पटना: बिहार में पिछले 72 घंटे से तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है. नेपाल के रास्ते बिहार आ रही नदियों ने तबाही मचा रही है. उत्तर बिहार के 16 जिलों के 31 प्रखंड के करीब 4 लाख लोगों के घर देखते ही देखते डूब गए. कोसी, गंडक, गंगा, बागमती, कमला बलान समेत कई नदियां उफान पर हैं. दवाब बढ़ने से आधा दर्जन तटबंध टूट गए हैं.
फिर वही तबाही, फिर वही मंजर : बिहार में बाढ़ से तबाही हर दिन भयावह होती जा रही है. लोगों को 2008 की कुसहा त्रासदी का डर सताने लगा है. दरअसल, आज से 16 साल पहले 18 अगस्त 2008, नेपाल ने करीब 2 से तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा था. जिसके बाद कोसी नदी का विकराल रूप देखने को मिला था. नदी ने अपनी धारा बदली और तीन जिले सुपौल, सहरसा और मधेपुरा के गांव डूब गए. करीब 526 लोगों की मौत हुई थी.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के बारे में मीडियाकर्मियों को जानकारी देते जल संसाधन मंत्री @VijayKChy एवं विभाग के प्रधान सचिव श्री संतोष कुमार मल्ल।@WRD_Bihar @SantoshKMall1 #WRD_Bihar pic.twitter.com/KCIle5KURN
— IPRD Bihar (@IPRDBihar) September 30, 2024
'याद करने पर रूह कांप जाती है’ : सुपौल जिले के हरिराम सिंह (62) जैसे किसानों के घर डूब गए, खेतों में बालू भर गया, पशु बह गए. हरिराम बताते हैं कि, ''मैं उन दिनों को याद नहीं करना चाहता हूं, उन दिनों को याद कर रूह कांप जाती है.''
इस बार बड़ा खतरा क्यों है? : लेकिन सवाल यह है कि इस बार बाढ़ का खतरा 2008 से ज्यादा क्यों है. दरअसल शनिवार की रात कोसी नदी पर बीरपुर बराज से करीब 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो पिछले 56 सालों में सबसे अधिक है. 2008 से यह कही ज्यादा है. लेकिन 1968 में कोसी बराज से 7.88 लाख क्यूसेक, जबकि वाल्मिकीनगर बैराज से 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था.
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केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से मिले सम्राट चौधरी : इस बीच सोमवार को बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की. सम्राट चौधरी ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री को बिहार में बाढ़ के हालात से अवगत कराया. उन्होंने कोसी नदी पर भारतीय क्षेत्र में एक उच्च क्षमता वाले बराज के निर्माण की मांग की.
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पानी घटी, परेशानी नहीं : हालांकि, जल प्रलय के बीच, राहत वाली राहत वाली खबर भी आई है. सुपौल जिले के वीरपुर के कोसी बैराज और बगहा जिले के वाल्मीकिनगर के गंडक बैराज पर जलस्तर में कमी आयी है. जल संसाधन विभाग के आंकड़ों की माने तो सोमवार सुबह 6 बजे वीरपुर बैराज में कोसी का जल स्तर 2,65,530 क्यूसेक था, लेकिन चार घंटे बाद सुबह 10 बजे यह घटकर 2,54,385 क्यूसेक हो गया. वहीं वाल्मीकिनगर बैराज में भी गंडक का जलस्तर सुबह 10 बजे घटकर 1,55,600 लाख क्यूसेक हो गया.
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16 जिले, 4 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित : इस बीच, आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों की माने तो प्रदेश की सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. कोसी, गंडक, महानंदा, बागमती और गंगा समेत सभी नदियों के जल स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है. जिससे 16 जिलों के 31 प्रखंडों में 152 ग्राम पंचायतों के करीब 4 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित है.
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NDRF-SDRF टीमें तैनात : वहीं बाढ़ से प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की 19 टीमों को तैनात किया गया है. 630 नावों का परिचालन किया जा रहा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 18 सामुदायिक रसोई केन्द्र का संचालन हो रहा है. 43 राहत शिविर में 11 हजार से अधिक बाढ़ शारणार्थी शरण लिये हुए है. दवाओं के साथ डॉक्टर की टीम भी तैनात है. पशुओं के लिए भी दवा और चारा की व्यवस्था की गई है.
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''19 टीमों को तैयार किया गया है, जिसमें से 14 टीम बिहार के हैं. तीन टीम बनारस और दो टीम झारखंड से बुलाई गई है. हमारी टीमें लगातार बचाव कार्य कर रही है. किसी को घबराने की जरूरत नहीं है.'' - सुनील कुमार सिंह, कमांडेंट 9वी बटालियन एनडीआरएफ, बिहटा
24x7 तटबंधों की निगरानी : जल संसाधन विभाग के मुताबिक, 24 घंटे तटबंधों की निगरानी की जा रही है. लेकिन विभाग के दावों के बीच पिछले 24 घंटे में आधा दर्जन से अधिक तटबंध टूट चुके हैं. हालांकि जल संसाधन विभाग इंजीनियरों की फौज लगाता अपना काम कर रहे हैं. बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है.
''कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात है. प्रशासन चौकसी बरत रहा है. दो दिन पहले करीब 6,61,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. जिस कारण प्रदेश के निचले इलाकों में स्थिति गंभीर है. हर जगह लोग सतर्क हैं और आपदा प्रबंधन की टीमें पूरी तरह से तैयार हैं, घबराने की जरूरत नहीं है." - विजय कुमार सिन्हा, उप मुख्यमंत्री
हेल्पलाइन नंबर जारी : 0612-2294204 ट्रोल फ्री नंबर : 10790 |
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