पटना : बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का इतिहास पुराना रहा है. कई बड़े बाहुबली चुनाव जीत कर लोकसभा और विधानसभा जा चुके हैं. बिहार की राजनीति के अतीत में झांकेंगे तो इस लिस्ट में कई नाम सामने आ जाते हैं. अजय सिंह, मो तस्लीमुद्दीन, सैयद शाहबुद्दीन, पप्पू यादव, आनंद मोहन, सूरजभान सिंह, राम किशोर सिंह, मुन्ना शुक्ला, रीतलाल यादव सहित अनके और नाम है जिन्होंने राजनीति में अपना प्रभाव दिखाया.
कौन कौन फिर से कर रहा चुनाव की तैयारी? : 2024 लोकसभा चुनाव में कई बाहुबली खुद या उनके परिवार के लोग चुनावी मैदान में दिखेंगे. सभी बाहुबली राजनीतिक दलों में अपनी गोटी सेट करने में लग गए हैं. पार्टी का सिम्बल नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव भी लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
बाहुबली सैयद शहाबुद्दीन : बिहार की राजनीति में यदि किसी बाहुबली का सबसे ज्यादे सिक्का चला तो वो थे सीवान के पूर्व सांसद सैयद शहाबुद्दीन का. अपराध की दुनिया से राजनीति में शहाबुद्दीन 1990 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय जीत हासिल की. इसके बाद 1995 में राजद ने उनको अपने सिंबल से चुनाव लड़वाया और वह दूसरी बार विधायक बने. 1996 में वह पहली बार सिवान के सांसद चुने गए उसके बाद वह चार बार सिवान से सांसद चुने गए. अब उन्ही की पत्नी हिना सहाब मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं.
![हिना शहाब](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-03-2024/21040900_gfx4.jpg)
सिवान से हिना शहाब : शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब इस बार सिवान से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. उन्होंने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि, ''इस बार शहाबुद्दीन साहब को श्रद्धांजलि देने के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ूंगी. अब राजद के साथ कोई नाता नहीं है.''
पूर्णिया से पप्पू की दावेदारी : बिहार की राजनीति में पप्पू यादव की छवि बाहुबली राजनेताओं में रही है. 36 वर्ष की राजनीतिक जीवन में पप्पू यादव एक बार विधायक और पांच बार सांसद चुने गए. 1991 1996, 1999, 2004 एवं 2014 में वह लोकसभा के सदस्य रहे हैं. कल ही उन्होंने अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय करवाया. इस बार वे कांग्रेस के सिंबल पर पूर्णिया से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
बाहुबली अजय सिंह : अजय सिंह की गिनती सिवान के बाहुबली में होती है. उनकी पत्नी कविता सिंह अभी सीवान की संसद हैं. चर्चा यह भी चल रही है इस बार कहीं कविता सिंह का टिकट कट न जाए. लेकिन अजय सिंह से फोन पर हुई बातचीत में कहा कि ''यदि हमारे सामने हिना सहाब एक बार फिर से मैदान में आती हैं तो 2 लाख से अधिक वोटों से उनकी जीत होगी.''
बाहुबली आनंद मोहन : बिहार की राजनीति में यदि बाहुबली की चर्चा हो तो आनंद मोहन का नाम भी हमेशा सुर्खियों में रहा है. 1990 में वह पहली बार विधायक बने थे. सवर्ण की राजनीति करने वाले आनंद मोहन की गिनती दबंग नेताओं में होती थी. 1994 में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद वैशाली से चुनाव जीती थीं. खुद आनंद मोहन शिवहर लोकसभा क्षेत्र से 1996 और 1998 में लोकसभा के सदस्य चुने गए.
जेडीयू से लवली आनंद की तैयारी : 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में वह मुख्य अभियुक्त बनाए गए और वह जेल चले गए. 2023 में बिहार सरकार ने कानून में संशोधन करके उनको जेल से रिहा किया. इस बार आनंद मोहन अपनी पत्नी लवली आनंद को जदयू के सिंबल पर शिवहर से चुनाव लगाने की तैयारी कर रहे हैं. उनकी पत्नी लवली आनंद जदयू की सदस्यता भी ले चुकी हैं.
बाहुबली राजन तिवारी : उत्तर प्रदेश के कुख्यात श्री प्रकाश शुक्ला के साथ अपराध की दुनिया में सक्रिय रहने वाले राजन तिवारी हमेशा सुर्खियों में रहे. बिहार सरकार की पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में वह अभियुक्त बनाए गए और 15 वर्षों तक वह जेल में रहे. जेल से निकलने के बाद राजन तिवारी राजनीति में अपना हाथ आदमी आया और बिहार के गोविंदगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. राजन तिवारी में फोन पर बातचीत में बताया कि, ''इस बार चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं. बाल्मीकिनगर और बगहा से तैयारी शुरू है.''
बाहुबली रामकिशोर सिंह : बिहार की बाहुबली नेताओं में रामकिशोर सिंह का नाम आता है. अपराध की दुनिया में अपने धाक जमाने के बाद राम सिंह राजनीति में आए थे. उन्होंने अपने राजनीति की शुरुआत रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी से की थी. 2014 में वो वैशाली से राजद के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को चुनाव में हराया था. अभी राम सिंह की पत्नी महनार से राजद की विधायक है. इस बार भी रामकिशोर सिंह वैशाली से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
बाहुबली सूरजभान सिंह : बिहार में अपराध की दुनिया में यदि किसी का सिक्का चलता था उनका नाम था सूरजभान सिंह. हत्या, अपहरण एवं रंगदारी के दर्जनों मामले के वे अभियुक्त रह चुके हैं. पूरा मोकामा और टाल के इलाके में उनकी तूती बोलती थी. अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह सूरजभान राजनीति में आए. पहले मोकामा से विधायक बने फिर बलिया से सांसद चुने गए. बृज बिहारी हत्याकांड के अभियुक्त होने के कारण वह चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. लेकिन राजनीति में उनका सिक्का अभी भी चलता है.
