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जब दुल्हन ने सुनाई सुंदरकांड की चौपाई तब हुई शादी, अग्नि के सात की जगह लिए चार फेरे

आगरा में रहने वाले एक युवक और युवती की शादी काफी चर्चा में है. घुमंतू जाति बागरी समाज (Chaupai of Sunderkand) के लोगों में एक अनोखा शादी का रिवाज है. यहां शादी से पहले दुल्हन को रामायण और सुंदरकांड की चौपाइयां याद करके सुनानी होती हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 7:27 AM IST

दुल्हन ने सुनाई सुंदरकांड की चौपाई तब हुई शादी

आगरा : भारत में हर धर्म और जाति के अपने रीति और रिवाज हैं. इन रीति-रिवाज को लोग सदियों से मानते और करते चले आ रहे हैं. इनमें ही एक समाज ऐसा है जिसमें शादी से पहले दुल्हन को रामचरित मानस के सुंदरकांड की चौपाइयां याद करके दूल्हा और ससुरालीजनों को सुनानी होती हैं, जिसके बाद ही फेरे होते हैं. मगर, सात की जगह सिर्फ चार ही फेरे लिए जाते हैं. यह अनोखा रिवाज वर्षों से इस समाज के लोगों में चला आ रहा है. आगरा में मंगलवार को जब बागरी समाज का दीपक झांसी से अपनी दुल्हन रोशनी को लेकर आगरा कैंट स्टेशन पर पहुंचा तो उसका जोशीला स्वागत किया गया. बैंड बाजे की धुन पर लोग नाचे. दूल्हा और दुल्हन को फूल मालाएं पहनाईं. जब दुल्हन ने सुंदरकांड की चौपाइयां सुनाई तो सभी हैरान रह गए. घुमंतू जाति बागरी समाज में अनोखा रिवाज है कि, शादी से पहले दुल्हन को दूल्हा और उसके परिजन को रामचरित मानस की चौपाइयां, दोहा, सोरठा और गीता के श्लोक सुनाने होते हैं.

बता दें कि, ताजनगरी में आवास विकास काॅलोनी के सेक्टर तीन और आसपास के साथ ही जिले में कई जगह पर बागरी समाज के परिवार रहते हैं. जिनका मुख्य काम पुराने कपड़ों के बदले बर्तन बेचने का होता है. बागरी समाज घुमंतू समुदाय से है. आवास विकास काॅलोनी सेक्टर तीन निवासी दीपक की शादी झांसी की रोशनी से हुई है. मंगलवार को शादी के बाद झांसी से रोशनी पहली बार ससुराल आई तो आगरा कैंट स्टेशन पर घुमंतू जनजाति समाज का काम देख रहे लोगों ने दीपक और रोशनी का जोरदार स्वागत किया. बैंड बाजे और ढोल नगाडे़ बजाने के साथ ही फूल मालाएं पहनाकर दूल्हा और दुल्हन का स्वागत किया गया.

हर लड़की कंठस्थ करती है चौपाई और श्लोक : नवविवाहिता रोशनी ने बताया कि, मेरे परिवार में 10 सदस्य हैं. बागरी समाज में सदियों से प्रथा चली आ रही है कि, जब भी कोई लड़की विवाह योग्य होती है तो उसे पहले रामायण की चौपाइयां, दोहा, सोरठा और श्लोक याद करने होते हैं. कम से कम युवती को सुंदरकांड की पांच चौपाई, सोरठा और गीता के कुछ श्लोक जरूर याद होने चाहिए. क्योंकि जब लड़की की शादी होती है तो वर पक्ष को रामायण की चौपाई, दोहा, सोरठा और गीता के श्लोक सुनाने होते हैं.

चार फेरे लेने का रिवाज : रोशनी ने बताया कि मेरी भी शादी तभी तय हुई थी, जब मैंने सुंदरकांड की चौपाई, दोहा, सोरठा और गीता के श्लोक याद कर लिए थे. मैंने भी रामायण की चौपाई, दोहा, सोरठा और श्लोक सुनाए. तब जाकर मेरी दीपक से शादी तय हुई. इसके साथ ही हमारे समाज में कई ऐसे रिवाज हैं जो दूसरे समाज में नहीं हैं. इनमें एक है कि बागरी समाज में दूल्हा और दुल्हन शादी में 7 की जगह केवल 4 फेरे ही लेते हैं.

