कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों से पहले या उसके दौरान भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त अधिकारियों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. राज्य सरकार ने इसकी शुरुआत पूर्वी मिदनापुर जिले की जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) जोयोशी दासगुप्ता से की है.
पश्चिम बंगाल कैडर की 2010 बैच की आईएएस अधिकारी को हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने पूर्वी मिदनापुर का डीएम नियुक्त किया था. उन्होंने तनवीर अफजल की जगह ली थी जो पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (डब्ल्यूबीसीएस) कैडर के अधिकारी थे.
जिला मजिस्ट्रेट के रूप में जोयोशी पूर्वी मिदनापुर की जिला निर्वाचन अधिकारी भी थीं. मोदी सरकार 3.0 के शपथ ग्रहण के 24 घंटे के भीतर उन्हें हटा दिया गया है. इससे राज्य में सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पूर्वी मिदनापुर जिले के दोनों लोकसभा क्षेत्रों कांथी और तामलुक में चुनाव हार गई. नतीजे घोषित होने के बाद से ही तृणमूल नेतृत्व यह दावा कर रहा है कि पार्टी दोनों सीटें जीत सकती थी, बशर्ते चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों और अधिकारियों ने कथित तौर पर उनके खिलाफ साजिश न की होती.
पूर्वी मिदनापुर के डीएम के पद से हटाए जाने के बावजूद जोयोशी दासगुप्ता को अब तक कोई नया पद आवंटित नहीं किया गया है. फिलहाल उन्हें राज्य कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग से संबद्ध रखा गया है, जो राज्य में आईएएस और डब्ल्यूबीसीएस अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग को नियंत्रित करता है. राज्य सरकार ने दासगुप्ता के स्थान पर डब्ल्यूबीसीएस कैडर के अधिकारी पूर्णेंदु कुमार माझी को नया डीएम बनाया है.
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