![सूरजभान सिंह](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-03-2024/21040900_gfx2.jpg)
परिवार के सदस्य को चुनाव लड़ाने की तैयारी : 2014 लोकसभा चुनाव में सूरजभान की पत्नी बीना देवी ने मुंगेर से ललन सिंह को हराकर चुनाव जीता था. 2019 लोकसभा के चुनाव में उनके भाई चंदन सिंह नवादा से सांसद चुने गए. एक बार फिर सूरजभान अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं.
बाहुबली अनंत सिंह : बिहार के अपराध की दुनिया में अनंद सिंह यानी छोटे सरकार को कौन नहीं जानता. पूरा मोकामा एवं टाल एरिया में उनके सिक्का चलता है. अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह मोकामा से विधायक हुआ करते थे. उनके निधन के बाद मोकामा विधानसभा क्षेत्र पर अनंत सिंह का सिक्का चलने लगा. 2005 में वह पहली बार विधायक चुने गए. लगातार पांच बार वह मोकामा से विधायक चुने गए.
![बाहुबली अनंत सिंह](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-03-2024/21040900_gfx3.jpg)
अनंत सिंह ने पत्नी को आगे किया : अवैध हथियार रखने के मामले में अनंत सिंह की सदस्यता चली गई. उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी राजद के सिंबल पर विधायक चुनी गईं. 2019 के लोकसभा चुनाव में नीलम देवी कांग्रेस की टिकट से मुंगेर से चुनाव लड़ चुकी हैं. इस बार भी नीलम देवी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. लेकिन अभी तक उनका टिकट फाइनल नहीं हुआ है.
बाहुबली अशोक महतो : अपराध की दुनिया में अशोक महतो का नाम सब कोई जानता है. रंगदारी एवं हत्या के अनेक मामले पर चल रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजो सिंह हत्याकांड वो मुख्य अभियुक्त रह चुके हैं. इसके अलावा जहानाबाद जेल कांड के मुख्य अभियुक्त वह बनाए गए थे. 16 वर्षों तक लगातार जेल में रहने के बाद पिछली वर्ष उनको जेल से रिहा किया गया. इस बार वह मुंगेर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन आपराधिक मामलों के कारण उनका टिकट नहीं मिल सकता है इसीलिए उन्होंने 60 साल की अवस्था में दो दिन पहले शादी की. उनकी पत्नी 2024 लोकसभा चुनाव में मुंगेर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं. शादी करने के बाद अशोक महतो अपनी पत्नी के साथ लालू प्रसाद यादव से मिल भी चुके हैं.
![अशोक महतो और उनकी नई नवेली दुल्हन](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-03-2024/21040900_gfx1.jpg)
बाहुबलियों का सिक्का फिर चलेगा! : वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि ''बिहार की राजनीति में जातिवाद, धनबल एवं बाहुबल हावी रहा है. अरुण पांडे ने कहा कि 70 से 80 के दशक में बिहार विधानसभा में 25 से अधिक बाहुबली चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. चुनावी हिंसा के लिए बिहार बदनाम हुआ करता था. लोगों की हत्याएं चुनाव के दिन होती थीं. मतपत्र लूट जाते थे. अब तो चुनाव में प्रत्याशियों को खुद घोषणा करना पड़ता है कि उन पर कितने मामले चल रहे हैं.''
क्या कहते हैं जानकार? : अरुण पांडे का मानना है कि 2024 का चुनाव भी इससे अछूती नहीं रहेगी. अनेक बाहुबली और उनकी पत्नियों या उनके परिजन चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे बाहुबलियों को पार्टी के साथ-साथ उनकी जाति का भी समर्थन रहता है. इन बाहुबलियों से कोई राजनीतिक दल अछूता नहीं रह गया है. अरुण पांडे ने कहा कि पप्पू यादव चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. आनंद मोहन अपनी पत्नी को चुनाव लड़ने की तैयारी में है.
बाहुबलियों का समीकरण : रामकिशोर सिंह वैशाली से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, तो मुन्ना शुक्ला भी तैयारी में जुटे हैं. अब देखना या होगा कि आरजेडी किसको सिंबल देती है. अरुण पांडे का कहना है कि सिवान की राजनीति के केंद्र बिंदु में शहाबुद्दीन रह चुके हैं. इस बार उनकी पत्नी हिना शहाब निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं. सूरजभान सिंह के परिवार से किसी को चुनाव लड़ाने की तैयारी हो रही है. इसके अलावा भी बिहार में अनेक ऐसे बाहुबली हैं जो राजनीति में अपना सिक्का जमाने का प्रयास कर रहे हैं.
टिकट पर टकटकी : बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का सिक्का हमेशा से चलता रहा है. सभी राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन बाहुबलियों का इस्तेमाल राजनीति में किया है. आजादी के बाद सबसे पहले बूथ कैपचरिंग का इतिहास बिहार से ही जुड़ा है. बाहुबलियों को सभी राजनीतिक दल विधायक और सांसद बनने का मौका अपनी पार्टी से दे चुके हैं. 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सारी तैयारी हो गई है. नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. अब देखना है कि 2024 लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दल किन-किन बाहुबलियों को या उनके परिजनों को टिकट देते हैं. और इन बाहुबलियों या उनके परिजनों को जनता का कितना समर्थन मिलता है.
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