नई दिल्लीः क्या वाकई पेट में दांत होते हैं...कहावत में 'पेट में दांत' की बात को इस्तेमाल किया जाता है. एक बार संसद में लालू प्रसाद यादव ने भी पेट में दांत होने की बात कही थी. उन्होंने नीतीश कुमार के लिए कहा था कि उनके पेट में दांत हैं. हालांकि ये एक मुहावरा था, लेकिन हकीकत में एक बुजुर्ग के पेट में दांत की बात सामने आई है.
दरअसल, 67 साल के इस व्यक्ति ने खाना खाते समय अपने कृत्रिम दांत गलती से निगल लिए थे. उन्हें तकलीफ महसूस हुई तो वो एडमिट हुए. डॉक्टरों ने उनकी सर्जरी करके दांत बाहर निकाले. ये एक जटिल सर्जरी थी और दुर्लभ मामला भी.
क्या कहते हैं डॉक्टर?
दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोबिलरी साइंसेज के निदेशक डॉ. शुभम वात्स्य के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने मामले को हैंडल किया और कई एंडोस्कोपी प्रक्रियाओं के माध्यम से डेन्चर (कृत्रिम दांत) को हटा दिया, जहां डेन्चर को पेट के अंदर धकेल दिया गया और शरीर के बाहर निकाला गया. इसके लिए रोथ नेट की मदद ली गई. रोथ नेट एक उपकरण जिसका उपयोग शरीर से वस्तुओं को बाहर निकालने के लिए किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में 15 मिनट का समय लगा और मरीज को उसी दिन छुट्टी दे दी गई.
ऐसे पता चला पेट में हैं दांत
अस्पताल में भर्ती होने पर मरीज के गले और छाती के बीच में तेज दर्द होने लगा. जांच के दौरान पता चला कि मरीज के पेट में डेन्चर फंसा हुआ था, उसकी भोजन नली और पेट के हिस्से में चोटें थीं और खून बह रहा था. डॉक्टरों की टीम ने सावधानी से डेन्चर को हटा दिया और मरीज की जान बचा ली. डेन्चर को हटाने में देरी होने पर मरीज की जान भी जा सकती थी.
डॉ. शुभम वात्स्य ने कहा, "डेन्चर की परिधि 15 सेमी थी और इसके आकार के कारण, इसे हटाना मुश्किल था, हालांकि, प्रक्रिया अंतःशिरा बेहोश करने की क्रिया के तहत आयोजित की गई थी, और हमने मल्टीपल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी (निदान करने की एक प्रक्रिया) के माध्यम से डेंचर को हटा दिया. ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में डेन्चर को पेट के अंदर धकेल दिया जाता है और रोथ नेट (शरीर से वस्तुओं को निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण) की मदद से शरीर के बाहर लाया जाता है." वात्स्य ने कहा, "मरीज को उसी दिन छुट्टी दे दी गई और अब उसकी हालत ठीक हैय अगर डेन्चर को समय पर नहीं हटाया गया होता, तो इससे जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकता था - जैसे कि पेट या आंतों में छेद, जो घातक हो सकता था."
डॉ. गुरविंदर कौर, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पिटल वसंत कुंज ने चुनौतियों के बारे में बताया, "एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ हुई गंभीर दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए, यह एक चुनौतीपूर्ण मामला था. हालांकि, डॉ. शुभम वात्स्य और उनकी टीम की विशेषज्ञता ने उस व्यक्ति की जान बचा ली." फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज में हमारे डॉक्टरों के पास चुनौतीपूर्ण मामलों को संभालने के लिए सबसे अच्छा अनुभव और विशेषज्ञता है.
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