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हिमंत बिस्वा सरमा बोले- CAA लागू होने के बाद अनलॉक होंगे 27 लाख बायोमेट्रिक्स

Assam CM soon unlock biometrics with CAA implementation सीएम सरमा ने सीएए कार्यान्वयन के साथ कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लगभग छह लाख लोगों, बराक और ब्रह्मपुत्र घाटियों से तीन-तीन लाख लोगों को नागरिकता मिलेगी, न कि 20 लाख लोगों को जैसा कि कुछ वर्गों द्वारा फैलाया जा रहा है.

Himanta Biswa Sarma
हिमंत बिस्वा सरमा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 16, 2024, 11:47 AM IST

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन के साथ, एक स्पष्टता सामने आई है और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अद्यतन के दौरान जमा हुए लोगों के बायोमेट्रिक्स को अनलॉक करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.

सरमा ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 'मैं ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) और अन्य हितधारकों के साथ प्रक्रिया पर चर्चा करूंगा और उम्मीद है कि चुनाव के तुरंत बाद कोई समाधान निकल आएगा.' आपको बता दें राज्य में करीब 27 लाख लोगों के बायोमेट्रिक्स लॉक हो गए थे और उन्हें आधार कार्ड नहीं मिल पा रहे थे.

सरमा ने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान, कानून के अधिनियमन के बाद, 'हम सीएए के बारे में उठाए गए संदेहों को दूर करने के लिए जमीनी काम कर रहे थे. अब यह स्पष्ट है कि 2014 के बाद आए किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता नहीं दी जाएगी'. सरमा ने आगे कहा कि वह 100 प्रतिशत आश्वस्त हैं कि सीएए के माध्यम से एक भी व्यक्ति असम में नहीं आएगा और 'केवल उन लोगों को नागरिकता मिलेगी जिन्होंने एनआरसी के लिए आवेदन किया था.

सीएम ने स्वीकार किया कि बायोमेट्रिक्स को अवरुद्ध करने से राशन कार्ड और रोजगार प्राप्त करने में समस्याएं पैदा हुईं हैं और 'वो इस मामले को उठाएंगे और इसे हल करेंगे. सरमा ने कहा, 'हमने एनआरसी प्रक्रिया के जरिए पहले ही डेटा हासिल कर लिया है और जो लोग सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें सीएए नहीं तो फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के जरिए वैसे भी नागरिकता मिल जाती हैं.

सीएम सरमा ने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लगभग छह लाख लोगों, बराक और ब्रह्मपुत्र घाटियों से तीन-तीन लाख लोगों को नागरिकता मिलेगी, न कि 20 लाख लोगों को जैसा कि कुछ वर्गों द्वारा फैलाया जा रहा है.

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित असम का राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), जिसमें 3.4 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख को शामिल नहीं किया गया था, 1985 में हस्ताक्षरित असम समझौते का नतीजा था, जिसमें 24 मार्च 1971 के बाद बांग्लादेश से राज्य में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्ति पता लगाने और निर्वासन का प्रावधान था.

आपको बता दें एनआरसी और सीएए देश के बाकी हिस्सों में जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन असम जो एनआरसी अद्यतन करने की प्रक्रिया में शामिल एकमात्र राज्य है. बंगाली हिंदुओं की एक बड़ी आबादी उचित विरासत डेटा दस्तावेजों या विरासत डेटा की कमी के कारण बाहर रह गई थी.

क्या हैं सीएए- सीएए नियमों की अधिसूचना के साथ, केंद्र अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना शुरू कर देगा. इनमें प्रवासियों में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं.

आपको ज्ञात हो सीएए दिसंबर 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी, लेकिन असम सहित देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, जहां हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी.

यह भी पढे़ं- सीएए के तहत असम में भारतीय नागरिकता के लिए सबसे कम आवेदन देखने को मिलेंगे: हिमंत

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन के साथ, एक स्पष्टता सामने आई है और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अद्यतन के दौरान जमा हुए लोगों के बायोमेट्रिक्स को अनलॉक करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.

सरमा ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 'मैं ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) और अन्य हितधारकों के साथ प्रक्रिया पर चर्चा करूंगा और उम्मीद है कि चुनाव के तुरंत बाद कोई समाधान निकल आएगा.' आपको बता दें राज्य में करीब 27 लाख लोगों के बायोमेट्रिक्स लॉक हो गए थे और उन्हें आधार कार्ड नहीं मिल पा रहे थे.

सरमा ने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान, कानून के अधिनियमन के बाद, 'हम सीएए के बारे में उठाए गए संदेहों को दूर करने के लिए जमीनी काम कर रहे थे. अब यह स्पष्ट है कि 2014 के बाद आए किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता नहीं दी जाएगी'. सरमा ने आगे कहा कि वह 100 प्रतिशत आश्वस्त हैं कि सीएए के माध्यम से एक भी व्यक्ति असम में नहीं आएगा और 'केवल उन लोगों को नागरिकता मिलेगी जिन्होंने एनआरसी के लिए आवेदन किया था.

सीएम ने स्वीकार किया कि बायोमेट्रिक्स को अवरुद्ध करने से राशन कार्ड और रोजगार प्राप्त करने में समस्याएं पैदा हुईं हैं और 'वो इस मामले को उठाएंगे और इसे हल करेंगे. सरमा ने कहा, 'हमने एनआरसी प्रक्रिया के जरिए पहले ही डेटा हासिल कर लिया है और जो लोग सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें सीएए नहीं तो फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के जरिए वैसे भी नागरिकता मिल जाती हैं.

सीएम सरमा ने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लगभग छह लाख लोगों, बराक और ब्रह्मपुत्र घाटियों से तीन-तीन लाख लोगों को नागरिकता मिलेगी, न कि 20 लाख लोगों को जैसा कि कुछ वर्गों द्वारा फैलाया जा रहा है.

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित असम का राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), जिसमें 3.4 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख को शामिल नहीं किया गया था, 1985 में हस्ताक्षरित असम समझौते का नतीजा था, जिसमें 24 मार्च 1971 के बाद बांग्लादेश से राज्य में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्ति पता लगाने और निर्वासन का प्रावधान था.

आपको बता दें एनआरसी और सीएए देश के बाकी हिस्सों में जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन असम जो एनआरसी अद्यतन करने की प्रक्रिया में शामिल एकमात्र राज्य है. बंगाली हिंदुओं की एक बड़ी आबादी उचित विरासत डेटा दस्तावेजों या विरासत डेटा की कमी के कारण बाहर रह गई थी.

क्या हैं सीएए- सीएए नियमों की अधिसूचना के साथ, केंद्र अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना शुरू कर देगा. इनमें प्रवासियों में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं.

आपको ज्ञात हो सीएए दिसंबर 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी, लेकिन असम सहित देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, जहां हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी.

यह भी पढे़ं- सीएए के तहत असम में भारतीय नागरिकता के लिए सबसे कम आवेदन देखने को मिलेंगे: हिमंत
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