ETV Bharat / bharat

फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने पर गुजारा भत्ता देने से बचा नहीं किया जा सकता: कर्नाटक HC

karnataka HC Alimony can not be refused: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने पर पत्नी और बच्चे को गुजारा भत्ता देने से नहीं बचा जा सकता है.

Alimony cannot be refused when family court order is challenged: High Court
फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने पर गुजारा भत्ता देने से बचा नहीं किया जा सकता: कर्नाटक HC
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 11, 2024, 10:16 AM IST

बेंगलुरु: तलाक की याचिका खारिज करने के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के मामले में हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी और बच्चे को गुजारा भत्ता देने से नहीं बचाया जा सकता. न्यायमूर्ति एम. नागाप्रसन्ना ने महाराष्ट्र के नासिक में रहने वाले एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए यह राय व्यक्त की. मामले में आवेदक पत्नी और बच्चे को वैवाहिक घर में वापस नहीं ले जा सकता. पति पत्नी और बच्चे को वापस नहीं चाहता है. इसलिए उसने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी. पीठ ने कहा कि ऐसे में गुजारा भत्ता के भुगतान को टाला नहीं जा सकता.

कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा के मामले में अदालत के आदेश के अनुसार गुजारा भत्ता का भुगतान अनिवार्य होगा. गुजारा भत्ता भुगतान के ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई त्रुटि नहीं पाई गई. ऐसे में कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया और पति की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी.

क्या है मामला? : वर्ष 2015 में पति ने यह दावा किया कि उसकी पत्नी ने अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया है. लिहाजा उसे तालाक मिलना चाहिए. इसी आधार पर याचिका दायर की. दूसरी ओर पत्नी ने भी याचिका दायर की और पति की याचिका को खारिज करने की मांग की साथ ही गुजारा भत्ता दिए जाने की मांग की. 28 सितंबर 2020 को फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी और पत्नी की याचिका मंजूर कर ली.

हालाँकि, जब पति उसे वापस नहीं ले गया, तो पत्नी ने अंतरिम गुजारा भत्ता की मांग करने वाली याचिका के साथ-साथ आदेश को लागू करने की मांग करते हुए एक और आवेदन दायर किया. याचिका पर सुनवाई करने वाली पारिवारिक अदालत ने पति को पत्नी और बच्चे को गुजारा भत्ता के रूप में 20,000 रुपये प्रति माह देने का निर्देश दिया. इस पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता पति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक HC ने लापरवाही से मौत मामले में मुआवजे में देरी पर नगर परिषद पर लगाया जुर्माना

बेंगलुरु: तलाक की याचिका खारिज करने के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के मामले में हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी और बच्चे को गुजारा भत्ता देने से नहीं बचाया जा सकता. न्यायमूर्ति एम. नागाप्रसन्ना ने महाराष्ट्र के नासिक में रहने वाले एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए यह राय व्यक्त की. मामले में आवेदक पत्नी और बच्चे को वैवाहिक घर में वापस नहीं ले जा सकता. पति पत्नी और बच्चे को वापस नहीं चाहता है. इसलिए उसने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी. पीठ ने कहा कि ऐसे में गुजारा भत्ता के भुगतान को टाला नहीं जा सकता.

कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा के मामले में अदालत के आदेश के अनुसार गुजारा भत्ता का भुगतान अनिवार्य होगा. गुजारा भत्ता भुगतान के ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई त्रुटि नहीं पाई गई. ऐसे में कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया और पति की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी.

क्या है मामला? : वर्ष 2015 में पति ने यह दावा किया कि उसकी पत्नी ने अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया है. लिहाजा उसे तालाक मिलना चाहिए. इसी आधार पर याचिका दायर की. दूसरी ओर पत्नी ने भी याचिका दायर की और पति की याचिका को खारिज करने की मांग की साथ ही गुजारा भत्ता दिए जाने की मांग की. 28 सितंबर 2020 को फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी और पत्नी की याचिका मंजूर कर ली.

हालाँकि, जब पति उसे वापस नहीं ले गया, तो पत्नी ने अंतरिम गुजारा भत्ता की मांग करने वाली याचिका के साथ-साथ आदेश को लागू करने की मांग करते हुए एक और आवेदन दायर किया. याचिका पर सुनवाई करने वाली पारिवारिक अदालत ने पति को पत्नी और बच्चे को गुजारा भत्ता के रूप में 20,000 रुपये प्रति माह देने का निर्देश दिया. इस पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता पति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक HC ने लापरवाही से मौत मामले में मुआवजे में देरी पर नगर परिषद पर लगाया जुर्माना
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.