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बस्तर में थम गया चुनावी शोर अब प्रचार डोर टू डोर, एक क्लिक में जानिए बस्तर का पूरा गणित - LOK SABHA ELECTION 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

बस्तर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान है. सुरक्षित मतदान के लिए बस्तर में चप्पे चप्पे पर जवानों की तैनाती की गई है. कुछ जगहों पर मतदान दलों को हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंचाने का काम भी शुरु हो चुका है. छत्तीसगढ़ में कुल 11 लोकसभा सीटें हैं उसमें से बस्तर एक है.

LOK SABHA ELECTION 2024
थम गया शोर अब प्रचार डोर टू डोर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 17, 2024, 6:55 PM IST

बस्तर: नक्सल प्रभावित लोकसभा सीट बस्तर पर पहले चरण में मतदान शुक्रवार के दिन होगा. मतदान को लेकर सारी तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं. बस्तर में सुरक्षित मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से तैयार है. बस्तर लोकसभा सीट पर सुरक्षा के लिहाज से अर्धसैनिक बलों की बड़ी टुकड़ियों की तैनाती की गई है. मतदान से पहले केंद्रीय चुनाव आयोग ने शत प्रतिशत मतदान के लिए लोगों को जागरुक करने का अभियान भी चलाया. निर्वाचन आयोग ने वोटरों को बताया कि उनका एक एक वोट कितना कीमती है.

थम गया चुनावी शोर अब प्रचार डोर टू डोर: बस्तर लोकसभा सीट पर शुक्रवार को मतदान होना है. मतदान से 48 घंटे पहले यानि बुधवार की शाम पांच बजे चुनावी शोर थम गया. अब प्रत्याशी डोर टू डोर जाकर प्रचार करेंगे. आदर्श आचार संहिता का अगर का पार्टी उल्लंघन करती है तो उसपर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी. चुनाव आयोग प्रचार पर नजर रखने के लिए बाकायदा प्रत्याशियों के कैंपेन की रिकार्डिंग भी करवा रही है.

19 अप्रैल को चुनिए अपनी सरकार: वोट आपका अधिकार है. आप अपने वोट से अपने नेता का चुनाव करते हैं. आपका चुना हुआ नेता आपका प्रतिनिधि बनकर देश की संसद में आपके लिए आवाज उठाता है. आपके जिले की समस्याओं को सुलझाने और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काम करता है. चुनाव आयोग से लेकर तमाम स्वंयसेवी संस्थाएं भी अपील कर रहे हैं कि आप अपना कीमती वोट जरूर दें.

नक्सल प्रभावित है बस्तर लोकसभा सीट: बस्तर लोकसभा सीट नक्सल प्रभावित होने के चलते इलाके में सालों से विकास का काम अटका पड़ा है. विकास का काम नहीं होने के चलते बस्तर विकास में लगातार पिछड़ा रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 में बस्तर के लोगों को भी उम्मीद है कि इस बार वो अपने वोट से विकास की राह पर आगे बढ़ेंगे. नक्सल प्रभावित इलाकों में वोटरों में सुरक्षा की भावना जगाने के लिए जवानों ने फ्लैग मार्च भी किया. फ्लैग मार्च के जरिए जवानों ने नागरिकों को संदेश दिया कि वो बिना डरे घर से निकलें और अपना वोट डालें. नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है.

ड्रोन से रखी जाएगी नजर: जंगलों के बीच बसे इलाकों में सुरक्षित मतदान और नक्सलियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली जाएगी. संवेदनशील इलाकों और मतदान स्थलों के पास जवानों का सर्चिंग अभियान तेज कर दिया गया है. मतदान दलों को कुछ जगहों पर हेलीकॉप्टर की मदद से भी पहुंचाया गया है. चुनाव आयोग ने साफ किया है कि हर हाल में सुरक्षित मतदान होगा. हिंसा और हंगाम करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.

संवेदनशील मतदान केंद्रों की होगी निगरानी : बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार 14 लाख 72 हजार मतदाता अपना वोट डालेंगे. मतदान के लिए बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार 1961 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जो मतदान केंद्र संवेदनशील जगहों पर हैं वहां पर हेलीकॉप्टर की मदद से मतदान दलों को पहुंचाया जाएगा. बस्तर लोकसभा सीट का बड़ा हिस्सा नक्सल प्रभावित इलाकों में गिना जाता है. लिहाजा संवेदनशील मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की जा रही है.

बस्तर में वोटरों के बड़े मुद्दे: बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव में कई बड़े मुद्दे हैं जिनपर मतदान होगा. पहला मुद्दा है बेरोजगारी. बस्तर के युवा इस बार चाहते हैं कि जो नेता उनकी बेरोजगारी की समस्या को दूर करेगा वो उसके साथ ही जाएंगे. बस्तर का विकास भी एक बड़ा मुद्दा है. इस बार के वोट में बस्तर का विकास भी बड़ा मुद्दा है. लोग चाहते हैं कि वो उस आदमी को चुनें जो बस्तर को जानता हो और उसका विकास कर पाए. नक्सलवाद भी बस्तर के चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा है. बस्तर के लोग भी चाहते हैं कि वो भी रायपुर शहर के विकास को अपने बस्तर में देखें.

