गया: कहते हैं हौसला हो, तो हर परिस्थिति को मात दिया जा सकता है. कुछ ऐसी ही कहानी बिहार के गया के आशुतोष प्रकाश की है. संसाधनों के अभाव में बड़ा मुकाम बनाना और इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराना आसान नहीं होता, लेकिन इस कारनामे को आशुतोष ने कर दिया दिखाया है.
गया से शुरू होती है एथलीट आशुतोष की कहानी: आशुतोष प्रकाश गया जिले के राजेंद्र आश्रम रेहड़ गली के रहने वाले हैं. मूल तौर पर इनका पैतृक घर नवादा में है, लेकिन इनके जीवन का ज्यादातर हिस्सा गया में गुजरा. गया में ही पढ़ाई की. यहीं से उनके संघर्ष की कहानी भी शुरू हुई.
पाई-पाई को थे मोहताज: आशुतोष प्रकाश के पास एक समय ऐसा भी आया था, जब वह पाई पाई को मोहताज थे. पूरा कैरियर चौपट होने को था, लेकिन ऐसे में एक संस्था का साथ मिला और उन्होंने अपने हौसलों को उस मुकाम तक पहुंचाया, जहां तक पहुंचने में कितनों की कैरियर की डोरी बीच रास्ते में ही दम तोड़ जाती है. आशुतोष प्रकाश ने सारे झंझावतों से लड़ते हुए अपनी सफलता की कहानी गढ़ी.
कतर में एयरक्राफ्ट इंजीनियर: एथलीट आशुतोष प्रकाश कुवैत के कतार में एयरक्राफ्ट इंजीनियर है. जब यह लाइसेंस देते हैं, तभी एरोप्लेन की उड़ान होती है. 2011 से कतर में रह रहे आशुतोष प्रकाश ने इसी साल गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. अल्ट्रा रन के क्षेत्र में कतर में इन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. नॉर्थ कतर से लेकर साउथ कतर तक अल्ट्रा रन में इन्होंने 191 किलोमीटर की दूरी महज 30 घंटे 31 मिनट और 32 सेकंड में कंप्लीट कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है.
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया: गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड अथॉरिटी द्वारा इन्हें इस उपलब्धि का सर्टिफिकेट दिया गया है. इस वर्ल्ड रिकॉर्ड को बनाने के बाद उनकी सोच अभी और ऊंची उड़ान की है. उनकी अगली चुनौती टेरी फॉक्स प्रसिद्ध धावक से प्रेरित होकर पूर्वी कनाडा से पश्चिम कनाडा तक दौड़ना है. टेरी फॉक्स वह शख्सियत थे, जिन्होंने स्टेज 4 कैंसर और अंप्यूटेटेड पैर के साथ दौड़ लगाई थी. अब इस रिकॉर्ड को आशुतोष प्रकाश तोड़ना चाहते हैं. इस तरह आशुतोष प्रकाश की उड़ान अभी थमी नहीं है और इनकी प्रैक्टिस माउंट एवरेस्ट फतह और कनाडा में ईस्ट से वेस्ट 7400 किलोमीटर की ऐतिहासिक दूरी तय करने की है.
शून्य से शिखर तक पहुंचने की संघर्ष की कहानी: आशुतोष प्रकाश के शून्य से शिखर तक पहुंचने की बड़ी कहानी है. उनके पिता मध्यम वर्गीय परिवार से थे और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे. आशुतोष प्रकाश बताते हैं, कि एथलीट अल्ट्रा रन करते हुए 42 किलोमीटर से ऊपर की दूरी अल्ट्रा मैराथन कही जाती है. बताते हैं, कि स्कूल की पढ़ाई उन्होंने गया के सरकारी विद्यालय जिला स्कूल में की. आगे की कुछ पढ़ाई उड़ीसा में की.
"जिला स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास कर निकले थे, तो कुछ करने का जज्बा था. हालांकि आर्थिक हालात बेहतर नहीं थे. किसी तरह जुगाड़ कर यहां से कोलकाता चले गए. कोलकाता में अपने प्रतिभा को निखारते रहे. कोलकाता में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. हालांकि कोलकाता में एक समय ऐसा भी आया, कि फीस पे नहीं कर सकते थे."- आशुतोष प्रकाश, लाइसेंस एयरक्राफ्ट इंजीनियर व एथलीट
कब से कतर में रह रहे आशुतोष: कहा जाता है, कि हिम्मत नहीं हारने वालों को कहीं न कहीं किसी ना किसी का साथ मिल जाता है. वैसे में एक संस्था के माध्यम से उन्होंने अपनी फीस पेमेंट करवाई. इसके बाद मुंबई में जेट एयरवेज में काम करते रहे. मुंबई में जेट एयरवेज में काम करने के बाद कुछ और अच्छा करने की सोच कर कतर चले गए. कतर में वर्ष 2011 से आशुतोष प्रकाश लगातार रह रहे हैं.
