नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अधिकार कम करने के लिए विधेयक लाने की केंद्र की योजना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ओवैसी का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि जब संसद सत्र चल रहा होता है, तो केंद्र सरकार पार्लियामेंट्री सुपरमेसी और विशेषाधिकारों के खिलाफ काम कर रही है और मीडिया को सूचित कर रही है, लेकिन संसद को सूचित नहीं कर रही. मैं कह सकता हूं कि इस प्रस्तावित संशोधन के बारे में मीडिया में जो कुछ भी लिखा गया है, उससे पता चलता है कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की ऑटोनॉमी छीनना चाहती है और इसमें हस्तक्षेप करना चाहती है. यह अपने आप में धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है.
Barrister @asadowaisi ne @narendramodi Sarkar ke Waqf Qanoon mein Tabdeeli ke Mansube par Tanqeed ki, ise Deeni Huqooq ke liye Khatra Bataya | Press conference#WaqfAct #AIMIM #AsaduddinOwaisi #Owaisi #Hyderabad #PressConference pic.twitter.com/glYJUhJ4z1
— AIMIM (@aimim_national) August 4, 2024
वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है बीजेपी
उन्होंने कहा, "दूसरी बात यह है कि बीजेपी शुरू से ही इन बोर्डों और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है और यह उनका हिंदुत्व एजेंडा है... अब अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में संशोधन करते हैं, तो प्रशासनिक अराजकता होगी, वक्फ बोर्ड की ऑटोनॉमी खत्म होगी और अगर वक्फ बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ता है, तो वक्फ की स्वतंत्रता प्रभावित होगी."
विवादित संपत्ति का करवाएंगी सर्वे
हैदराबाद के सांसद ने कहा, "मीडिया रिपोर्ट में लिखा है कि अगर कोई विवादित संपत्ति है, तो ये लोग कहेंगे कि संपत्ति विवादित है, हम उसका सर्वे करवाएंगे. सर्वे बीजेपी, मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा और आप जानते हैं कि इसका क्या परिणाम होगा. हमारे भारत में कई ऐसी दरगाहें हैं, जहां बीजेपी-आरएसएस दावा करता है कि वे दरगाह और मस्जिद नहीं हैं, इसलिए कार्यपालिका, न्यायपालिका की शक्ति को छीनने की कोशिश कर रही है.
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करने के लिए वक्फ अधिनियम में संशोधन करने जा रही है. रिपोर्ट के अनुसार, संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के बोर्ड के अधिकार को रोकना है.