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गिरफ्तारी की भनक लगते ही लालू यादव ने CM पद से दिया था इस्तीफा, पहले राबड़ी देवी को कुर्सी पर बिठाए, फिर गए जेल - Lalu Yadav - LALU YADAV

Lalu Yadav : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार हुए हैं. यह पहला मामला नहीं है, जब देश के किसी राज्य का मुख्यमंत्री जेल गया हो. बिहार भी इससे अछूता नहीं रहा है, या यूं कहें कि बिहार इसमें अग्रणी राज्य है. पढ़ें पूरी खबर

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 22, 2024, 8:41 PM IST

पटना : 90 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, तो उनके कार्यकाल में पशुपालन घोटाला हुआ था. यह वो वक्त था जब बिहार-झारखंड संयुक्त बिहार हुआ करता था. कहा यह जाता है कि लालू प्रसाद यादव की देखरेख में पशुपालन घोटाला यानी कि चारा घोटाला हुआ था. साल 1996 में पशुपालन विभाग के दफ्तर में छापेमारी की गई थी. उस दौरान कई कंपनियों द्वारा पैसा हेरा फेरी का मामला सामने आया था.

लालू ने राबड़ी देवी को CM बनाया : 11 मार्च 1996 को पटना हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया था. 1996 में ही सीबीआई ने चाईबासा खजाने मामले में प्राथमिकी दर्ज की और 23 जून 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया. लालू यादव ने भी कानून की पढ़ाई की है, उन्हें इस बात का इल्म हो गया कि वह बचाने वाले नहीं है तो, उन्होंने 25 जुलाई 1997 को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी धर्मपत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया.

97 में समर्पण 99 में बेल : 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने सीबीआई की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया उसके बाद उनको न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. इस दौरान लालू यादव पटना के बेउर जेल में लगभग डेढ़ साल रह गए. लालू यादव को 9 जनवरी 1999 को बेल मिला. लालू यादव के समर्थक पटना के बेउर जेल में टूट पड़े.

जेल से हाथी पर निकले थे लालू : लालू यादव ने भारी जन समर्थन को देखते हुए इसे एक इवेंट का रूप दे दिया. लालू यादव और उनके साले सुभाष यादव और साधु यादव ने हाथी की व्यवस्था की और उनको हाथी पर बैठा कर जेल से बाहर निकाला. लालू यादव जब बेउर जेल से निकले तो ऐसा लग रहा था कि वह जेल से नहीं किसी जंग को जीत कर बाहर निकले हों. पूरे शहर में उनके समर्थक लालू यादव के साथ चल रहे थे. लालू यादव ने हाथी पर अपना रोड शो किया था. यह वह वक्त था जब लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थी और लालू यादव जेल से निकलने के बाद रोड शो कर रहे थे.

हाथी से लालू ने किया शक्ति प्रदर्शन : लालू यादव का यह भी मकसद था कि वह अपने विरोधियों को यह दिखा दें कि उनके जेल जाने से उनका कोई बाल बांका नहीं हुआ. वह दोगुनी-चौगुनी शक्ति के साथ बाहर निकले हैं. इस रोड शो में किसी की कोई पाबंदी नहीं थी. पत्नी मुख्यमंत्री थी, प्रशासन ने कोई रोक नहीं लगाया. लालू यादव ने खुलेआम पटना की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन किया. इस जेल यात्रा के बाद लालू यादव सात बार जेल जा चुके हैं.

गाड़ियों के काफिले के साथ कोर्ट गए थे : बात उस समय की है जब 2002 में लालू यादव को चारा घोटाले मामले में रांची के स्पेशल कोर्ट में बुलाया गया था. उस समय लालू यादव गरीब रथ से रांची के स्पेशल कोर्ट में गए थे. पटना से लेकर रांची तक का माहौल यह था कि उनके हजारों समर्थक गाड़ियों के बड़े काफिले के साथ रांची पहुंचे थे. पटना से रांची तक जहां से यह काफिला गुजरा था सिर्फ धूल ही धूल नजर आता था. इतने बड़े जन समर्थन के साथ रांची पहुंचे लालू यादव को कोर्ट ने राहत नहीं दिया था. कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. यह लालू यादव की दूसरी गिरफ्तारी थी.

साढे 32 साल की सजा हुई है : चारा घोटाले मामले में लालू यादव को पांच सजा हुई है. पांचो सजा अलग-अलग मुकर्रर की गई थी. यदि इन पांचो सजा को जोड़ दिया जाए तो लालू यादव साढ़े 32 साल जेल में रहेंगे. हालांकि स्वास्थ्य कारणों से लालू यादव ने कोर्ट से जमानत लिया हुआ है और अभी वह जमानत पर जेल से बाहर हैं. हम आपको बताते हैं कि लालू यादव को किस-किस मामले में कितनी-कितनी सजा हुई थी और यह कब हुई थी.