कतर में अल्ट्रा रन में वर्ल्ड रिकॉर्ड: इस बीच फीफा वर्ल्ड कप में पोस्ट करने का मौका मिला, तो इन्होंने अपने कैरियर को रनिंग के क्षेत्र में संवारने का निर्णय लिया. फिर क्या था, इन्होंने कभी 5 कभी 10 तो कभी 15-20 किलोमीटर की दौड़ लगानी शुरू कर दी और कोविड के समय को मौके के रूप में भुनाया. अपनी प्रैक्टिस लगातार जारी रखी. इस बीच कतर में यह लाइसेंस एयरक्राफ्ट इंजीनियर के पद पर चयनित हो गए. इसके बाद भी उन्होंने अपनी प्रैक्टिस नहीं छोड़ी और इस वर्ष ही कतर में अल्ट्रा रन में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है.
30 घंटे 31 मिनट और 32 सेकंड में दौड़ पूरी: आशुतोष प्रकाश बताते हैं, कि वह लाइसेंस एयरक्राफ्ट इंजीनियर के रूप में कतर में कार्यरत हैं. वह, एथलीट भी हैं. इस साल उन्होंने कतर में अल्ट्रा रन में अटेंड किया था और कम समय में अल्ट्रा रन कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड अथॉरिटी के द्वारा उन्हें सर्टिफिकेट दिया गया है. 191 किलोमीटर सामने थे, 30 घंटे 31 मिनट और 32 सेकंड में कंप्लीट किया और यह वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. केरल के ही एक व्यक्ति ने कतर में यह रिकॉर्ड बनाया था, जिसे उन्होंने तोड़ा और वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया.
अब इतिहास रचने की हो रही तैयारी: आशुतोष प्रकाश का अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट फतह और कनाडा में रन कर ईस्ट से वेस्ट कनाडा की 7400 किलोमीटर की दूरी का रिकॉर्ड बनाना है, यह ऐतिहासिक है. यह बताते हैं कि इतिहास में दो लोगों ने ही इसे कंप्लीट किया है और उनका रिकॉर्ड यह तोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि ईस्ट कनाडा से वेस्ट कनाडा तक अल्ट्रा रन काफी चुनौती वाला होता है. कनाडा के जंगल पहाड़, - 10 डिग्री तक तापमान चला जाना, अचानक भारी बारिश होना, ऐसी परिस्थितियां होती हैं, कि यह बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि अब तक इसे दो ही लोगों ने कंप्लीट किया है.
पहले फिट रहने के लिए दौड़े: आशुतोष प्रकाश कहते हैं, कि चुनौतियों से हारना नहीं, यही सफलता का मंत्र है. बताते हैं, कि वह बिहार के गया शहर के रहने वाले हैं. 2020 में कोविड आउटब्रेक के दौरान 20 से 25 किलोमीटर प्रतिदिन की लंबी दूरी की दौड़ शुरू की. दोहा में कई दौड़ में भाग लिया, जिसमें फुल मैराथन, अल अदैद डेजर्ट चैलेंज, थीम रेस और कतर ईस्ट टू वेस्ट रन शामिल है. इन सभी दौड़ में वह फिनिशर थे. आशुतोष प्रकाश ने अन्य एथलीटों से प्रेरित होकर यह शुरू किया. 1 मार्च 2024 को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया.
मिल चुका है सम्मान: कतर में भारतीय राजदूत से भी आशुतोष प्रकाश सम्मान पा चुके हैं. कतर में भारतीय राजदूत विपुल ने आशुतोष प्रकाश को इस बड़ी उपलब्धि के लिए सम्मानित किया है. इस तरह देश और बिहार के लाल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है और बिहार व भारत का नाम विदेश में ऊंचाइयों पर ला रहे हैं.
नालंदा से महाबोधि मंदिर तक अल्ट्रा रन: इन दिनों आशुतोष गया में हैं और उन्होंने नालंदा से महाबोधि मंदिर तक अल्ट्रा रन किया. इनका संदेश युवाओं को प्रेरित करना भी है. आशुतोष प्रकाश को उनकी उपलब्धियां के लिए गया के डीएम डॉक्टर त्याग राजन एसएम और गया के एसएसपी आशीष भारती ने भी सम्मानित किया है.