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विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल - Barton Library of Bhavnagar

Barton Library of Bhavnagar : आज विश्व पुस्तक दिवस है, इस मौके पर ईटीवी भारत ने गुजरात के भावनगर की रियासत काल की बार्टन लाइब्रेरी का विशेष दौरा किया. किताबों के सागर के नाम से मशहूर बार्टन लाइब्रेरी में युवा और बुजुर्ग पाठकों ने क्या कहा जानिए...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 23, 2024, 7:27 PM IST

भावनगर: विश्व पुस्तक दिवस को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस के रूप में भी जाना जाता है. विश्व के महान लेखक विलियम शेक्सपियर का निधन 23 अप्रैल 1616 को हुआ था. साहित्य की जगत में शेक्सपियर का जो कद है, उसको देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.

प्रतिवर्ष 23 अप्रैल को पुस्तक दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के द्वारा पढ़ने प्रकाशन और कॉपीराइट को बढ़ावा देने हेतु प्रत्येक साल 23 अप्रैल की निर्धारित तिथि को विश्व पुस्तक दिवस का आयोजन किया जाता है. आज विश्व पुस्तक दिवस के मौके पर हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आजकल की नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी को किताबों कितनी रुचि है. इसके लिए आज भावनगर स्थित बार्टन लाइब्रेरी में लोगों से उनकी राय जानेंगे.

मानव जीवन के किसी ना किसी क्षेत्र में पुस्तकों ने हमेशा इतिहास, वर्तमान और भविष्य को प्रभावित किया है, क्षेत्र या विषय कोई भी हो, लोगों ने इससे सकारात्मक और नकारात्मक ज्ञान प्राप्त किया है. विश्व पुस्तक दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने भावनगर स्थित बार्टन लाइब्रेरी का विशेष दौरा किया, और वहां के लोगों से यह जानने की कोशिश की कि वे इस लाइब्रेरी से कितने ज्यादा जुड़े है, और उनके जीवन में इंटरनेट के युग में किताबें कितना महत्व रखती है.

Barton Library of Bhavnagar know its status on World Book Day
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

इसपर, लाइब्रेरी के प्रबंधक नितिनभाई ने कहा कि 141 वर्षों से अखंड ज्ञान का सागर बना हुआ है बार्टन लाइब्रेरी, क्योंकि बार्टन लाइब्रेरी में विभिन्न भाषाओं के 90,000 से अधिक पुस्तकें और 100 वर्ष से अधिक पुरानी 5,000 से अधिक पुस्तकें हैं. आजकल की नई पीढ़ी भी बार्टन लाइब्रेरी में आना पसंद करती है. यहां पर उपस्थित पुस्तकों का भण्डार सभी को अपनी ओर अकर्षिक करता है.

विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

वहीं, बार्टन लाइब्रेरी में एक बूढ़े और एक युवक से जब ETV भारत के संवाददाता ने इस मुद्दे पर चर्चा की. तो वे दंग रह गए. युवा और बुजुर्ग दोनों ने अपना वोट हर वर्ग के लिए उपयुक्त होने पर बार्टन लाइब्रेरी को दिया. क्योंकि किताबों की कीमत भी इन दिनों बहुत बढ़ गई है.

Barton Library of Bhavnagar know its status on World Book Day
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

राजेशभाई देसाई, जो बचपन से बार्टन लाइब्रेरी के सदस्य रहे हैं, उन्होंने अपनी राय व्यक्त की. उन्होंने बताया कि बचपन से ही इस लाइब्रेरी का सदस्य रहा हूं और बचपन से ही यहां की किताबें पढ़ता आ रहा हूं. मैं तब से किताबें पढ़ रहा हूं जब मैं सात या आठ साल का था, मेरा मानना है कि किताबें ही इंसान की सच्ची दोस्त होती हैं. अगर कोई इंसान का विकास कर सकता है तो सिर्फ किताबें ही कर सकती हैं. जब आप तारक मेहता पढ़ते हैं तो आपको अपने आप हंसी आ जाती है. आज के समय में आप इंटरनेट से उतना नहीं पढ़ सकते जितना किसी किताब में लिखा होता है. एक किताब हमेशा के लिए खुशी देती है.

Barton Library of Bhavnagar know its status on World Book Day
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

वहीं, बार्टन लाइब्रेरी के एक युवा छात्र चिराग बंभानिया ने कहा कि एक कॉलेज के छात्र के रूप में, हर कोई प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए बहुत तैयारी करता है, इसलिए हर कोई बाजार से काफी किताबें खरीदता है. लेकिन बाजार में किताबें आजकल बहुत महंगी मिलती है इसलिए बाजार से महंगी किताबें खरीदना पसंद नहीं है क्योंकि वे उन्हें एक बार पढ़कर रख देते हैं. युवा छात्र चिराग का कहना है कि मैं जो भी पढ़ना चाहता हूं, उस विषय की पुस्तक इस पुस्तकालय में उपलब्ध होती है और यहां से पुस्तकों का आदान-प्रदान भी किया जा सकता है.