चाईबासा ट्रेजरी मामले में मिली थी पहली सजा : 3 अक्टूबर 2013 को चाईबासा ट्रेजरी मामले में सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव को 5 साल की सजा और 25 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई थी. उस समय वह दो महीने के लिए जेल भी गए थे. हालांकि दिसंबर में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी. यही सजा हुई थी तब उन्हें लोकसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी थी और उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था. चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड रुपए की अवैध निकासी की गई थी.

देवघर ट्रेजरी को लेकर दूसरी सजा : 6 जनवरी 2018 को देवघर ट्रेजरी के मामले में लालू प्रसाद यादव को साढ़े 3 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. देवघर ट्रेजरी से 89. 27 लाख की अवैध निकासी की गई थी. वही, 17 दिन बाद 23 जनवरी 2018 को लाल यादव को तीसरी सजा भी सुनाई गई थी. यह चाईबासा ट्रेजरी से 33. 67 करोड रुपए अवैध निकालने के मामले में 5 साल की कैद और 10 लाख जमाने की सजा सुनाई गई थी.

डोरंडा मामले में अंतिम सजा : 2 महीने बाद दुमका ट्रेजरी के मामले में 15 मार्च 2018 को लालू यादव को चौथी सजा सुनाई गई थी. दुमका ट्रेजरी से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी का मामला था. जिसमें अलग-अलग सात-सात साल की कैद की सजा सुनाई गई थी और एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था. पांचवीं और अंतिम सजा 21 फरवरी 2022 को डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को सुनाई गई थी. इस मामले में 5 साल की कैद और 60 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया था.

जेल गए और मजबूत हुए लालू : लालू यादव जब-जब जेल गए तब तब उन्हें राजनीतिक रूप से फायदा मिला. 1997 में जब लालू यादव जेल गए और 1999 में जब बाहर निकले तो लालू यादव की ताकत बहुत बढ़ गई थी. उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2000 में भारी बहुमत से जीत हासिल किया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को फिर से मुख्यमंत्री बनाया. वहीं 2015 जब जेल से बाहर थे तो उन्होंने अपने छोटे बेटे और बड़े बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप को राजनीति में लॉन्च किया. तेजस्वी यादव को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया और बड़े बेटे तेज प्रताप को बिहार का स्वास्थ्य मंत्री बना दिया. तब उन्होंने नीतीश कुमार से गठबंधन करके अपनी ताकत बढ़ा ली थी.

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पटना : 90 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, तो उनके कार्यकाल में पशुपालन घोटाला हुआ था. यह वो वक्त था जब बिहार-झारखंड संयुक्त बिहार हुआ करता था. कहा यह जाता है कि लालू प्रसाद यादव की देखरेख में पशुपालन घोटाला यानी कि चारा घोटाला हुआ था. साल 1996 में पशुपालन विभाग के दफ्तर में छापेमारी की गई थी. उस दौरान कई कंपनियों द्वारा पैसा हेरा फेरी का मामला सामने आया था.

लालू ने राबड़ी देवी को CM बनाया : 11 मार्च 1996 को पटना हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया था. 1996 में ही सीबीआई ने चाईबासा खजाने मामले में प्राथमिकी दर्ज की और 23 जून 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया. लालू यादव ने भी कानून की पढ़ाई की है, उन्हें इस बात का इल्म हो गया कि वह बचाने वाले नहीं है तो, उन्होंने 25 जुलाई 1997 को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी धर्मपत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया.

97 में समर्पण 99 में बेल : 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने सीबीआई की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया उसके बाद उनको न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. इस दौरान लालू यादव पटना के बेउर जेल में लगभग डेढ़ साल रह गए. लालू यादव को 9 जनवरी 1999 को बेल मिला. लालू यादव के समर्थक पटना के बेउर जेल में टूट पड़े.

जेल से हाथी पर निकले थे लालू : लालू यादव ने भारी जन समर्थन को देखते हुए इसे एक इवेंट का रूप दे दिया. लालू यादव और उनके साले सुभाष यादव और साधु यादव ने हाथी की व्यवस्था की और उनको हाथी पर बैठा कर जेल से बाहर निकाला. लालू यादव जब बेउर जेल से निकले तो ऐसा लग रहा था कि वह जेल से नहीं किसी जंग को जीत कर बाहर निकले हों. पूरे शहर में उनके समर्थक लालू यादव के साथ चल रहे थे. लालू यादव ने हाथी पर अपना रोड शो किया था. यह वह वक्त था जब लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थी और लालू यादव जेल से निकलने के बाद रोड शो कर रहे थे.

