इंदौर (सिद्धार्थ माछीवाल) : मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा जलाने का मामला तूल पकड़ रहा है. 12 कंटेनर और कड़ी सुरक्षा के बीच यूनियन कार्बाइड का कचरा भोपाल से पीथमपुर पहुंचा दिया गया है. जिसे लेकर पीथमपुर से लेकर इंदौर तक विरोध जताया जा रहा है. इस मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूर्व सांसद व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से चर्चा की. वहीं इस मुद्दे पर एक बार फिर पुनर्विचार करने की मांग की. इसके साथ ही पीथमपुर में लोगों ने रैली निकालकर कचरा जलाने का विरोध जताया जा रहा है.
इस मामले में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी कोर्ट के आदेश पर सरकार के फैसले को लोगों के जीवन मरण का सवाल बताया है. इस बीच गुरुवार को रामकी के विशेषज्ञ दलों द्वारा कचरा जलाए जाने की पूरी जानकारी जनप्रतिनिधियों के सामने दी गई है.
पीथमपुर में निकाली गई रैली
इधर पीथमपुर में बड़ी संख्या में लोगों ने कचरा जलाने को लेकर रैली निकालकर विरोध किया है. कई जन संगठनों ने 3 जनवरी को पीथमपुर बैंड का आह्वान किया है. इस बीच पीथमपुर में रामकी एनवायरो संयंत्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पीथमपुर के वार्ड क्रमांक 7 के महाराणा प्रताप चौराहे पर बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर धरना दिया और रैली निकाली विरोध जताया.
पीथमपुर में कचरा जलाने का विरोध
इस दौरान स्थानीय लोगों का कहना है कि "पूर्व में भी यहां कचरा जलाए जाने को लेकर विरोध किया गया था. इसके अलावा पीथमपुर की नगर पालिका और परिषद द्वारा इस मामले में रिव्यू पिटीशन भी दाखिल की गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी कचरा यहां लाकर जलाए जाने की तैयारी है. जबकि इंडस्ट्री वगैरह के चलते इंदौर पहले ही पॉल्यूटड है, जो लोगों की जान पर खतरा हो सकता है."
जीतू पटवारी बोले-राजनीति का विषय नहीं
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कचरे को जलाने के मामले में स्पष्टता की कमी पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि "यह मुद्दा राजनीति का नहीं, बल्कि शहर और जनता के हित से जुड़ा है. सरकार को विशेषज्ञों के अनुभव का लाभ उठाते हुए, इस मामले के संभावित नुकसान और अन्य पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए. जीतू पटवारी ने कहा कि उनकी सुमित्रा महाजन से भी इसी विषय पर चर्चा हुई है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस मामले में रिव्यू याचिका दायर करे और कोई भी निर्णय लेने से पहले इसके दूरगामी प्रभावों का गहराई से मूल्यांकन करें.
यशवंत सागर पर हो सकता है असर
उनका मानना है कि यह निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए, ताकि जनता और पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव न पड़े. पटवारी ने चेतावनी दी कि पूर्व के अनुभवों के अनुसार, जहरीला कचरा जलाने के परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं. उन्होंने चिंता जताई कि अगर इसे जलाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई, तो इसका निकट भविष्य में यशवंत सागर पर नकारात्मक असर हो सकता है. यशवंत सागर का पानी इंदौर वासियों की जरूरतें पूरी करता है, इसलिए इस मुद्दे पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है."
ताई बोलीं- जीवन-मरण का सवाल
इधर जीतू पटवारी से चर्चा के बाद सुमित्रा महाजन ने कहा कि "यह राजनीतिक नहीं आम जनमानस से जुड़ा मुद्दा है. इसलिए कचरे को जलाने पर उसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे, यह स्थिति स्पष्ट होना चाहिए. उन्होंने कहा सिर्फ रामकी ही नहीं इंदौर में मौजूद आरआर कैट एसजीएसआईटीएस जैसे संस्थाओं के विशेषज्ञों से परामर्श लिया जाना चाहिए, कि कचरा किस तरह की वैज्ञानिक पद्धति से जलाया जाएगा. भविष्य में इसका पर्यावरण, जल और जमीन पर असर नहीं होगा. सुमित्रा महाजन ने कहा यह राजनीति नहीं बल्कि लोगों के जीवन मरण का सवाल है. इसलिए कचरा जलाए जाने से पहले विशेषज्ञों से परामर्श जरूर लिया जाना चाहिए."
