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दरगाह दीवान जैनुल आबेद्दीन ने कहा- मथुरा-काशी विवाद का हल दोनों पक्ष अदालतों के बाहर निकालें, CAA को लेकर कही ये बात - मथुरा काशी विवाद पर जैनुल आबेद्दीन

अजमेर के दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन ने मंदिर और मस्जिद विवाद पर एक बड़ा बयान दिया है. दरगाह दीवान ने कहा कि "मेरा मानना है कि दोनों पक्ष, दोनों धर्म के लोग मथुरा, काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशने की कोशिश करें."

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 23, 2024, 6:37 PM IST

Updated : Feb 23, 2024, 6:54 PM IST

अजमेर. दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन ने मंदिर और मस्जिद विवाद पर एक बड़ा बयान दिया है. आबेदीन ने कहा है कि "किसी भी विवाद का आपसी सहमति से हल निकलता है तो उसकी बात ही कुछ और होती है. इससे विवाद का हल निकलने के साथ-साथ दिल भी मिलते हैं और एक दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास भी लौटता है." दरगाह दीवान ने कहा कि "मेरा मानना है कि दोनों पक्ष, दोनों धर्म के लोग मथुरा, काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशने की कोशिश करें." उन्होंने ये बात ऑल इंडिया सूफी सज्जादा नशीन काउंसिल राजस्थान की ओर से आयोजित पैगाम ए मोहब्बत हम सब का भारत सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही.

दरगाह दीवान जेनुल आबेदीन ने कहा कि भारत देश वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा को निभाते हुए विश्व में शांति बहाली की ओर सकारात्मक भूमिका निभा रहा है. हम अपने देश के भीतरी मसलों का अदालतों के बाहर शांति से समाधान निकालने में सक्षम क्यों नहीं है ?. दरगाह दीवान ने कहा कि "हम सक्षम हैं, बस एक मजबूत पहल की जरूरत है." उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने आजादी के बाद भी कई चुनौतियों का सामना किया उनमें जीत हासिल की है.

इसे भी पढ़ें-स्वामी गोविंद गिरी बोले- आक्रांताओं की निशानियों को नष्ट करने के लिए काशी-मथुरा में बनना चाहिए मंदिर

आबेदीन ने कहा कि "हमारी कई पीढ़ियों ने धार्मिक विवादों का सामना किया है, जिसमें सबसे पुराना विवाद अयोध्या का रहा है. यह बड़ी बात है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद इस विवाद पर पूर्ण रूप से विराम लग गया. इससे भी बड़ी बात यह है कि देश के हर नागरिक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया, लेकिन हमें यह बात समझनी होगी कि अदालतों के निर्णय में एक पक्ष जीतता है और दूसरा पक्ष हारता है. इसमें एक पक्ष निर्णय से असहमत रहता है और अपने दिल में खटास और द्वेषता को समाप्त नहीं कर पाता." दरगाह दीवान ने कहा कि "मेरा मानना है कि दोनों पक्ष, दोनों धर्म के लोग मथुरा, काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशने की कोशिश करें."

शांतिपूर्वक निकले हल : दरगाह दीवान ने कहा कि "हर मुसलमान सुलह में यकीन रखता है, लेकिन शायद हर संस्था इस दुविधा में है कि कौन इसकी शुरुआत करे. कोई भी अपने समाज के सामने बुरा नहीं बनना चाहता. ऐसे में किसी को तो पहल करनी होगी." उन्होंने कहा कि "मैं काउंसिल की तरफ से मथुरा और काशी जैसे मसलों का शांतिपूर्वक और सम्मानजनक हल निकालने की अपील करता हूं और साथ ही यह भी ऐलान करता हूं कि मेरे पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती जो काउंसिल के अध्यक्ष हैं, वह हर प्रदेश में जाएं और वहां काउंसिल से जुड़ी दरगाहों को लेकर दोनों पक्षों के प्रमुख लोगों और संस्थाओं से मिलकर सकारात्मक और अच्छा माहौल बनाएं. साथ ही दोनों पक्षों में शांति वार्ता के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाएं."