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दुल्हन ने सुनाई सुंदरकांड की चौपाई तब हुई शादी

आगरा : भारत में हर धर्म और जाति के अपने रीति और रिवाज हैं. इन रीति-रिवाज को लोग सदियों से मानते और करते चले आ रहे हैं. इनमें ही एक समाज ऐसा है जिसमें शादी से पहले दुल्हन को रामचरित मानस के सुंदरकांड की चौपाइयां याद करके दूल्हा और ससुरालीजनों को सुनानी होती हैं, जिसके बाद ही फेरे होते हैं. मगर, सात की जगह सिर्फ चार ही फेरे लिए जाते हैं. यह अनोखा रिवाज वर्षों से इस समाज के लोगों में चला आ रहा है. आगरा में मंगलवार को जब बागरी समाज का दीपक झांसी से अपनी दुल्हन रोशनी को लेकर आगरा कैंट स्टेशन पर पहुंचा तो उसका जोशीला स्वागत किया गया. बैंड बाजे की धुन पर लोग नाचे. दूल्हा और दुल्हन को फूल मालाएं पहनाईं. जब दुल्हन ने सुंदरकांड की चौपाइयां सुनाई तो सभी हैरान रह गए. घुमंतू जाति बागरी समाज में अनोखा रिवाज है कि, शादी से पहले दुल्हन को दूल्हा और उसके परिजन को रामचरित मानस की चौपाइयां, दोहा, सोरठा और गीता के श्लोक सुनाने होते हैं.

बता दें कि, ताजनगरी में आवास विकास काॅलोनी के सेक्टर तीन और आसपास के साथ ही जिले में कई जगह पर बागरी समाज के परिवार रहते हैं. जिनका मुख्य काम पुराने कपड़ों के बदले बर्तन बेचने का होता है. बागरी समाज घुमंतू समुदाय से है. आवास विकास काॅलोनी सेक्टर तीन निवासी दीपक की शादी झांसी की रोशनी से हुई है. मंगलवार को शादी के बाद झांसी से रोशनी पहली बार ससुराल आई तो आगरा कैंट स्टेशन पर घुमंतू जनजाति समाज का काम देख रहे लोगों ने दीपक और रोशनी का जोरदार स्वागत किया. बैंड बाजे और ढोल नगाडे़ बजाने के साथ ही फूल मालाएं पहनाकर दूल्हा और दुल्हन का स्वागत किया गया.

हर लड़की कंठस्थ करती है चौपाई और श्लोक : नवविवाहिता रोशनी ने बताया कि, मेरे परिवार में 10 सदस्य हैं. बागरी समाज में सदियों से प्रथा चली आ रही है कि, जब भी कोई लड़की विवाह योग्य होती है तो उसे पहले रामायण की चौपाइयां, दोहा, सोरठा और श्लोक याद करने होते हैं. कम से कम युवती को सुंदरकांड की पांच चौपाई, सोरठा और गीता के कुछ श्लोक जरूर याद होने चाहिए. क्योंकि जब लड़की की शादी होती है तो वर पक्ष को रामायण की चौपाई, दोहा, सोरठा और गीता के श्लोक सुनाने होते हैं.

चार फेरे लेने का रिवाज : रोशनी ने बताया कि मेरी भी शादी तभी तय हुई थी, जब मैंने सुंदरकांड की चौपाई, दोहा, सोरठा और गीता के श्लोक याद कर लिए थे. मैंने भी रामायण की चौपाई, दोहा, सोरठा और श्लोक सुनाए. तब जाकर मेरी दीपक से शादी तय हुई. इसके साथ ही हमारे समाज में कई ऐसे रिवाज हैं जो दूसरे समाज में नहीं हैं. इनमें एक है कि बागरी समाज में दूल्हा और दुल्हन शादी में 7 की जगह केवल 4 फेरे ही लेते हैं.

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