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लेबनान में 4000 भारतीय नागरिक, दूतावास ने जारी की एडवाइजरी, कहा- सावधानी बरतें और... - Indian Embassy - INDIAN EMBASSY

Indian Embassy In Lebanon: बेरूत स्थित भारतीय दूतावास ने लेबनान में रहने वाले अपने नागरिकों से क्षेत्र में बढ़ते तनाव के मद्देनजर सावधानी बरतने और संघर्षग्रस्त देश की यात्रा न करने की सलाह दी है.

लेबनान में भारतीय दूतावास ने जारी की एडवाइजरी
लेबनान में भारतीय दूतावास ने जारी की एडवाइजरी (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 1, 2024, 12:19 PM IST

नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को अपने नागरिकों से लेबनान की यात्रा न करने का आग्रह किया. साथ ही पश्चिम एशियाई देश में रहने वालों से हमास और हिजबुल्लाह के नेताओं की हत्या के कारण तनाव बढ़े तनाव के चलते सावधानी बरतने का आह्वान भी किया. 29 जुलाई के बाद से बेरूत स्थित भारतीय दूतावास की ओर से जारी की गई यह दूसरी एडवाइजरी है. लेबनान में करीब 4,000 भारतीय नागरिक हैं.

एडवाइजरी में कहा गया है कि क्षेत्र में बढ़े तनाव के मद्देनजर, भारतीय नागरिकों को लेबनान की अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है. गौरतलब गै कि इसमें इजरायली हवाई हमलों में हमास नेता इस्माइल हनिया और हिजबुल्लाह नेता फुआद शुक्र की हत्या का कोई संदर्भ नहीं दिया गया.

एडवाइजरी में कहा गया है, "लेबनान में सभी भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियों को सीमित रखने और बेरूत में दूतावास से उनकी ईमेल आईडी cons.beirut@mea.gov.in या आपातकालीन फोन नंबर +96176860128 के माध्यम से संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है." साथ ही भारतीय नागरिकों से लेबनान की यात्रा न करने को कहा है.

लेबनान में काम करते हैं भारतीय
बता दें कि लेबनान में रहने वाले अधिकांश भारतीय नागरिक कंपनियों, निर्माण क्षेत्र और कृषि फार्मों में काम करते हैं. वहीं, भारतीय सेना की एक बटालियन नवंबर 1998 से लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) के साथ तैनात है. शांति सेना की टुकड़ी में वर्तमान में 900 कर्मी हैं.

हनिया की हवाई हमले में मौत
इससे पहले हनिया की मौत और उनके एक बॉडी की मौत बुधवार की सुबह उस समय हो गई जब तेहरान में एक पर हवाई हमला हुआ था. हमास नेता इसी इमारत में रह रहे थे. वे ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकिया की शपथ समारोह में भाग लेने पहुंचे थे.

ईरान ने इजरायल को ठहराया दोषी
हमास और ईरानी नेताओं ने इस हवाई हमले के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है. वहीं, शुक्र की मंगलवार को बेरूत में इजरायली हवाई हमले में मौत हो गई थी. इजरायल की कार्रवाई ने गाजा में संघर्ष के बढ़ने की आशंका को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं, जिससे क्षेत्र के और भी देश इसमें शामिल हो सकते हैं.

यह भी पढ़ें- बैठक में बनी सहमति, सेनाएं करेंगी बात, लद्दाख गतिरोध के बीच भारत-चीन ने की कूटनीतिक वार्ता

नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को अपने नागरिकों से लेबनान की यात्रा न करने का आग्रह किया. साथ ही पश्चिम एशियाई देश में रहने वालों से हमास और हिजबुल्लाह के नेताओं की हत्या के कारण तनाव बढ़े तनाव के चलते सावधानी बरतने का आह्वान भी किया. 29 जुलाई के बाद से बेरूत स्थित भारतीय दूतावास की ओर से जारी की गई यह दूसरी एडवाइजरी है. लेबनान में करीब 4,000 भारतीय नागरिक हैं.

एडवाइजरी में कहा गया है कि क्षेत्र में बढ़े तनाव के मद्देनजर, भारतीय नागरिकों को लेबनान की अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है. गौरतलब गै कि इसमें इजरायली हवाई हमलों में हमास नेता इस्माइल हनिया और हिजबुल्लाह नेता फुआद शुक्र की हत्या का कोई संदर्भ नहीं दिया गया.

एडवाइजरी में कहा गया है, "लेबनान में सभी भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियों को सीमित रखने और बेरूत में दूतावास से उनकी ईमेल आईडी cons.beirut@mea.gov.in या आपातकालीन फोन नंबर +96176860128 के माध्यम से संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है." साथ ही भारतीय नागरिकों से लेबनान की यात्रा न करने को कहा है.

लेबनान में काम करते हैं भारतीय
बता दें कि लेबनान में रहने वाले अधिकांश भारतीय नागरिक कंपनियों, निर्माण क्षेत्र और कृषि फार्मों में काम करते हैं. वहीं, भारतीय सेना की एक बटालियन नवंबर 1998 से लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) के साथ तैनात है. शांति सेना की टुकड़ी में वर्तमान में 900 कर्मी हैं.

हनिया की हवाई हमले में मौत
इससे पहले हनिया की मौत और उनके एक बॉडी की मौत बुधवार की सुबह उस समय हो गई जब तेहरान में एक पर हवाई हमला हुआ था. हमास नेता इसी इमारत में रह रहे थे. वे ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकिया की शपथ समारोह में भाग लेने पहुंचे थे.

ईरान ने इजरायल को ठहराया दोषी
हमास और ईरानी नेताओं ने इस हवाई हमले के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है. वहीं, शुक्र की मंगलवार को बेरूत में इजरायली हवाई हमले में मौत हो गई थी. इजरायल की कार्रवाई ने गाजा में संघर्ष के बढ़ने की आशंका को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं, जिससे क्षेत्र के और भी देश इसमें शामिल हो सकते हैं.

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