गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी में कांग्रेस के हिंसक विरोध प्रदर्शन मामले में गहन जांच के आदेश दिए है, जिसमें कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई थी. सीएम सरमा ने गुरुवार को कहा कि अब से राजभवन के पास किसी भी तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी.
मुख्यमंत्री सरमा ने गुरुवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "राज्यपाल की संस्था दलगत राजनीति से ऊपर है. कल (बुधवार को), कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर राजभवन में जबरन घुसने का प्रयास किया और आसपास के क्षेत्र में अराजकता फैलाई. पुलिस एफआईआर दर्ज करेगी और वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच सहित घटना की गहन जांच करेगी. अब से, राजभवन के पास किसी भी तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी. विरोध और प्रदर्शनों के लिए एक खास क्षेत्र पहले ही आवंटित किया जा चुका है."
दरअसल, असम कांग्रेस ने बुधवार को 'राजभवन चलो' रैली का आह्वान किया था. रैली के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे जाने से एक कांग्रेस कार्यकर्ता की मौत हो गई थी. मृतक मृदुल इस्लाम (Mridul Islam) असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव थे.
असम के कामरूप जिले में बोको कस्बे से ताल्लुक रखने वाले इस्लाम पेशे से वकील भी थे. पुलिस की कार्रवाई से वह बेहोश हो गए और बाद में गुवाहाटी के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
पुलिस कार्रवाई में कई पत्रकार घायल
वहीं, प्रदर्शन को कवर कर रहे कई पत्रकार और कैमरामैन भी पुलिस कार्रवाई के दौरान घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. गुवाहाटी प्रेस क्लब के सदस्यों ने भी गुरुवार को प्रेस क्लब के सामने पुलिस द्वारा किए गए अत्याचारों के विरोध में प्रदर्शन किया, क्योंकि बुधवार को आंसू गैस के गोले दागे जाने के दौरान कई पत्रकार घायल हो गए थे.
गौरतलब है कि विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने स्मार्ट मीटर लगाने, मणिपुर संकट पर संसद में चर्चा करने से केंद्र सरकार के इनकार और अडाणी समूह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और संसद में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक के विरोध में बुधवार को देशभर में राजभवन चलो रैली का आयोजन किया था.
हालांकि, असम कांग्रेस ने भाजपा पर अपने कार्यकर्ता इस्लाम की हत्या का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने उन्हें शहीद बताया है.
कांग्रेस ने पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल
असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने कहा कि गृह मंत्रालय ने किसी भी प्रदर्शन या विरोध के दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बहुत पहले ही मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है. सैकिया ने कहा, "एसओपी में विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए कई कदमों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है और अत्यधिक बल का इस्तेमाल अंतिम उपाय के रूप में किया गया है, लेकिन असम में पुलिस ने विरोध की शुरुआत में ही अत्यधिक बल का इस्तेमाल किया था."
उन्होंने पुलिस के अत्याचारों को किसी भी लोकतांत्रिक विरोध या असहमति की आवाज को दबाने के लिए सरकार का नया कदम बताया.
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