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असम के विपक्षी दलों ने सीएए अधिसूचना की आलोचना की, विरोध-प्रदर्शन शुरू - Politics In Assam Over CAA

Politics In Assam Over CAA : एएएसयू और 30 गैर-राजनीतिक संगठनों ने गुवाहाटी, कामरूप, बारपेटा, लखीमपुर, नलबाड़ी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट और तेजपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में अधिनियम की प्रतियां जलाईं और विरोध रैलियां निकालीं.

Politics In Assam Over CAA
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के कार्यकर्ताओं ने गुवाहाटी में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को लागू करने के लिए नियमों की केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद एक विरोध प्रदर्शन के दौरान नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 की प्रतियां जलाईं. (आईएएनएस)
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By PTI

Published : Mar 12, 2024, 9:43 AM IST

Updated : Mar 12, 2024, 11:39 AM IST

गुवाहाटी: असम में विपक्षी दलों ने सोमवार को विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए)-2019 को लागू करने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की आलोचना की. वहीं, राज्यभर में सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. वहीं, 16 दल वाले संयुक्त विपक्षी मंच, असम (यूओएफए) ने मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा भी की है.

सीएए के लागू होने से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने वर्ष 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान और उनके निष्कासन की मांग को लेकर छह वर्षीय आंदोलन की शुरुआत की थी. एएएसयू ने कहा कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी.

कांग्रेस नेता और असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने सीएए की अधिसूचना को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया. सैकिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा 2016 से कह रहे थे कि सभी अवैध विदेशियों को असम छोड़ना होगा, लेकिन उन्होंने राज्य के लोगों को धोखा दिया और सीएए लेकर आये. उन्होंने कहा कि असम की जनता इसके लिए प्रधानमंत्री और भाजपा को जवाबदेह ठहराएगी. रायजोर दल के अध्यक्ष और विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि असम में अवैध रूप से रह रहे 15-20 लाख बांग्लादेशी हिंदुओं को वैध बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

इस असंवैधानिक कृत्य के खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से नागरिकता अधिनियम में संशोधन की दिशा में आगे बढ़ने के बाद असम और कई अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध प्रदर्शन देखा गया था. क्षेत्र के लोगों के एक वर्ग को डर था कि अगर सीएए लागू हुआ तो इससे उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी. गोगोई ने कहा कि यह असम और पूरे देश पर दिल्ली का हमला है.

गोगोई ने कहा कि हम सभी से बाहर निकलकर इस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की अपील करते हैं. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि एएएसयू सीएए को स्वीकार नहीं करेगा और इसके खिलाफ विरोध जारी रखेगा. उन्होंने कहा कि हम पहले से ही अपने अधिवक्ताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं और इसको लागू करने के खिलाफ अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे.

इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने सीएए के नियमों की अधिसूचना का स्वागत करते हुए कहा कि यह 'बहुप्रतीक्षित' था. गोस्वामी ने कहा कि विपक्ष द्वारा गलत सूचना फैलाने का अभियान चलाया गया था कि संसद द्वारा कानून पारित होने के बाद बांग्लादेश से करोड़ों हिंदू असम में प्रवेश करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

असम जातीय परिषद के महासचिव जगदीश भुइयां ने बताया कि असम के लोगों ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था लेकिन भाजपा ने उनकी भावनाओं को नजरअंदाज कर दिया और नियमों को अधिसूचित कर दिया.

भुइयां ने राज्य के केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा पर अपने स्वार्थ के लिए केंद्र की भाजपा सरकार के हाथों की कठपुतली होने का भी आरोप लगाया. असम में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व मुख्य रूप से एएएसयू और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने किया था.

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सीएए के लागू होने से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने वर्ष 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान और उनके निष्कासन की मांग को लेकर छह वर्षीय आंदोलन की शुरुआत की थी. एएएसयू ने कहा कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी.

कांग्रेस नेता और असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने सीएए की अधिसूचना को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया. सैकिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा 2016 से कह रहे थे कि सभी अवैध विदेशियों को असम छोड़ना होगा, लेकिन उन्होंने राज्य के लोगों को धोखा दिया और सीएए लेकर आये. उन्होंने कहा कि असम की जनता इसके लिए प्रधानमंत्री और भाजपा को जवाबदेह ठहराएगी. रायजोर दल के अध्यक्ष और विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि असम में अवैध रूप से रह रहे 15-20 लाख बांग्लादेशी हिंदुओं को वैध बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

इस असंवैधानिक कृत्य के खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से नागरिकता अधिनियम में संशोधन की दिशा में आगे बढ़ने के बाद असम और कई अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध प्रदर्शन देखा गया था. क्षेत्र के लोगों के एक वर्ग को डर था कि अगर सीएए लागू हुआ तो इससे उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी. गोगोई ने कहा कि यह असम और पूरे देश पर दिल्ली का हमला है.

गोगोई ने कहा कि हम सभी से बाहर निकलकर इस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की अपील करते हैं. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि एएएसयू सीएए को स्वीकार नहीं करेगा और इसके खिलाफ विरोध जारी रखेगा. उन्होंने कहा कि हम पहले से ही अपने अधिवक्ताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं और इसको लागू करने के खिलाफ अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे.

इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने सीएए के नियमों की अधिसूचना का स्वागत करते हुए कहा कि यह 'बहुप्रतीक्षित' था. गोस्वामी ने कहा कि विपक्ष द्वारा गलत सूचना फैलाने का अभियान चलाया गया था कि संसद द्वारा कानून पारित होने के बाद बांग्लादेश से करोड़ों हिंदू असम में प्रवेश करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

असम जातीय परिषद के महासचिव जगदीश भुइयां ने बताया कि असम के लोगों ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था लेकिन भाजपा ने उनकी भावनाओं को नजरअंदाज कर दिया और नियमों को अधिसूचित कर दिया.

भुइयां ने राज्य के केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा पर अपने स्वार्थ के लिए केंद्र की भाजपा सरकार के हाथों की कठपुतली होने का भी आरोप लगाया. असम में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व मुख्य रूप से एएएसयू और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने किया था.

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Last Updated : Mar 12, 2024, 11:39 AM IST
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