बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को 21वीं राष्ट्रीय पशुधन जनगणना का आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया. इस जनगणना का उद्देश्य राज्य के सभी पशुधन के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करना है, जो पशुधन सेवाओं और नीतियों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
इस शुभारंभ कार्यक्रम में पशुपालन, पशु चिकित्सा सेवाएं और रेशम उत्पादन मंत्री के. वेंकटेश के साथ-साथ पशुपालन विभाग के सचिव डॉ. अजय नागभूषण और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
पशुधन जनगणना फरवरी 2025 तक जारी रहेगी. इस प्रक्रिया के तहत, राज्य भर में पशुधन पर सटीक डेटा एकत्र करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा. एकत्रित जानकारी पशुपालन के विकास के लिए बेहतर नीतियां बनाने और पशुधन के स्वास्थ्य और उत्पादकता दोनों को बढ़ाने में मदद करेगी.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जनगणना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "कर्नाटक की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका है. इस जनगणना के माध्यम से, हम पशुधन की संख्या का सटीक निर्धारण करेंगे और ऐसी नीतियाँ बनाएंगे जो पशुपालन को और अधिक प्रभावी बना सकें."
वहीं, मंत्री के. वेंकटेश ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह जनगणना हज़ारों पशुपालकों को सीधे लाभ पहुंचाने का एक बड़ा प्रयास है, जिससे उन्हें बेहतर सेवाएँ और सहायता मिले. यह राज्यव्यापी जनगणना टिकाऊ पशुपालन को बढ़ावा देने और ग्रामीण समुदायों के लिए आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होने की उम्मीद है.
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