बार्टन लाइब्रेरी का इतिहास
बार्टन लाइब्रेरी की स्थापना का इतिहास छगन प्रसाद देसाई लाइब्रेरी से जुड़ा है. यह काठियावाड़ क्षेत्र में किसी संस्थान की स्थापना की दिशा में पहली पहल थी. भावनगर के पढ़ने की भूख को संतुष्ट करने के लिए, दिवंगत दीवान गौरीशंकर ओझा ने 1860 ई. में छगनभाई देसाई लाइब्रेरी की स्थापना की. यह लाइब्रेरी बाद में बार्टन लाइब्रेरी की लहर पैदा करने वाली एक छोटी सी बूंद थी.

Barton Library of Bhavnagar know its status on World Book Day
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

बार्टन लाइब्रेरी वास्तव में कितनी पुरानी है?
बार्टन लाइब्रेरी 150 वर्ष पुरानी है. 30 दिसम्बर , 1882 इसकी स्थापना तिथि बताई जाती है. 30 दिसंबर, 1882 को इसका उद्घाटन राजा तख्तसिंहजी गोहिल ने किया और उन्होंने अंग्रेजी राजनीतिक एजेंट कर्नल एलसी बार्टन के नाम पर पुस्तकालय का नाम रखा. यह संस्था छगन प्रसाद पुस्तकालय से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है और गुजरात की महान संस्कृति के मानचित्र में इसका विशेष नाम है. शिक्षाविद्, शोधकर्ता और बुद्धिजीवी इस संगठन को सूचनाओं का खजाना मानते हैं.

विभिन्न विषयों पर हजारों गुजराती पुस्तकें पुस्तकालय का एक अभिन्न अंग हैं. राज्य का इतिहास बार्टन लाइब्रेरी के बिना अधूरा है और गुजरात के पुस्तक प्रेमी उत्सुकता से चाहते हैं कि यह लाइब्रेरी देश की सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी बनकर उभरे. नवापारा में निगम के पास अब मजीराज कन्याशाला की विशाल इमारत, शुरुआत में 1882 ई. में बार्टन लाइब्रेरी थी. महात्मा गांधी इसके नियमित पाठकों में से थे.

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भावनगर: विश्व पुस्तक दिवस को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस के रूप में भी जाना जाता है. विश्व के महान लेखक विलियम शेक्सपियर का निधन 23 अप्रैल 1616 को हुआ था. साहित्य की जगत में शेक्सपियर का जो कद है, उसको देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.

प्रतिवर्ष 23 अप्रैल को पुस्तक दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के द्वारा पढ़ने प्रकाशन और कॉपीराइट को बढ़ावा देने हेतु प्रत्येक साल 23 अप्रैल की निर्धारित तिथि को विश्व पुस्तक दिवस का आयोजन किया जाता है. आज विश्व पुस्तक दिवस के मौके पर हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आजकल की नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी को किताबों कितनी रुचि है. इसके लिए आज भावनगर स्थित बार्टन लाइब्रेरी में लोगों से उनकी राय जानेंगे.

मानव जीवन के किसी ना किसी क्षेत्र में पुस्तकों ने हमेशा इतिहास, वर्तमान और भविष्य को प्रभावित किया है, क्षेत्र या विषय कोई भी हो, लोगों ने इससे सकारात्मक और नकारात्मक ज्ञान प्राप्त किया है. विश्व पुस्तक दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने भावनगर स्थित बार्टन लाइब्रेरी का विशेष दौरा किया, और वहां के लोगों से यह जानने की कोशिश की कि वे इस लाइब्रेरी से कितने ज्यादा जुड़े है, और उनके जीवन में इंटरनेट के युग में किताबें कितना महत्व रखती है.

Barton Library of Bhavnagar know its status on World Book Day
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

इसपर, लाइब्रेरी के प्रबंधक नितिनभाई ने कहा कि 141 वर्षों से अखंड ज्ञान का सागर बना हुआ है बार्टन लाइब्रेरी, क्योंकि बार्टन लाइब्रेरी में विभिन्न भाषाओं के 90,000 से अधिक पुस्तकें और 100 वर्ष से अधिक पुरानी 5,000 से अधिक पुस्तकें हैं. आजकल की नई पीढ़ी भी बार्टन लाइब्रेरी में आना पसंद करती है. यहां पर उपस्थित पुस्तकों का भण्डार सभी को अपनी ओर अकर्षिक करता है.

विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

वहीं, बार्टन लाइब्रेरी में एक बूढ़े और एक युवक से जब ETV भारत के संवाददाता ने इस मुद्दे पर चर्चा की. तो वे दंग रह गए. युवा और बुजुर्ग दोनों ने अपना वोट हर वर्ग के लिए उपयुक्त होने पर बार्टन लाइब्रेरी को दिया. क्योंकि किताबों की कीमत भी इन दिनों बहुत बढ़ गई है.

Barton Library of Bhavnagar know its status on World Book Day
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

राजेशभाई देसाई, जो बचपन से बार्टन लाइब्रेरी के सदस्य रहे हैं, उन्होंने अपनी राय व्यक्त की. उन्होंने बताया कि बचपन से ही इस लाइब्रेरी का सदस्य रहा हूं और बचपन से ही यहां की किताबें पढ़ता आ रहा हूं. मैं तब से किताबें पढ़ रहा हूं जब मैं सात या आठ साल का था, मेरा मानना है कि किताबें ही इंसान की सच्ची दोस्त होती हैं. अगर कोई इंसान का विकास कर सकता है तो सिर्फ किताबें ही कर सकती हैं. जब आप तारक मेहता पढ़ते हैं तो आपको अपने आप हंसी आ जाती है. आज के समय में आप इंटरनेट से उतना नहीं पढ़ सकते जितना किसी किताब में लिखा होता है. एक किताब हमेशा के लिए खुशी देती है.

Barton Library of Bhavnagar know its status on World Book Day
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

वहीं, बार्टन लाइब्रेरी के एक युवा छात्र चिराग बंभानिया ने कहा कि एक कॉलेज के छात्र के रूप में, हर कोई प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए बहुत तैयारी करता है, इसलिए हर कोई बाजार से काफी किताबें खरीदता है. लेकिन बाजार में किताबें आजकल बहुत महंगी मिलती है इसलिए बाजार से महंगी किताबें खरीदना पसंद नहीं है क्योंकि वे उन्हें एक बार पढ़कर रख देते हैं. युवा छात्र चिराग का कहना है कि मैं जो भी पढ़ना चाहता हूं, उस विषय की पुस्तक इस पुस्तकालय में उपलब्ध होती है और यहां से पुस्तकों का आदान-प्रदान भी किया जा सकता है.

बार्टन लाइब्रेरी का इतिहास
बार्टन लाइब्रेरी की स्थापना का इतिहास छगन प्रसाद देसाई लाइब्रेरी से जुड़ा है. यह काठियावाड़ क्षेत्र में किसी संस्थान की स्थापना की दिशा में पहली पहल थी. भावनगर के पढ़ने की भूख को संतुष्ट करने के लिए, दिवंगत दीवान गौरीशंकर ओझा ने 1860 ई. में छगनभाई देसाई लाइब्रेरी की स्थापना की. यह लाइब्रेरी बाद में बार्टन लाइब्रेरी की लहर पैदा करने वाली एक छोटी सी बूंद थी.

Barton Library of Bhavnagar know its status on World Book Day
विश्व पुस्तक दिवस पर जानिए भावनगर की बार्टन लाइब्रेरी का हाल

बार्टन लाइब्रेरी वास्तव में कितनी पुरानी है?
बार्टन लाइब्रेरी 150 वर्ष पुरानी है. 30 दिसम्बर , 1882 इसकी स्थापना तिथि बताई जाती है. 30 दिसंबर, 1882 को इसका उद्घाटन राजा तख्तसिंहजी गोहिल ने किया और उन्होंने अंग्रेजी राजनीतिक एजेंट कर्नल एलसी बार्टन के नाम पर पुस्तकालय का नाम रखा. यह संस्था छगन प्रसाद पुस्तकालय से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है और गुजरात की महान संस्कृति के मानचित्र में इसका विशेष नाम है. शिक्षाविद्, शोधकर्ता और बुद्धिजीवी इस संगठन को सूचनाओं का खजाना मानते हैं.

विभिन्न विषयों पर हजारों गुजराती पुस्तकें पुस्तकालय का एक अभिन्न अंग हैं. राज्य का इतिहास बार्टन लाइब्रेरी के बिना अधूरा है और गुजरात के पुस्तक प्रेमी उत्सुकता से चाहते हैं कि यह लाइब्रेरी देश की सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी बनकर उभरे. नवापारा में निगम के पास अब मजीराज कन्याशाला की विशाल इमारत, शुरुआत में 1882 ई. में बार्टन लाइब्रेरी थी. महात्मा गांधी इसके नियमित पाठकों में से थे.

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