 96 हजार 690 वोट डाले गये थे. इनमें से 1 लाख 49 हजार 634 वोट भोला राउत को मिला था. बेतिया और बगहा दोनों लोकसभा सीट ऐसी है जहां 1971 के चुनाव में कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों ने 70% से अधिक वोट लेकर रिकॉर्ड बनाया था. जिसे 50 साल बाद भी यहां तक की इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में जो कांग्रेस के पक्ष में लहर थी या फिर 2014 और 2019 में मोदी लहर में भी नहीं टूट सका है.

ETV GFX.
ETV GFX. (ETV Bharat)

लैंड सीलिंग एक्ट का किया था विरोधः वरिष्ठ पत्रकार रवि अटल का कहना है कमलनाथ तिवारी का कद एक समय काफी बढ़ गया था. उन्होंने लैंड सीलिंग एक्ट का संसद में विरोध किया था. इसके अलावे भी कई मौके पर कमलनाथ तिवारी ने इंदिरा गांधी का विरोध किया था, लेकिन उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता समीर कुमार सिंह का कहना है पार्टी में कई दिग्गज नेता रहे हैं जिन्हें जनता अपने क्षेत्र में बहुत प्यार करती रही. कांग्रेस के कई दिग्गज स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी बड़ी भूमिका निभाये थे, जेल में भी रहे और जनता के लिए ही जिए. कमलनाथ तिवारी उसी में से एक थे. इसलिए लगातार चुनाव जीतते भी रहे.

नेताओं का जनता से होता था जुड़ावः बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रेम रंजन पटेल का कहना है पहले के नेताओं का जनता से जुड़ाव और लगाव होता था. बेतिया के सांसद कमलनाथ तिवारी स्वतंत्रता सेनानी थे, तीन बार सांसद चुने गए. दो बार सांसद रहने के बाद भी एंटी इनकंबेंसी उनके खिलाफ काम नहीं किया और तीसरी बार उन्होंने रिकॉर्ड बनाया. 1971 में कमलनाथ तिवारी के नाम 70% से अधिक का रिकॉर्ड है जो अद्भुत है. अब तो वोटिंग भी कम होता है और उस तरह के नेता भी नहीं है. हालांकि ट्रेंड बदल रहा है, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो सरकार है पहली बार 50% से अधिक वोट मिला है.

"सब कुछ वोटिंग पर ही तय होता है. यदि 10-12% ही वोटिंग हो तो जीत हार भी उसी में तय होगा. कम वोटिंग चिंता की बात जरूर है और इस पर सभी दलों के साथ चुनाव आयोग को भी गंभीरता से प्रयास करना होगा. जो पुराने रिकॉर्ड हैं, उसे भी उदाहरण के तौर पर जनता के बीच रखना होगा."- प्रेम रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक

पांच सांसदों को 60 फीसदी से अधिक वोटः लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार से भाजपा के पांच ऐसे सांसद हुए जिन्हें 60 प्रतिशत से अधिक वोट मिले. मुजफ्फरपुर से अजय निषाद को सर्वाधिक 63.03 प्रतिशत वोट मिला था. पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद को 61.85, मधुबनी से अशोक कुमार यादव को 61.83, दरभंगा से गोपालजी ठाकुर को 60.74 और शिवहर से रमा देवी को 60.59 प्रतिशत वोट मिले था. 40 लोकसभा सीटों में 29 सीटें ऐसी हैं, जहां विजयी प्रत्याशी को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे. इनमें भाजपा के सर्वाधिक 14, जदयू के 10 और लोजपा के 5 सांसद शामिल हैं. किशनगंज से कांग्रेस से जीतने वाले एकमात्र सांसद को मात्र 33 प्रतिशत वोट मिला था.

"वोटिंग ट्रेंड बदल रहा है. 50 से 60% अब वोट ही होता है. जितना वोट मिलेगा, उसी में जीत हार का फैसला होना है. जितने उम्मीदवार होंगे उसी के हिसाब से जो वोट मिलेगा उसका परसेंटेज निकलेगा. जरूरी है कि जो व्यवस्था है उसमें और सुधार हो. चुनाव में लोगों की भूमिका और बढ़े और अधिक वोटिंग हो."- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता

बिना सांसद के तीन साल रहा बेतियाः कांग्रेस के कमलनाथ तिवारी ने करीब 73% वोट लाने का रिकॉर्ड तो बनाया ही था. साथ ही बेतिया लोकसभा सीट पर तीन वर्षों तक बिना सांसद के रहने का भी अनचाहा रिकॉर्ड है. यह 1974 से 1977 के बीच का समय है. दरअसल 1971 के आम चुनाव में बेतिया सीट से कांग्रेस के कमलनाथ तिवारी सांसद चुने गए थे. 17 जनवरी, 1974 को 67 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था. उस वक्त देश में इमरजेंसी लगी थी. इमरजेंसी लगने के कारण उपचुनाव नहीं हो सका और बेतिया की जनता बिना सांसद के ही 3 साल तक रह गयी. 1977 में जब चुनाव हुआ तब वहां से भारतीय लोक दल से फजलुर्रहमान विजयी हुए थे.

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