हाथी से लालू ने किया शक्ति प्रदर्शन : लालू यादव का यह भी मकसद था कि वह अपने विरोधियों को यह दिखा दें कि उनके जेल जाने से उनका कोई बाल बांका नहीं हुआ. वह दोगुनी-चौगुनी शक्ति के साथ बाहर निकले हैं. इस रोड शो में किसी की कोई पाबंदी नहीं थी. पत्नी मुख्यमंत्री थी, प्रशासन ने कोई रोक नहीं लगाया. लालू यादव ने खुलेआम पटना की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन किया. इस जेल यात्रा के बाद लालू यादव सात बार जेल जा चुके हैं.

गाड़ियों के काफिले के साथ कोर्ट गए थे : बात उस समय की है जब 2002 में लालू यादव को चारा घोटाले मामले में रांची के स्पेशल कोर्ट में बुलाया गया था. उस समय लालू यादव गरीब रथ से रांची के स्पेशल कोर्ट में गए थे. पटना से लेकर रांची तक का माहौल यह था कि उनके हजारों समर्थक गाड़ियों के बड़े काफिले के साथ रांची पहुंचे थे. पटना से रांची तक जहां से यह काफिला गुजरा था सिर्फ धूल ही धूल नजर आता था. इतने बड़े जन समर्थन के साथ रांची पहुंचे लालू यादव को कोर्ट ने राहत नहीं दिया था. कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. यह लालू यादव की दूसरी गिरफ्तारी थी.

साढे 32 साल की सजा हुई है : चारा घोटाले मामले में लालू यादव को पांच सजा हुई है. पांचो सजा अलग-अलग मुकर्रर की गई थी. यदि इन पांचो सजा को जोड़ दिया जाए तो लालू यादव साढ़े 32 साल जेल में रहेंगे. हालांकि स्वास्थ्य कारणों से लालू यादव ने कोर्ट से जमानत लिया हुआ है और अभी वह जमानत पर जेल से बाहर हैं. हम आपको बताते हैं कि लालू यादव को किस-किस मामले में कितनी-कितनी सजा हुई थी और यह कब हुई थी.

चाईबासा ट्रेजरी मामले में मिली थी पहली सजा : 3 अक्टूबर 2013 को चाईबासा ट्रेजरी मामले में सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव को 5 साल की सजा और 25 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई थी. उस समय वह दो महीने के लिए जेल भी गए थे. हालांकि दिसंबर में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी. यही सजा हुई थी तब उन्हें लोकसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी थी और उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था. चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड रुपए की अवैध निकासी की गई थी.

देवघर ट्रेजरी को लेकर दूसरी सजा : 6 जनवरी 2018 को देवघर ट्रेजरी के मामले में लालू प्रसाद यादव को साढ़े 3 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. देवघर ट्रेजरी से 89. 27 लाख की अवैध निकासी की गई थी. वही, 17 दिन बाद 23 जनवरी 2018 को लाल यादव को तीसरी सजा भी सुनाई गई थी. यह चाईबासा ट्रेजरी से 33. 67 करोड रुपए अवैध निकालने के मामले में 5 साल की कैद और 10 लाख जमाने की सजा सुनाई गई थी.

डोरंडा मामले में अंतिम सजा : 2 महीने बाद दुमका ट्रेजरी के मामले में 15 मार्च 2018 को लालू यादव को चौथी सजा सुनाई गई थी. दुमका ट्रेजरी से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी का मामला था. जिसमें अलग-अलग सात-सात साल की कैद की सजा सुनाई गई थी और एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था. पांचवीं और अंतिम सजा 21 फरवरी 2022 को डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को सुनाई गई थी. इस मामले में 5 साल की कैद और 60 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया था.

जेल गए और मजबूत हुए लालू : लालू यादव जब-जब जेल गए तब तब उन्हें राजनीतिक रूप से फायदा मिला. 1997 में जब लालू यादव जेल गए और 1999 में जब बाहर निकले तो लालू यादव की ताकत बहुत बढ़ गई थी. उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2000 में भारी बहुमत से जीत हासिल किया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को फिर से मुख्यमंत्री बनाया. वहीं 2015 जब जेल से बाहर थे तो उन्होंने अपने छोटे बेटे और बड़े बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप को राजनीति में लॉन्च किया. तेजस्वी यादव को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया और बड़े बेटे तेज प्रताप को बिहार का स्वास्थ्य मंत्री बना दिया. तब उन्होंने नीतीश कुमार से गठबंधन करके अपनी ताकत बढ़ा ली थी.

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