नई दिल्ली: ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने मंगलवार को कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेगा, बल्कि वह पूरे असम और पूर्वोत्तर में अपने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी आंदोलन को तेज करेगा.
नई दिल्ली में ईटीवी भारत से बात करते हुए AASU के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि 'नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (एनईएसओ) के साथ, हम CAA के खिलाफ अपना विरोध जारी रखेंगे. हम किसी भी कीमत पर सीएए को असम और पूर्वोत्तर में लागू नहीं होने देंगे.'
यह पूछे जाने पर कि क्या AASU कांग्रेस का समर्थन करेगा, क्योंकि विपक्षी दल भी सीएए को वापस लेने की मांग कर रहा है, भट्टाचार्य ने कहा कि 'जो कोई भी सीएए के खिलाफ अपना विरोध जताता है हम उसका स्वागत करते हैं. लेकिन हम किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेंगे. हम असम के मूल लोगों की पहचान की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं.'
उल्लेखनीय है कि एनईएसओ ने सोमवार को सीएए को चुनौती देने और इसकी कार्यान्वयन प्रक्रिया को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट (एससी) में एक रिट याचिका दायर की थी. ईटीवी भारत के संवाददाता से बात करते हुए, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि 16-पार्टी संयुक्त विपक्षी मंच-असम सीएए के कार्यान्वयन का विरोध करने के लिए एकजुट है.
बोरा ने कहा कि 'असम के लोग सीएए को स्वीकार नहीं करेंगे. इसी तरह हमारा रुख भी स्पष्ट है. हम सीएए को स्वीकार नहीं करेंगे.' बोरा ने कहा कि उनकी पार्टी सीएए के खिलाफ अपना रुख उजागर करते हुए लोगों के पास जाएगी. बोरा ने कहा कि 'सभी विपक्षी सहयोगी, अपने चुनाव अभियान के दौरान, सीएए पर प्रकाश डालेंगे और बताएंगे कि कैसे केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा सरकार विवादास्पद अधिनियम को लागू करने की कोशिश कर रही है.'
हालांकि, विपक्षी दलों, मुख्य रूप से कांग्रेस पर आगामी चुनाव में सीएए को प्रचार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए, दूसरी ओर भाजपा ने दावा किया कि इसका (सीएए विरोधी आंदोलन) उसकी राजनीतिक संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. भाजपा की गुवाहाटी लोकसभा सांसद क्वीन ओजा ने कहा कि 'सीएए न तो जनविरोधी है और न ही इस अधिनियम के कारण किसी की नागरिकता जाएगी.'
उन्होंने कहा कि 'दरअसल, यह अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों को नागरिकता देगा.' उन्होंने कहा कि विपक्षी दल सीएए को गलत तरीके से उजागर कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं. गौरतलब है कि भाजपा और उसके सहयोगियों ने असम में 2021 के चुनावों में निर्णायक जीत दर्ज करने के लिए सीएए विरोधी आंदोलन के नुकसान से उबर लिया.
सीएए को 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था. हाल ही में गृह मंत्रालय ने पूरे भारत में इसे लागू करने के लिए CAA नियमों को अधिसूचित किया है. सीएए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई सहित छह गैर-मुस्लिम धर्मों के प्रवासियों और 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करना आसान बनाता है.