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69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में यूपी सरकार को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने रद की मेरिट लिस्ट - Allahabad High Court order

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 16, 2024, 8:12 PM IST

Updated : Aug 17, 2024, 11:38 AM IST

न्यायालय ने 69000 शिक्षक भर्ती में अब तक बनाई गई सभी चयन सूचियों को रद कर नई चयन सूची बनाकर आरक्षण नियमावली 1994 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियुक्ति किए जाने का आदेश दिया है. साथ ही इस भर्ती में नौकरी कर रहे अभ्यर्थी यदि प्रभावित होते हैं तो उन्हें बाहर नहीं किया जाएगा.

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सहायक शिक्षक भर्ती सूची पर हाईकोर्ट का डंडा (Photo Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: उत्तर पदेश की बहुचर्चित 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए यूपी सरकार को झटका दिया है. न्यायमूर्ति अत्ताउरहमान मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह ने मंगलवार 13 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यह फैसला सुनाया था. गुरुवार को ऑर्डर की कॉपी बेबसाईट पर अपलोड कर दी गई है.

न्यायालय ने 69000 शिक्षक भर्ती में अब तक बनाई गई सभी चयन सूचियों को रद कर नई चयन सूची बनाकर आरक्षण नियमावली 1994 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियुक्ति किए जाने का आदेश दिया है. साथ ही इस भर्ती में नौकरी कर रहे अभ्यर्थी यदि प्रभावित होते हैं तो उन्हें बाहर नहीं किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में किया गया था. कुछ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के द्वारा भर्ती नियमावली का पालन सही तरीके नहीं किए जाने का आरोप लगाया था. जिसको लेकर अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की डबल बेंच ने अपना फैसला सुनाया है. आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए लगातार आंदोलन कर रहे व कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि यह फैसला हम सभी के पक्ष में आया है. सभी अभ्यर्थी कोर्ट का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं कि हमें न्याय मिला है और साथ ही उन्होंने कहा की अब इस मामले में सरकार भी बिना किसी देर किए अभ्यर्थियों को न्याय देते हुए नौकरी दें.

शिक्षक भर्ती कब क्या हुआ

  • बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में कराया गया था. इसकी परीक्षा 06 जनवरी 2019 को हुई और परिणाम 21 मई, 2020 से जारी हुआ है.
  • दिनांक 31 मई 2020 को 67867 अभ्यर्थियों की एक चयन सूची बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गयी.
  • जारी चयन सूची में आरक्षित वर्ग (दिव्यांगजन, दलित एवं अन्य पिछड़ा वर्ग) के अभ्यर्थियों ने पाया कि उनकों मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया है. इसको लेकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष अपनी पीड़ा रखी लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला.
  • आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों ने न्याय पाने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचितजाति आयोग इत्यादि में अपनी याचिका दाखिल की, जिसमें एक वर्ष तक सुनवाई के बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने दिनांक 29 अप्रैल, 2021 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को दी, जिसमें यह स्पष्ट किया कि 69000 शिक्षक भर्ती में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं मिला.
  • बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आयोग के रिपोर्ट को मानने से इन्कार कर दिया है. तब आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने दिनांक 22 जून 2021 से आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने के लिए अनवरत धरना-प्रदशन शुरू कर दिया.
  • 06 सितम्बर 2021 को हजारों की संख्या में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, अभिभावक सहित, ईको गार्डेन लखनऊ में एकत्र होकर धरना-प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांग मुख्यमंत्री योगी तक पहुंचाई.
  • 07 सितम्बर, 2021 को मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के अध्यक्ष मुकुल सिंघल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया.
  • तीन माह तक गहन अध्ययन के बाद जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी को उपलब्ध कराई. मुख्यमंत्री ने जांच समिति की रिपोर्ट में पाया कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया.
  • 23 दिसम्बर, 2021 को मुख्यमंत्री ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमण्डल से मुलाकात की और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया कि "शीघ्र ही आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रदान की जाए.
  • 24 दिसमबर, 2021 को तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री का प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आदेश होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया.
  • 05 जनवरी 2022 को 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की एक सूची बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गयी, लेकिन आचार संहिता लागू हो जाने के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी. इसी बीच कुछ अभ्यर्थियों ने जारी 6800 चयन सूची के विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी. उच्च न्यायालय ने चयन सूची पर रोक लगा दी.
  • एक वर्ष से अधिक समय तक उच्च न्यायालय में 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में सुनवाई हुई. सरकारी अधिवक्ता और विभागीय अधिकारियों की कमजोर पैरवी के कारण उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2023 को 6800 चयन सूची को रद कर दिया. इस आदेश से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हताश हैं और मानसिक रूप से परेशान थे.
  • आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच में लेकर गए थे. इस मामले की सुनावाई पूरी कर डबल बेंच ने 18 मार्च 2024 को फैसला सुरक्षित कर लिया था.
  • अब 13 अगस्त 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह फैसला सुनाया है.

अखिलेश यादव ने हाईकोर्ट के फैसले को बताया अभ्यार्थियों की जीत

लखनऊ: सपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 69,000 शिक्षक भर्ती को लेकर आए फैसले को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को अभ्यर्थियों की जीत बताया है. घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकायत साबित हुई है. हमारी मांग है कि नए सिरे से न्याय पूर्ण तरीके से नई सूची बने जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सके.

सुभासपा ने कोर्ट के आदेश का किया स्वागत
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता अरुण राजभर ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि, यह बात खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी माना था कि, इस 69000 शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण नियमों का पालन नहीं हुआ है. अब जबकि हाई कोर्ट ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, अब उम्मीद है कि पिछड़े दलित वंचित वर्ग को न्याय मिलेगा.