गैस राहत विभाग का दावा अब जहरीला नहीं बचा कचरा
मामले में आयुक्त गैस राहत एवं पुनर्वास स्वतंत्र कुमार सिंह ने स्पष्ट किया है कि "कचरे की सेल्फ लाइफ खत्म हो चुकी है, वह पेस्टिसाइड का अवशेष है. उन्होंने कहा इस कचरे की टाक्सीसिटी उतनी नहीं है, जितनी दिखाई जा रही है. अचानक इंदौर ले जाने के सवाल पर स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया हाई कोर्ट द्वारा 3 दिसंबर 2024 को जबलपुर की डिवीजन बेंच के फैसले के बाद कचरे को लाया गया है. यह 20 साल पुरानी प्रक्रिया है.
उन्होंने बताया कि पहले 10 टन कचरा चेक होगा. उसके जलाए जाने पर अनुकूल परिस्थितियों के अनुसार 6 से 7 महीने में या 8 से 9 महीने में यह कचरा जलाया जाएगा. उन्होंने कहा 2013 और 2015 में इस तरह का ट्रायल रन हुआ है. जिसमें कचरा जलाया गया है, लेकिन उस दौरान पर्यावरण को या अन्य किसी को नुकसान जैसी कोई स्थिति सामने नहीं आई है.
गुरुवार अल सुबह पीथमपुर पहुंचा कचरा
गौरतलब है कि कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार रात को यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचला भोपाल से पीथमपुर के लिए भेज दिया गया था. जो अल सुबह इंदौर के बाईपास से कड़ी सुरक्षा में 337 टन कचरे से भरे हुए कंटेनर पीथमपुर के रामकी एनवायरो संयंत्र में पहुंच गए हैं. इस कचरे को भेजने के लिए भोपाल से पीथमपुर विशेष ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया था. विरोध को देखते हुए पीथमपुर में पहले से ही व्यापक पुलिस बल तैनात किया गया था. पीथमपुर की इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट परिसर में कड़ी सुरक्षा में कचरे को रखा गया है. वही कंपनी परिसर के चारों ओर फेंसिंग की जा रही है. इधर स्थानीय लोगों ने कचरे के खिलाफ अब बड़े आंदोलन की तैयारी की है.
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हाई कोर्ट में लगेगी कंटेंप्ट पिटीशन
इस मामले को लेकर इंदौर में डॉक्टरों द्वारा लगाई गई जनहित याचिका के बाद अब एक अन्य याचिका एक एडवोकेट बीएल नागर द्वारा लगाई गई है. जिसमें पहले से रामकी कंपनी द्वारा ट्रायल के तौर पर जलाए गए 10 टन कचरे से पहले प्रदूषण और घातक प्रभाव की विस्तृत जानकारी कोर्ट के सामने रखी जाएगी. एडवोकेट नागर का आरोप है कि "पहले 10 टन कचरा जलने के दौरान जो ट्रायल किया गया था, उसके दुष्प्रभाव को हाई कोर्ट की डबल बेंच के समक्ष नहीं रखा गया है. यह कंपनी की ओर से कोर्ट की अवमानना है.
उन्होंने कहा इस मामले में अब कंटेंप्ट पिटीशन लगाई जा रही है. इसके अलावा 337 टन कचरा के जलने से पीथमपुर के अलावा इंदौर तक पर्यावरण को और जन स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है. इस स्थिति से कोर्ट को अवगत कराया जाएगा. वही पूर्व में जारी पिटीशन को रीकॉल करते हुए कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने की मांग की जाएगी.