बस्तर के दुर्गम इलाकों में चुनाव दल को हेलीकॉप्टर से रवाना किया गया: दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित बुरगुम पोटाली और नीलावया में मतदान दलों को हेलीकॉप्टर की मदद से मतदान केंद्रों पर पहुंचाया गया. दंतेवाड़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ, डीआरजी और दंतेश्वरी फाइटर्स के जवानों की तैनाती होगी. मतदान से 48 घंटे पहले ही दुर्गम इलाकों में मतदान दलों को चुनाव आयोग ने पहुंचा दिया है. 22 मतदान दलों की टीम को बुरगुम और पोटाली में भेजा गया है. रिटर्निंग ऑफिसर जयंत नाटा ने बताया कि मतदान केंद्र की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है. दंतेवाड़ा के अलावा बीजापुर, सुकमा और बस्तर के दूसरे इलाके में मतदान दलों को हेलीकॉप्टर से भेजा गया.

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बस्तर लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें: बस्तर लोकसभा सीट में आठ विधानसभा सीटें हैं. इन आठ सीटों में कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर विधानसभा, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा. सभी आठ विधानसभा सीटें नक्सल प्रभावित जिलों में गिने जाते हैं.

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2024 का सियासी समीकरण: इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने दिग्गज आदिवासी नेता महेश कश्यप को मैदान में उतारा है. महेश कश्यप की गिनती बस्तर में बड़े आदिवासी नेता के तौरप होती है. महेश कश्यप शुरु से हिंदूवादी संगठनों से भी जुड़े रहे हैं. महेश कश्यप का यहां मुकाबला दिग्गज आदिवासी नेता कवासी लखमा से है. कवासी लखमा का आदिवासी इलाकों में अच्छा होल्ड माना जाता है. लखमा कोंटा से कांग्रेस के पांच बार विधायक भी चुने गए हैं. 2023 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस की पूरी सेना को हार का सामना करना पड़ा था तब कोंटा सीट से कवासी लखमा ने विजय हासिल की थी.

2019 में कांग्रेस ने पलटी थी बाजी: 2019 के चुनाव में जब बीजेपी के नेता मोदी की लहर पर सवार थे तब इस सीट से दीपक बैज ने विजय हासिल की थी. दीपक बैज ने इस सीट से बीजेपी के बैदू राम कश्यप को हराया था. दीपक बैज को 46.2 फीसदी वोट मिले थे जबकी बीजेपी को 41.73 फीसदी वोट पड़े थे. मुकाबला कांटे का था लेकिन कांग्रेस ने बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा दी.

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बस्तर: नक्सल प्रभावित लोकसभा सीट बस्तर पर पहले चरण में मतदान शुक्रवार के दिन होगा. मतदान को लेकर सारी तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं. बस्तर में सुरक्षित मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से तैयार है. बस्तर लोकसभा सीट पर सुरक्षा के लिहाज से अर्धसैनिक बलों की बड़ी टुकड़ियों की तैनाती की गई है. मतदान से पहले केंद्रीय चुनाव आयोग ने शत प्रतिशत मतदान के लिए लोगों को जागरुक करने का अभियान भी चलाया. निर्वाचन आयोग ने वोटरों को बताया कि उनका एक एक वोट कितना कीमती है.

थम गया चुनावी शोर अब प्रचार डोर टू डोर: बस्तर लोकसभा सीट पर शुक्रवार को मतदान होना है. मतदान से 48 घंटे पहले यानि बुधवार की शाम पांच बजे चुनावी शोर थम गया. अब प्रत्याशी डोर टू डोर जाकर प्रचार करेंगे. आदर्श आचार संहिता का अगर का पार्टी उल्लंघन करती है तो उसपर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी. चुनाव आयोग प्रचार पर नजर रखने के लिए बाकायदा प्रत्याशियों के कैंपेन की रिकार्डिंग भी करवा रही है.

19 अप्रैल को चुनिए अपनी सरकार: वोट आपका अधिकार है. आप अपने वोट से अपने नेता का चुनाव करते हैं. आपका चुना हुआ नेता आपका प्रतिनिधि बनकर देश की संसद में आपके लिए आवाज उठाता है. आपके जिले की समस्याओं को सुलझाने और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काम करता है. चुनाव आयोग से लेकर तमाम स्वंयसेवी संस्थाएं भी अपील कर रहे हैं कि आप अपना कीमती वोट जरूर दें.

