नई दिल्ली : कांग्रेस उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में मजबूत क्षेत्रीय दलों के साथ अपने गठबंधन पर भरोसा कर रही है. जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में अच्छे उम्मीदवारों, संगठन को मजबूत करने और एक ठोस अभियान पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
कांग्रेस ने यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव पूर्व समझौता किया है. जल्द ही बिहार में राजद और वाम दलों के साथ व महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी और एनसीपी शरदचंद्र पवार के साथ अपने समझौते की घोषणा कर सकती है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के साथ गठबंधन मुश्किल दिख रहा है, इसलिए कांग्रेस अपनी मजबूत सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि ममता बनर्जी की पार्टी को भाजपा को हराने का मौका देगी.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राजद नेता तेजस्वी यादव जो रविवार को मुंबई में I.N.D.I.A ब्लॉक रैली में शामिल हुए थे वह सोमवार को दिल्ली में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ बिहार में सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे सकते हैं.
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र में गठबंधन की घोषणा 19 मार्च को सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद की जाएगी. हमें उम्मीद है कि गठबंधन यूपी और बिहार में भाजपा को बड़ा झटका देने में सक्षम होगा. ये दोनों राज्य लोकसभा में 120 सदस्य भेजते हैं. यही कारण है कि भाजपा चिंतित थी और उसने चुनाव की घोषणा से ठीक पहले गठबंधन पर प्रहार करने के लिए बिहार में हमारे सहयोगियों जद-यू और यूपी में रालोद को अपने साथ ले लिया. लेकिन दोनों राज्यों में गठबंधन अब भी मजबूत है.'
आंकड़ों के मुताबिक वोट शेयर : 2020 में बिहार के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राजद के पास 23 प्रतिशत वोट शेयर था, कांग्रेस के पास 6 प्रतिशत वोट शेयर था और भाजपा के पास 15 प्रतिशत वोट शेयर था. 2022 में यूपी के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में सपा के पास 32 प्रतिशत वोट शेयर था और कांग्रेस के पास 2 प्रतिशत वोट शेयर था, जबकि भाजपा के पास 41 प्रतिशत वोट शेयर था.
यूपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से कहा कि 'गठबंधन राज्य भर में सभी 80 लोकसभा सीटों पर संयुक्त अभियान चला रहा है. इसलिए नतीजे हमारे लिए अच्छे होंगे. जनता सत्तारूढ़ भाजपा से तंग आ चुकी है.'
महाराष्ट्र में 2019 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस के पास 16 प्रतिशत वोट शेयर था, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दोनों सहयोगियों शिवसेना और एनसीपी के वोट शेयर का आकलन करना संभव नहीं था, क्योंकि दोनों पार्टियां पिछले एक साल में विभाजित हो गई थीं.
एआईसीसी के महाराष्ट्र प्रभारी सचिव आशीष दुआ ने बताया, 'एमवीए 2019 से वहां है और मजबूत है. गठबंधन मिलकर राज्य की कुल 48 लोकसभा सीटों में से दो तिहाई पर जीत हासिल करेगा.'
अन्य हिंदी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहां सबसे पुरानी पार्टी हाल के विधानसभा चुनावों में हार गई है, लेकिन उसका वोट शेयर अच्छा है. कांग्रेस एक ठोस अभियान और अच्छे उम्मीदवारों पर भरोसा कर रही है. 29 लोकसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पास 40 प्रतिशत वोट शेयर था और 25 लोकसभा सीटों वाले राजस्थान में 39 प्रतिशत वोट शेयर था.
मध्य प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी सचिव संजय कपूर ने बताया, 'आपने अभी तक एमपी में घोषित नामों को देखा है. ये सभी विजयी उम्मीदवार हैं. साथ ही हमारा अभियान पार्टी आलाकमान द्वारा किए जा रहे वादों पर आधारित रहने वाला है. इसके अलावा हम संगठनात्मक कमियों की पहचान करने और उन्हें दूर करने में सक्षम हैं. इन सबसे हमें अच्छी संख्या में सीटें मिलनी चाहिए.'