नई दिल्ली: भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित मानव-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) हथियार प्रणाली का सफलतापूर्वक फील्ड परीक्षण किया. इससे सेना के शस्त्रागार में इसे शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. अधिकारियों ने कहा कि हथियार प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है.
समग्र प्रणाली में एमपीएटीजीएम, लांचर, लक्ष्य प्राप्ति उपकरण और एक अग्नि नियंत्रण इकाई शामिल है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रणाली के सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ और भारतीय सेना की सराहना की है और इसे उन्नत प्रौद्योगिकी-आधारित रक्षा प्रणाली विकास में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्रौद्योगिकी को उच्च श्रेष्ठता के साथ साबित करने के उद्देश्य से एमपीएटीजी हथियार प्रणाली का कई बार विभिन्न उड़ान विन्यासों में मूल्यांकन किया गया है. रविवार को कहा गया, '13 अप्रैल को पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में वॉरहेड उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया गया. मिसाइल प्रदर्शन और वॉरहेड प्रदर्शन उल्लेखनीय पाए गए.'
इसमें कहा गया है कि पर्याप्त संख्या में मिसाइल फायरिंग परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए हैं. इसमें कहा गया, 'एमपीएटीजीएम के टेंडेम वॉरहेड सिस्टम का प्रवेश परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. यह आधुनिक कवच संरक्षित मुख्य युद्धक टैंकों को हराने में सक्षम पाया गया है. हथियार प्रणाली दिन और रात दोनों में संचालन के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित है.
डुअल मोड कार्यक्षमता टैंक युद्ध के लिए महत्वपूर्ण है. इसके साथ प्रौद्योगिकी विकास और सफल प्रदर्शन संपन्न हो गया है. यह प्रणाली अब भारतीय सेना में शामिल होने की दिशा में अंतिम उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षणों के लिए तैयार है. डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने परीक्षणों से जुड़ी टीमों को बधाई दी.