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विधानसभा चुनावों के साथ-साथ कश्मीर में नगर निगम चुनाव भी अधर में लटके, OBC आरक्षण का इंतजार - Municipal Elections in Kashmir

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 27, 2024, 5:18 PM IST

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का साथ-साथ नगर निगम चुनाव भी होने हैं, हालांकि दोनों ही चुनावों में देरी होती जा रही है. हालांकि नगर निगमों में ओबीसी के लिए आरक्षण की प्रक्रिया अभी भी चल रही है.

Justice (Retd) GD Sharma
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जीडी शर्मा (फोटो - ETV Bharat Urdu Desk)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में नगर निगम चुनाव विधानसभा चुनावों की तरह ही विलंबित हो रहे हैं, क्योंकि नगर निगमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की प्रक्रिया अभी भी चल रही है. नगरपालिका और आरक्षण कानूनों में बदलाव के बाद, जिन्हें पिछली भाजपा सरकार ने संसद में संशोधित करके ओबीसी को आरक्षण श्रेणी में शामिल किया था.

जम्मू-कश्मीर में आखिरी नगर निगम चुनाव अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले 2018 में हुए थे, जब जेके एक राज्य था. केंद्र शासित प्रदेश में इनका पांच साल का कार्यकाल नवंबर 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन नगरपालिका वार्डों के परिसीमन और ओबीसी को आरक्षण के कारण चुनाव समय पर नहीं हो पाए.

जम्मू-कश्मीर में दो नगर निगम-श्रीनगर और जम्मू- और 76 नगर पालिकाएं हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आरक्षण प्रक्रिया में समय लगेगा, क्योंकि आरक्षण और नगरपालिका कानूनों में संशोधन के बाद 46 नई जातियों को आरक्षण सूची में शामिल किया गया है. नगर निकायों में ओबीसी को शामिल करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग (जेकेएसईबीसीसी) द्वारा किया जाएगा.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जीडी शर्मा की अध्यक्षता वाले इस आयोग में पूर्व नौकरशाह रूप लाल भारती और पूर्व आईपीएस अधिकारी मुनीर खान इसके सदस्य हैं. इस पैनल का गठन मार्च 2020 में किया गया था. इसका तीन साल का कार्यकाल मार्च में समाप्त हो गया था, हालांकि एलजी प्रशासन ने ओबीसी आरक्षण पूरा होने तक इसके कार्यकाल को छह महीने और बढ़ा दिया था.

सूत्रों ने बताया कि आयोग ने अभी तक नगर निगम वार्डों में ओबीसी को शामिल करने के लिए रिपोर्ट बनाने की कवायद शुरू नहीं की है. मुनीर खान ने ईटीवी भारत को बताया कि आयोग को नगर निगमों और दो निगमों में ओबीसी आरक्षण के लिए कवायद शुरू करने के बारे में सरकार से अभी तक कोई नोटिस या संचार प्राप्त नहीं हुआ है.

आरक्षण का इंतजार है, वहीं परिसीमन का काम भी अभी पूरा नहीं हुआ है. परिसीमन में वार्डों में मतदाताओं का एक समान वितरण शामिल है, जिससे वार्डों और उनकी सीमाओं का विस्तार होगा. राज्य चुनाव आयुक्त बी आर शर्मा ने अब उपायुक्तों को, जो केंद्र शासित प्रदेश के 20 जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी भी हैं, इस प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है, ताकि इस साल के अंत तक नगर निकायों के चुनाव हो सकें.

शर्मा ने मंगलवार को उप निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) के साथ बैठक की और उन्हें वार्डों के परिसीमन तथा मसौदा प्रस्तावों के प्रकाशन में तेजी लाने के निर्देश दिए. शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा कि 'हमें उम्मीद है कि 45 दिनों के भीतर परिसीमन पूरा हो जाएगा, क्योंकि 12 जिलों में नगर निकायों के लिए मसौदा प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जा चुका है और केवल आठ शेष हैं.'

शर्मा ने आगे कहा कि 'इन आठ जिलों में हम अंतिम चरण में हैं. कुछ जिले पहले से ही मसौदा प्रस्तावों को फीडबैक और दावों आदि के लिए सार्वजनिक डोमेन में डालने के लिए सार्वजनिक अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया में हैं. उन्होंने कहा कि परिसीमन के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों के संशोधन और ओबीसी मतदाताओं के लिए वार्डों को आरक्षित करने का कार्य करेगा, जो ओबीसी आयोग द्वारा आरक्षण की रिपोर्ट पूरी करने के बाद किया जाएगा.

शर्मा ने कहा कि 'हम परिसीमन और उसके बाद मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, ताकि निर्वाचित स्थानीय निकायों के गठन के लिए चुनाव कराए जा सकें. जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दल विधानसभा और अब नगर निगम तथा पंचायत निकायों के चुनाव में देरी के लिए भाजपा सरकार के खिलाफ खड़े हैं.

पीडीपी प्रवक्ता हरबख्श सिंह ने ईटीवी भारत से कहा कि 'चुनावों में देरी से विकास प्रभावित हो रहा है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निर्वाचित निकायों में लोगों का प्रतिनिधित्व प्रभावित हो रहा है. यह वास्तव में जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतंत्र से वंचित कर रहा है.'