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दीवान जैनुल आबेदीन ने कहा कि "ख्वाजा गरीब नवाज के वंशज होने के नाते सभी हिंदुओं और मुसलमान समाज की संस्थाओं से मैं अपील करता हूं, कि काशी और मथुरा जैसे मसलों का हल अदालतों के बाहर मिलजुल कर निकालने का प्रयास करें. इस धार्मिक और अति संवेदनशील मसले का हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष एक सम्मानपूर्वक हल निकालें. साथ ही हमेशा के लिए भारत से धार्मिक विवादों का अंत कर देश की तरक्की में अपना योगदान दें."

आबेदीन ने कहा कि "हम सभी एक सकारात्मक सोच के साथ सलाह की नीयत से कम से कम मिलकर शांतिपूर्वक सम्मानजनक हल निकालने की कोशिश तो करें. आखिर कब तक हम दोनों धर्म के लोग आपस में इन धार्मिक विवादों में उलझे रहेंगे. देश ने पिछले 7 दशकों से भी ज्यादा इन धार्मिक विवादों को देखा है. हमारी दो-तीन पीढ़ियां तो बूढ़ी हो गई हैं. आने वाली पीढ़ियां इस तरह के धार्मिक विवाद से दूर रहें, इसलिए देश में धार्मिक विवादों को खत्म करने की आवश्यकता है. धार्मिक विवाद देश के विकास में बाधा बनने वाले हैं, इनको समाप्त कर अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक मजबूत देश, मोहब्बत से भरा हुआ भारत देना होगा."

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नागरिकता छीनी तब सबसे पहले करूंगा विरोध : दरगाह दीवान ने कहा कि "पिछले कुछ सालों में मुसलमान को गुमराह किया गया और उन्हें डराया गया कि CAA कानून से भारत के मुसलमान की नागरिकता छीनने की कोशिश हो रही है, जबकि वास्तविकता कुछ और है. अधिनियम के प्रावधानों के विस्तृत विश्लेषण के बाद हमने पाया कि कानून का भारतीय मुसलमान से कोई लेना-देना नहीं है. यह कानून उन पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा, बल्कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में पीड़ित और सताए हुए अल्पसंख्यक प्रवासी जो भारतीय नागरिकता चाहते हैं, उन्हें लाभ पहुंचाएगा. CAA किसी की भी भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है." उन्होंने कहा कि "मैं इस देश के मुसलमान को यह वादा करता हूं कि यदि इस कानून के अंतर्गत किसी की भी नागरिकता छीनी जाएगी, तो मैं सबसे पहले इस कानून के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करूंगा, लेकिन आप स्वार्थी लोगों के बहकावे में ना आएं और अपने देश की सरकार पर यकीन रखें." काउंसिल के सम्मेलन में राजस्थान की सभी दरगाहों के प्रमुख मौजूद थे.

अजमेर. दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन ने मंदिर और मस्जिद विवाद पर एक बड़ा बयान दिया है. आबेदीन ने कहा है कि "किसी भी विवाद का आपसी सहमति से हल निकलता है तो उसकी बात ही कुछ और होती है. इससे विवाद का हल निकलने के साथ-साथ दिल भी मिलते हैं और एक दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास भी लौटता है." दरगाह दीवान ने कहा कि "मेरा मानना है कि दोनों पक्ष, दोनों धर्म के लोग मथुरा, काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशने की कोशिश करें." उन्होंने ये बात ऑल इंडिया सूफी सज्जादा नशीन काउंसिल राजस्थान की ओर से आयोजित पैगाम ए मोहब्बत हम सब का भारत सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही.

दरगाह दीवान जेनुल आबेदीन ने कहा कि भारत देश वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा को निभाते हुए विश्व में शांति बहाली की ओर सकारात्मक भूमिका निभा रहा है. हम अपने देश के भीतरी मसलों का अदालतों के बाहर शांति से समाधान निकालने में सक्षम क्यों नहीं है ?. दरगाह दीवान ने कहा कि "हम सक्षम हैं, बस एक मजबूत पहल की जरूरत है." उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने आजादी के बाद भी कई चुनौतियों का सामना किया उनमें जीत हासिल की है.

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आबेदीन ने कहा कि "हमारी कई पीढ़ियों ने धार्मिक विवादों का सामना किया है, जिसमें सबसे पुराना विवाद अयोध्या का रहा है. यह बड़ी बात है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद इस विवाद पर पूर्ण रूप से विराम लग गया. इससे भी बड़ी बात यह है कि देश के हर नागरिक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया, लेकिन हमें यह बात समझनी होगी कि अदालतों के निर्णय में एक पक्ष जीतता है और दूसरा पक्ष हारता है. इसमें एक पक्ष निर्णय से असहमत रहता है और अपने दिल में खटास और द्वेषता को समाप्त नहीं कर पाता." दरगाह दीवान ने कहा कि "मेरा मानना है कि दोनों पक्ष, दोनों धर्म के लोग मथुरा, काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशने की कोशिश करें."

