नगांव: गौहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार को उन परिवारों को मुआवजा देने का आदेश दिया है जिनके घरों पर 2022 में प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया था. दरअसल, 2022 में पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मौत के बाद गुस्साई भीड़ ने थाने को जला दिया था. इसके बाद पुलिस ने थाने में आगजनी करने वाले आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चला दिया था.
गुवाहाटी के मानवाधिकार वकील जुनैद खालिद ने घरों को ध्वस्त करने के लिए पुलिस की बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देते हुए गौहाटी हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. अब अदालत ने प्रभावित परिवारों के पक्ष में फैसला सुनाया और असम सरकार को उन्हें मुआवजा देने का आदेश दिया. बुधवार को सुनवाई के दौरान असम सरकार ने बुलडोजर कार्रवाई से प्रभावित हुए परिवारों की सूची हाईकोर्ट को सौंपी.
हाईकोर्ट के आदेश पर असम सरकार ने ध्वस्त किए गए घरों के आधार पर कुल 30 लाख रुपये मुआवजे दिया है. बांस से बने घर के लिए 2.5 लाख रुपये और आरसीसी भवन के लिए 12 लाख रुपये मुआवजा दिया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गौहाटी हाईकोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच में निष्क्रियता के लिए सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने सरकार को बुलडोजर कार्रवाई में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है.
प्रभावित परिवारों ने मुआवजे को बताया नाकाफी
हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रभावित परिवारों ने कहा कि उनकी नष्ट हुई संपत्ति की भरपाई और उनके जीवन का पुनर्निर्माण करने के लिए यह मुआवजा नाकाफी है. वहीं पुलिस कार्रवाई में दस्तावेजों के नष्ट होने से कुछ परिवारों के लिए मुआवजे का दावा करना मुश्किल हो गया है.
जानें पूरा मामला
21 मई, 2022 को नगांव पुलिस ने जिले के बताद्रवा निवासी शफीकुल इस्लाम को गिरफ्तार किया था. परिवार ने आरोप लगाया था कि इस्लाम को रिहा करने के लिए रिश्वत मांगी गई थी. कुछ ही देर बाद परिवार को पुलिस हिरासत में उसकी मौत की सूचना दी गई. इस घटना से स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए और गुस्साई भीड़ ने थाने पर धावा बोल दिया और आग लगा दी. थाने में आगजनी की घटना के बाद पुलिस ने कथित आरोपियों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था.
थाने में आगजनी की घटना के बाद अधिकारियों ने पुलिस अधीक्षक लीना डोले के नेतृत्व में एक टीम तैनात की थी. पुलिस टीम ने कथित आरोपियों की संलिप्तता की गहन जांच किए बिना उनके घरों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था. पुलिस की बुलडोजर कार्रवाई से प्रभावित परिवारों के सारे निजी सामान और दस्तावेज के साथ बच्चों की स्कूली किताबें भी नष्ट हो गई थीं.
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