नक्सल प्रभावित है बस्तर लोकसभा सीट: बस्तर लोकसभा सीट नक्सल प्रभावित होने के चलते इलाके में सालों से विकास का काम अटका पड़ा है. विकास का काम नहीं होने के चलते बस्तर विकास में लगातार पिछड़ा रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 में बस्तर के लोगों को भी उम्मीद है कि इस बार वो अपने वोट से विकास की राह पर आगे बढ़ेंगे. नक्सल प्रभावित इलाकों में वोटरों में सुरक्षा की भावना जगाने के लिए जवानों ने फ्लैग मार्च भी किया. फ्लैग मार्च के जरिए जवानों ने नागरिकों को संदेश दिया कि वो बिना डरे घर से निकलें और अपना वोट डालें. नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है.

ड्रोन से रखी जाएगी नजर: जंगलों के बीच बसे इलाकों में सुरक्षित मतदान और नक्सलियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली जाएगी. संवेदनशील इलाकों और मतदान स्थलों के पास जवानों का सर्चिंग अभियान तेज कर दिया गया है. मतदान दलों को कुछ जगहों पर हेलीकॉप्टर की मदद से भी पहुंचाया गया है. चुनाव आयोग ने साफ किया है कि हर हाल में सुरक्षित मतदान होगा. हिंसा और हंगाम करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.

संवेदनशील मतदान केंद्रों की होगी निगरानी : बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार 14 लाख 72 हजार मतदाता अपना वोट डालेंगे. मतदान के लिए बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार 1961 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जो मतदान केंद्र संवेदनशील जगहों पर हैं वहां पर हेलीकॉप्टर की मदद से मतदान दलों को पहुंचाया जाएगा. बस्तर लोकसभा सीट का बड़ा हिस्सा नक्सल प्रभावित इलाकों में गिना जाता है. लिहाजा संवेदनशील मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की जा रही है.

बस्तर में वोटरों के बड़े मुद्दे: बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव में कई बड़े मुद्दे हैं जिनपर मतदान होगा. पहला मुद्दा है बेरोजगारी. बस्तर के युवा इस बार चाहते हैं कि जो नेता उनकी बेरोजगारी की समस्या को दूर करेगा वो उसके साथ ही जाएंगे. बस्तर का विकास भी एक बड़ा मुद्दा है. इस बार के वोट में बस्तर का विकास भी बड़ा मुद्दा है. लोग चाहते हैं कि वो उस आदमी को चुनें जो बस्तर को जानता हो और उसका विकास कर पाए. नक्सलवाद भी बस्तर के चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा है. बस्तर के लोग भी चाहते हैं कि वो भी रायपुर शहर के विकास को अपने बस्तर में देखें.

बस्तर के दुर्गम इलाकों में चुनाव दल को हेलीकॉप्टर से रवाना किया गया: दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित बुरगुम पोटाली और नीलावया में मतदान दलों को हेलीकॉप्टर की मदद से मतदान केंद्रों पर पहुंचाया गया. दंतेवाड़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ, डीआरजी और दंतेश्वरी फाइटर्स के जवानों की तैनाती होगी. मतदान से 48 घंटे पहले ही दुर्गम इलाकों में मतदान दलों को चुनाव आयोग ने पहुंचा दिया है. 22 मतदान दलों की टीम को बुरगुम और पोटाली में भेजा गया है. रिटर्निंग ऑफिसर जयंत नाटा ने बताया कि मतदान केंद्र की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है. दंतेवाड़ा के अलावा बीजापुर, सुकमा और बस्तर के दूसरे इलाके में मतदान दलों को हेलीकॉप्टर से भेजा गया.

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बस्तर लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें: बस्तर लोकसभा सीट में आठ विधानसभा सीटें हैं. इन आठ सीटों में कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर विधानसभा, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा. सभी आठ विधानसभा सीटें नक्सल प्रभावित जिलों में गिने जाते हैं.

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2024 का सियासी समीकरण: इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने दिग्गज आदिवासी नेता महेश कश्यप को मैदान में उतारा है. महेश कश्यप की गिनती बस्तर में बड़े आदिवासी नेता के तौरप होती है. महेश कश्यप शुरु से हिंदूवादी संगठनों से भी जुड़े रहे हैं. महेश कश्यप का यहां मुकाबला दिग्गज आदिवासी नेता कवासी लखमा से है. कवासी लखमा का आदिवासी इलाकों में अच्छा होल्ड माना जाता है. लखमा कोंटा से कांग्रेस के पांच बार विधायक भी चुने गए हैं. 2023 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस की पूरी सेना को हार का सामना करना पड़ा था तब कोंटा सीट से कवासी लखमा ने विजय हासिल की थी.

2019 में कांग्रेस ने पलटी थी बाजी: 2019 के चुनाव में जब बीजेपी के नेता मोदी की लहर पर सवार थे तब इस सीट से दीपक बैज ने विजय हासिल की थी. दीपक बैज ने इस सीट से बीजेपी के बैदू राम कश्यप को हराया था. दीपक बैज को 46.2 फीसदी वोट मिले थे जबकी बीजेपी को 41.73 फीसदी वोट पड़े थे. मुकाबला कांटे का था लेकिन कांग्रेस ने बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा दी.

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