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को यथाशीघ्र परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए तथा स्थानीय निकाय चुनाव विधानसभा चुनावों के साथ कराने चाहिए, जो सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सितंबर से पहले होने चाहिए.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए कश्मीर की अपनी हालिया यात्रा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे और राज्य का दर्जा भी बहाल किया जाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री ने कोई समयसीमा नहीं बताई.

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में नगर निगम चुनाव विधानसभा चुनावों की तरह ही विलंबित हो रहे हैं, क्योंकि नगर निगमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की प्रक्रिया अभी भी चल रही है. नगरपालिका और आरक्षण कानूनों में बदलाव के बाद, जिन्हें पिछली भाजपा सरकार ने संसद में संशोधित करके ओबीसी को आरक्षण श्रेणी में शामिल किया था.

जम्मू-कश्मीर में आखिरी नगर निगम चुनाव अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले 2018 में हुए थे, जब जेके एक राज्य था. केंद्र शासित प्रदेश में इनका पांच साल का कार्यकाल नवंबर 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन नगरपालिका वार्डों के परिसीमन और ओबीसी को आरक्षण के कारण चुनाव समय पर नहीं हो पाए.

जम्मू-कश्मीर में दो नगर निगम-श्रीनगर और जम्मू- और 76 नगर पालिकाएं हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आरक्षण प्रक्रिया में समय लगेगा, क्योंकि आरक्षण और नगरपालिका कानूनों में संशोधन के बाद 46 नई जातियों को आरक्षण सूची में शामिल किया गया है. नगर निकायों में ओबीसी को शामिल करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग (जेकेएसईबीसीसी) द्वारा किया जाएगा.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जीडी शर्मा की अध्यक्षता वाले इस आयोग में पूर्व नौकरशाह रूप लाल भारती और पूर्व आईपीएस अधिकारी मुनीर खान इसके सदस्य हैं. इस पैनल का गठन मार्च 2020 में किया गया था. इसका तीन साल का कार्यकाल मार्च में समाप्त हो गया था, हालांकि एलजी प्रशासन ने ओबीसी आरक्षण पूरा होने तक इसके कार्यकाल को छह महीने और बढ़ा दिया था.

सूत्रों ने बताया कि आयोग ने अभी तक नगर निगम वार्डों में ओबीसी को शामिल करने के लिए रिपोर्ट बनाने की कवायद शुरू नहीं की है. मुनीर खान ने ईटीवी भारत को बताया कि आयोग को नगर निगमों और दो निगमों में ओबीसी आरक्षण के लिए कवायद शुरू करने के बारे में सरकार से अभी तक कोई नोटिस या संचार प्राप्त नहीं हुआ है.

आरक्षण का इंतजार है, वहीं परिसीमन का काम भी अभी पूरा नहीं हुआ है. परिसीमन में वार्डों में मतदाताओं का एक समान वितरण शामिल है, जिससे वार्डों और उनकी सीमाओं का विस्तार होगा. राज्य चुनाव आयुक्त बी आर शर्मा ने अब उपायुक्तों को, जो केंद्र शासित प्रदेश के 20 जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी भी हैं, इस प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है, ताकि इस साल के अंत तक नगर निकायों के चुनाव हो सकें.

शर्मा ने मंगलवार को उप निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) के साथ बैठक की और उन्हें वार्डों के परिसीमन तथा मसौदा प्रस्तावों के प्रकाशन में तेजी लाने के निर्देश दिए. शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा कि 'हमें उम्मीद है कि 45 दिनों के भीतर परिसीमन पूरा हो जाएगा, क्योंकि 12 जिलों में नगर निकायों के लिए मसौदा प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जा चुका है और केवल आठ शेष हैं.'

शर्मा ने आगे कहा कि 'इन आठ जिलों में हम अंतिम चरण में हैं. कुछ जिले पहले से ही मसौदा प्रस्तावों को फीडबैक और दावों आदि के लिए सार्वजनिक डोमेन में डालने के लिए सार्वजनिक अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया में हैं. उन्होंने कहा कि परिसीमन के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों के संशोधन और ओबीसी मतदाताओं के लिए वार्डों को आरक्षित करने का कार्य करेगा, जो ओबीसी आयोग द्वारा आरक्षण की रिपोर्ट पूरी करने के बाद किया जाएगा.

शर्मा ने कहा कि 'हम परिसीमन और उसके बाद मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, ताकि निर्वाचित स्थानीय निकायों के गठन के लिए चुनाव कराए जा सकें. जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दल विधानसभा और अब नगर निगम तथा पंचायत निकायों के चुनाव में देरी के लिए भाजपा सरकार के खिलाफ खड़े हैं.

पीडीपी प्रवक्ता हरबख्श सिंह ने ईटीवी भारत से कहा कि 'चुनावों में देरी से विकास प्रभावित हो रहा है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निर्वाचित निकायों में लोगों का प्रतिनिधित्व प्रभावित हो रहा है. यह वास्तव में जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतंत्र से वंचित कर रहा है.'

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को यथाशीघ्र परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए तथा स्थानीय निकाय चुनाव विधानसभा चुनावों के साथ कराने चाहिए, जो सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सितंबर से पहले होने चाहिए.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए कश्मीर की अपनी हालिया यात्रा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे और राज्य का दर्जा भी बहाल किया जाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री ने कोई समयसीमा नहीं बताई.

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