धनबादः दुनिया के सबसे बड़े खान हादसों में से एक, झारखंड के धनबाद में चासनाला खदान हादसा है. आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में 300 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे को याद करने के बाद आज भी लोगों की रूह कांप जाती है. ऐसे हादसों से निपटने के लिए माइनिंग कम्पनियां माइंस रेस्क्यू के लिए लोगों को प्रशिक्षित करती है.
अब तक माइंस रेस्क्यू में पुरुष ही दक्ष होते रहें हैं. अब लड़कियां भी इस खदान के बीच अपना साहस और जाबांजी दिखाने के लिए तैयार है. धनबाद में चल रही ऑल इंडिया माइंस रेस्क्यू कॉम्पिटिशन में पांच महिला रेस्क्यू की टीम शामिल हैं, जो किसी मायने में पुरुषों की टीम से कम नहीं है. ऑल इंडिया माइंस रेस्क्यू कॉम्पिटिशन में देशभर की चार कंपनियों में हिंदुस्तान जिंक की दो महिला रेस्क्यू टीम के अलावा डब्लूसीएल, एनसीएल और एसईसी एल की महिला रेस्क्यू टीम शामिल है.
ईटीवी भारत संवाददाता नरेंद्र कुमार ने इस ट्रेनिंग सेशन के दौरान वहां पहुंचे और महिला टीम के साथ बातचीत की. एमसीएल यानी महानदी कोलफील्ड लिमिटेड की ओडिशा से आई महिला रेस्क्यू टीम से खास बातचीत की. इस दौरान रेस्क्यू टीम काफी जोश के साथ कार्य के प्रति जिम्मेदार तरीके से बातों का जवाब दिया. इस टीम की कैप्टन प्रीति स्मिता बेहरा ने कहा कि सभी सेक्टर में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. कोई भी काम ऐसा नहीं है कि पुरुष ही कर सकते हैं और महिला नहीं कर सकती है.
कैप्टन प्रीति स्मिता बेहरा ने कहा कि महिला के अंदर इतनी क्षमता है कि वह सभी कार्य कर सकते हैं. महिलाएं हर जोखिम को उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ऑल इंडिया माइंस रेस्क्यू कॉम्पिटिशन में हमने साबित कर दिया है कि माइंस के अंदर आहत खनिक की जान हम बचा सकते हैं. इसके लिए हम प्रशिक्षण प्राप्त कर इसमें दक्षता हासिल कर रहे हैं.
महिला रेस्क्यू टीम में शामिल शिल्पी सुमन ने बताया कि माइंस एक्सीडेंट के दौरान काफी भयानक मंजर रहता है लेकिन वैसे समय में हमें हिम्मत रखनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में जो सही करना होता है, वह हम लोग करते हैं, बिना डरे हम काम करते हैं, बाकी आगे जो होगा वह देखा जाएगा. हमें बस खनिकों की जान बचानी है, आगे की परवाह हम नहीं करते हैं.
जननी उरांव ने कहा कि जब भी हादसे से होते हैं, हम काफी संयम से काम लेते हैं. माइंस के अंदर जो फंसे होते हैं, उन्हें भी ढांढस देना पड़ता है. ऐसे में उन्हें डराना नहीं है, किसी भी हाल में उन्हें हमें सुरक्षित बाहर निकलना है. हमारी ट्रेनिंग काफी टफ रहती है, ऐसे सीन हमने देख चुके हैं कि अब हमें किसी भी भयानक मंजर से डर नहीं लगता है. माइंस के अंदर कितनी भी गहराई में मजदूर क्यों न फंसे हो, उन्हें हम हर हाल में बाहर निकाल लेंगे. हमारे ट्रेनिंग काफी अच्छी दी गई है.
महिला टीम में शामिल कमल ने कहा कि पहले टीवी पर माइंस हादसे देखते थे और रेस्क्यू टीम मजदूर को बचाकर लाते थे तो लगता था कि काफी कठिन काम है. अब हमारे पास भी वही हौसला है, हम भी माइंस के अंदर जाकर मजदूरों की जान बचा सकते हैं. तिलिप्सा रानी पात्रा ने बताया कि माइंस रेस्क्यू टीम में शामिल होने के लिए कभी माता-पिता ने मना नहीं किया बल्कि उन्होंने मेरा हौसला अफजाई किया है ऐसा ही सभी साथियों के साथ है.
इसे भी पढ़ें- उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू से रांची में खुशी, परिवार वालों ने कहा- कबूल हुई दुआ - ramgarh news