कांकेर: बीजापुर जिले के पीडिया जंगल में 10 मई को पुलिस और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ को सर्व आदिवासी समाज ने फर्जी बताया. आदिवासी समाज ने कथित फर्जी एनकाउंटर के खिलाफ बंद बुलाया है. इसका असर भी दिखने लगा. बंद को समर्थन देते हुए कांकेर और बीजापुर में व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखी. सड़क पर भी लोगों की आवाजाही कम ही दिखी.
सर्व आदिवासी समाज का बंद को समर्थन: पीडिया मुठभेड़ के खिलाफ बंद को लेकर बस्तर चेम्बर ऑफ कॉमर्स को भी इसमें समर्थन देने के लिए पत्र लिखा गया. जिस पर उन्होंने भी इस पर अपनी सहमति देते हुए आधे पहर के लिए अपनी दुकानों से लेकर प्रतिष्ठानों को बंद करने की बात कही. बीजापुर के अंदरूनी इलाकों में व्यापारियों ने व्यापार प्रतिष्ठान, व्यावसायिक परिसर बंद कर आदिवासी समाज को समर्थन दिया. इस बंद को कांग्रेस पार्टी ने भी समर्थन दिया है.
क्या है पीडिया मुठभेड़: बीजापुर जिले के ग्राम पीडिया में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ को कथित बताते हुए सर्व आदिवासी समाज की 58 सदस्यीय टीम 17 मई को गांव पहुंची. जहां इस बात का खुलासा हुआ कि पीडिया के जंगल में तेंदूपत्ता बेचने गए लोगों को मार दिया गया.
बताया गया कि "मारागुमेड तेंदूपत्ता खरीदी फड़ में ग्रामीण तेंदूपत्ता खरीदने और बेचने के लिए गए हुए थे. अचानक पुलिस टीम को आता देख वहां मौजूद लोग भागने लगे. ये देखकर पुलिस की टीम ने चारों ओर से ग्रामीणों को घेर लिया. कुछ लोग पेड़ पर चढ़ गए तो कुछ झाड़ियों के पीछे छुप गए. बताया गया कि ग्रामीणों ने अपने आप को साधारण आदमी बताने के बाद भी पुलिस टीम ने उन्हें गोली मार दी. पेड़ पर चढ़े ग्रामीण ताती सुक्कू को गोली लगने के बाद उसका शव पेड़ में ही लटका रहा. जिसे बाद पुलिस जवानों ने शव पेड़ से उतारा. इसके अलावा जिस ग्रामीण को मरने के बाद इनामी घोषित किया था, वह अभी भी जिंदा है, जबकि एक जेल में बंद है." सर्व आदिवासी समाज ने पीडिया मुठभेड़ को पूरी तरह से फर्जी बताया.