शांतिपूर्वक निकले हल : दरगाह दीवान ने कहा कि "हर मुसलमान सुलह में यकीन रखता है, लेकिन शायद हर संस्था इस दुविधा में है कि कौन इसकी शुरुआत करे. कोई भी अपने समाज के सामने बुरा नहीं बनना चाहता. ऐसे में किसी को तो पहल करनी होगी." उन्होंने कहा कि "मैं काउंसिल की तरफ से मथुरा और काशी जैसे मसलों का शांतिपूर्वक और सम्मानजनक हल निकालने की अपील करता हूं और साथ ही यह भी ऐलान करता हूं कि मेरे पुत्र सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती जो काउंसिल के अध्यक्ष हैं, वह हर प्रदेश में जाएं और वहां काउंसिल से जुड़ी दरगाहों को लेकर दोनों पक्षों के प्रमुख लोगों और संस्थाओं से मिलकर सकारात्मक और अच्छा माहौल बनाएं. साथ ही दोनों पक्षों में शांति वार्ता के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाएं."

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दीवान जैनुल आबेदीन ने कहा कि "ख्वाजा गरीब नवाज के वंशज होने के नाते सभी हिंदुओं और मुसलमान समाज की संस्थाओं से मैं अपील करता हूं, कि काशी और मथुरा जैसे मसलों का हल अदालतों के बाहर मिलजुल कर निकालने का प्रयास करें. इस धार्मिक और अति संवेदनशील मसले का हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष एक सम्मानपूर्वक हल निकालें. साथ ही हमेशा के लिए भारत से धार्मिक विवादों का अंत कर देश की तरक्की में अपना योगदान दें."

आबेदीन ने कहा कि "हम सभी एक सकारात्मक सोच के साथ सलाह की नीयत से कम से कम मिलकर शांतिपूर्वक सम्मानजनक हल निकालने की कोशिश तो करें. आखिर कब तक हम दोनों धर्म के लोग आपस में इन धार्मिक विवादों में उलझे रहेंगे. देश ने पिछले 7 दशकों से भी ज्यादा इन धार्मिक विवादों को देखा है. हमारी दो-तीन पीढ़ियां तो बूढ़ी हो गई हैं. आने वाली पीढ़ियां इस तरह के धार्मिक विवाद से दूर रहें, इसलिए देश में धार्मिक विवादों को खत्म करने की आवश्यकता है. धार्मिक विवाद देश के विकास में बाधा बनने वाले हैं, इनको समाप्त कर अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक मजबूत देश, मोहब्बत से भरा हुआ भारत देना होगा."

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नागरिकता छीनी तब सबसे पहले करूंगा विरोध : दरगाह दीवान ने कहा कि "पिछले कुछ सालों में मुसलमान को गुमराह किया गया और उन्हें डराया गया कि CAA कानून से भारत के मुसलमान की नागरिकता छीनने की कोशिश हो रही है, जबकि वास्तविकता कुछ और है. अधिनियम के प्रावधानों के विस्तृत विश्लेषण के बाद हमने पाया कि कानून का भारतीय मुसलमान से कोई लेना-देना नहीं है. यह कानून उन पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा, बल्कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में पीड़ित और सताए हुए अल्पसंख्यक प्रवासी जो भारतीय नागरिकता चाहते हैं, उन्हें लाभ पहुंचाएगा. CAA किसी की भी भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है." उन्होंने कहा कि "मैं इस देश के मुसलमान को यह वादा करता हूं कि यदि इस कानून के अंतर्गत किसी की भी नागरिकता छीनी जाएगी, तो मैं सबसे पहले इस कानून के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करूंगा, लेकिन आप स्वार्थी लोगों के बहकावे में ना आएं और अपने देश की सरकार पर यकीन रखें." काउंसिल के सम्मेलन में राजस्थान की सभी दरगाहों के प्रमुख मौजूद थे.

Last Updated : Feb 23, 2024, 6:54 PM IST
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