नई दिल्ली: एक राजनयिक घटनाक्रम के तहत विदेश मंत्री एस जयशंकर 7वें हिंद महासागर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाने के लिए तरह तैयार हैं. यह यात्रा ऐसे समय में होगी जब चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. हिंद महासागर सम्मेलन हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के लिए एक प्रमुख परामर्शदात्री मंच है.
ये भारत फाउंडेशन के सहयोग से विदेश मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है. हिंद महासागर सम्मेलन का 7वां संस्करण 9-10 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में ऑस्ट्रेलिया सरकार के विदेश मामलों और व्यापार विभाग के साथ-साथ एस. राजरत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में पर्थ-यूएस एशिया सेंटर के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है.
सम्मेलन के इस संस्करण का विषय एक स्थिर और सतत हिंद महासागर की ओर है. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग और सिंगापुर के विदेश मामलों के मंत्री डॉ. विवियन बालाकृष्णन के साथ सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे.
7वें हिंद महासागर सम्मेलन में 22 से अधिक देशों के मंत्रियों और 16 देशों और 6 बहुपक्षीय संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होंगे. इसमें लगभग 40 देशों के 400 से अधिक सामाजिक और कॉर्पोरेट नेता, नीति विशेषज्ञ, विद्वान, पेशेवर और मीडिया कर्मी भी भाग लेंगे.
2016 में सिंगापुर में अपनी शुरुआत के बाद से पिछले कुछ वर्षों में हिंद महासागर सम्मेलन ने बड़ी भूमिका निभाई. इसके तहत सभी के लिए सुरक्षा और विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने के लिए क्षेत्र के देशों और प्रमुख समुद्री भागीदारों को एक आम मंच पर लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.