बेमेतरा: बोरसी के बारूद फैक्ट्री में हुए हादसे का दो दिन बीत चुका है. मलबे के पास आज भी लोग इस उम्मीद में पहुंच रहे हैं कि शायद उनके अपनों की कोई निशानी मिल जाए. कुछ लोगों की उम्मीद जिंदा है तो कुछ लोग अब हिंदू रीति रिवाज से अपने लापता परिवार वालों का अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं. लापता परिवार वालों के परिजनों का कहना है कि अब उनके अपनों के मिलने की उम्मीदें नहीं बची हैं. ऐसे में धार्मिक रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया जाना जरूरी है.
बिना डेड बॉडी मिले अंतिम संस्कार: लोगों का कहना है कि अभी भी आठ मजदूर हादसे के बाद से लापता हैं. जिनकी तलाश जारी है. लापता मजदूरों के कुछ परिवार वाले ऐसे भी हैं जो अपने भाई और पिता के वापस आने की उम्मीद खो चुके हैं. ऐसे परिवार वाले उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. परिवार वालों का कहना है कि अब कबतक इंतजार करेंगे. दुख की इस घड़ी में जब वो अकेले पड़े हैं कोई नेता और अफसर उनके घरों में झांकने तकन हीं आ रहा है.
''हमने उनके वापस आने की उम्मीद छोड़ दी है. अब हम हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. कोई भी नेता और अफसर हमारे घरों में झांकने तक नहीं आ रहा है. मेरे पिता सुबह छह बजे काम पर जाते थे और शाम छह बजे वापस घर आते थे. आज उनके गए दो दिन बीत गए हैं. वह अभी तक घर नहीं लौटे हैं. उनके लापता होने की खबर हमलोगों को फैक्ट्री की ओर से दी गई. अब उनके आने की उम्मीद खत्म हो चुकी है''. - नरहर यदु, लापता मजदूर के बेटे
कई घरों में आज नहीं जले चूल्हे: लापता मजदूरों के परिवार वाले मुक्तिधाम में कुशा का पुतला बनाकर अपनो की याद में उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. गांव वाले शासन के रवैये से काफी नाराज भी हैं. आज भी कई घरों में चूल्हे नहीं जले हैं. कई घरों की महिलाएं दौड़ दौड़कर मलबे के पास जाती हैं और चीखकर बेहोश हो जाती हैं. शासन ने जरुर मुआवजे का मरहम लगाया है लेकिन मरहम जिंदगी के उन घावों को कहीं नहीं भर पाएगा जो इन्हे दिया गया है.
बारूद धमाके में अबतक लापता लोग
- पुष्पराज देवदास, बोरसी बारूद फैक्ट्री का कर्मचारी
- रामकिशुन ध्रुव, बोरसी बारूद फैक्ट्री का कर्मचारी
- भीषम साहू, बोरसी बारूद फैक्ट्री का कर्मचारी
- नीरज ध्रुव, बोरसी बारूद फैक्ट्री का कर्मचारी
- नरहर यदु, बोरसी बारूद फैक्ट्री का कर्मचारी
- विजय गंधर्व, बोरसी बारूद फैक्ट्री का कर्मचारी
- शंकर यादव, बोरसी बारूद फैक्ट्री का कर्मचारी
- लोकनाथ यादव, बोरसी बारूद फैक्ट्री का कर्मचारी