अनुप्रिया पटेल ने भी फैसले का किया स्वागत
वहीं अपना दल की अध्यक्ष व मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी, 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि, इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई. अब जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद करती हूं कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा.

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला, दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज होने पर नौकरी देने से इनकार करना गलत

लखनऊ: उत्तर पदेश की बहुचर्चित 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए यूपी सरकार को झटका दिया है. न्यायमूर्ति अत्ताउरहमान मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह ने मंगलवार 13 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यह फैसला सुनाया था. गुरुवार को ऑर्डर की कॉपी बेबसाईट पर अपलोड कर दी गई है.

न्यायालय ने 69000 शिक्षक भर्ती में अब तक बनाई गई सभी चयन सूचियों को रद कर नई चयन सूची बनाकर आरक्षण नियमावली 1994 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियुक्ति किए जाने का आदेश दिया है. साथ ही इस भर्ती में नौकरी कर रहे अभ्यर्थी यदि प्रभावित होते हैं तो उन्हें बाहर नहीं किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में किया गया था. कुछ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के द्वारा भर्ती नियमावली का पालन सही तरीके नहीं किए जाने का आरोप लगाया था. जिसको लेकर अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की डबल बेंच ने अपना फैसला सुनाया है. आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए लगातार आंदोलन कर रहे व कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि यह फैसला हम सभी के पक्ष में आया है. सभी अभ्यर्थी कोर्ट का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं कि हमें न्याय मिला है और साथ ही उन्होंने कहा की अब इस मामले में सरकार भी बिना किसी देर किए अभ्यर्थियों को न्याय देते हुए नौकरी दें.

शिक्षक भर्ती कब क्या हुआ

  • बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में कराया गया था. इसकी परीक्षा 06 जनवरी 2019 को हुई और परिणाम 21 मई, 2020 से जारी हुआ है.
  • दिनांक 31 मई 2020 को 67867 अभ्यर्थियों की एक चयन सूची बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गयी.
  • जारी चयन सूची में आरक्षित वर्ग (दिव्यांगजन, दलित एवं अन्य पिछड़ा वर्ग) के अभ्यर्थियों ने पाया कि उनकों मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया है. इसको लेकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष अपनी पीड़ा रखी लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला.
  • आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों ने न्याय पाने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचितजाति आयोग इत्यादि में अपनी याचिका दाखिल की, जिसमें एक वर्ष तक सुनवाई के बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने दिनांक 29 अप्रैल, 2021 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को दी, जिसमें यह स्पष्ट किया कि 69000 शिक्षक भर्ती में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं मिला.
  • बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आयोग के रिपोर्ट को मानने से इन्कार कर दिया है. तब आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने दिनांक 22 जून 2021 से आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने के लिए अनवरत धरना-प्रदशन शुरू कर दिया.
  • 06 सितम्बर 2021 को हजारों की संख्या में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, अभिभावक सहित, ईको गार्डेन लखनऊ में एकत्र होकर धरना-प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांग मुख्यमंत्री योगी तक पहुंचाई.
  • 07 सितम्बर, 2021 को मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के अध्यक्ष मुकुल सिंघल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया.
  • तीन माह तक गहन अध्ययन के बाद जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी को उपलब्ध कराई. मुख्यमंत्री ने जांच समिति की रिपोर्ट में पाया कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया.
  • 23 दिसम्बर, 2021 को मुख्यमंत्री ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमण्डल से मुलाकात की और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया कि "शीघ्र ही आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रदान की जाए.
  • 24 दिसमबर, 2021 को तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री का प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आदेश होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया.
  • 05 जनवरी 2022 को 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की एक सूची बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गयी, लेकिन आचार संहिता लागू हो जाने के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी. इसी बीच कुछ अभ्यर्थियों ने जारी 6800 चयन सूची के विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी. उच्च न्यायालय ने चयन सूची पर रोक लगा दी.
  • एक वर्ष से अधिक समय तक उच्च न्यायालय में 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में सुनवाई हुई. सरकारी अधिवक्ता और विभागीय अधिकारियों की कमजोर पैरवी के कारण उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2023 को 6800 चयन सूची को रद कर दिया. इस आदेश से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हताश हैं और मानसिक रूप से परेशान थे.
  • आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच में लेकर गए थे. इस मामले की सुनावाई पूरी कर डबल बेंच ने 18 मार्च 2024 को फैसला सुरक्षित कर लिया था.
  • अब 13 अगस्त 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह फैसला सुनाया है.

अखिलेश यादव ने हाईकोर्ट के फैसले को बताया अभ्यार्थियों की जीत

लखनऊ: सपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 69,000 शिक्षक भर्ती को लेकर आए फैसले को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को अभ्यर्थियों की जीत बताया है. घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकायत साबित हुई है. हमारी मांग है कि नए सिरे से न्याय पूर्ण तरीके से नई सूची बने जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सके.

सुभासपा ने कोर्ट के आदेश का किया स्वागत
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता अरुण राजभर ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि, यह बात खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी माना था कि, इस 69000 शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण नियमों का पालन नहीं हुआ है. अब जबकि हाई कोर्ट ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, अब उम्मीद है कि पिछड़े दलित वंचित वर्ग को न्याय मिलेगा.

अनुप्रिया पटेल ने भी फैसले का किया स्वागत
वहीं अपना दल की अध्यक्ष व मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी, 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि, इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई. अब जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद करती हूं कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा.

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला, दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज होने पर नौकरी देने से इनकार करना गलत

Last Updated : Aug 17, 2024, 11:38 AM IST
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