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इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला, कृषि भूमि होना अनुकम्पा नियुक्ति देने से इंकार का आधार नहीं हो सकता - Allahabad High Court Order

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को अपने अहम फैसले में कहा कि कृषि भूमि होना अनुकम्पा नियुक्ति देने से इंकार का आधार नहीं हो सकता है. कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति की समीक्षा जरूरी है.

Agricultural land cannot be ground for refusing compassionate appointment says Allahabad High Court
कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति की समीक्षा जरूरी है: इलाहाबाद हाईकोर्ट (फोटो क्रेडिट- इलाहाबाद हाईकोर्ट)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 19, 2024, 9:35 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को अपने एक आदेश में कहा कि किसी दिवंगत कर्मचारी के आश्रित को इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता है कि परिवार के पास कृषि भूमि का कोई टुकड़ा है या परिवार का कोई सदस्य संविदा के आधार पर कोई काम कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि आश्रित परिवार की आर्थिक स्थिति का आंकलन करते समय यह देखा जाना चाहिए कि मृतक के जीवन काल में परिवार की आमदनी कितनी थी और उसकी मृत्यु के बाद परिवार की आमदनी कितनी है. परिवार पर जिम्मेदारियां क्या हैं.

संभल के अमन पाठक की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने दिया. कोर्ट ने राज्य गन्ना समिति और जिला गन्ना अधिकारी द्वारा याची का अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन खारिज करने का आदेश रद्द कर दिया तथा नए सिरे से एक माह के भीतर याची की अनुकंपा नियुक्ति पर निर्णय लेने के लिए कहा.

याची अमन पाठक के पिता जिला गन्ना अधिकारी चंदौसी में क्लर्क थे. 13 नवंबर 2011 को उनकी मृत्यु हो गई. उस वक्त अमन की आयु मात्र 9 वर्ष थी. बालिग होने पर उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. राज्य समिति और जिला गन्ना अधिकारी ने उसका आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि कर्मचारी की मृत्यु के 10 वर्ष बाद तक परिवार का ठीक-ठाक निर्वहन होता रहा. मृतक कर्मचारी की पत्नी आंगनवाड़ी केंद्र संचालित करती है. साथ ही उसके पास कृषि योग्य दो भूमि के टुकड़े हैं.

कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकती थी, मगर उसने ऐसा नहीं किया. लिहाजा अब परिवार को अनुकंपा नियुक्ति की आवश्यकता नहीं है. इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. कोर्ट ने कहा कि जिला गन्ना अधिकारी ने परिवार की आर्थिक स्थिति की सही तरीके से समीक्षा नहीं की. उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया, जो कि उन्हें देना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का पद कोई स्थाई सरकारी पद नहीं है, बल्कि यह संविदा का पद है. उससे उसे मात्र 6000 रुपये प्रतिमाह की आमदनी होती है.

जिस कृषि भूमि का जिक्र किया जा रहा है वह काफी छोटी है. साथ ही उसमें अन्य हिस्सेदारी भी है. अधिकारियों ने यह जानने का प्रयास भी नहीं किया कि उस कृषि भूमि से वार्षिक उपज कितनी होती है तथा परिवार को उससे कितनी आमदनी हो रही है. जहां तक 10 वर्ष बाद आवेदन करने का प्रश्न है यह स्पष्ट है कि याची पिता की मृत्यु के समय नाबालिग था, बालिग होते ही उसने आवेदन किया. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को इस बात का आंकलन करनी चाहिए था कि मृतक के जीवन काल में परिवार की आमदनी कितनी थी और उसकी मृत्यु के बाद अब परिवार की आमदनी कितनी है तथा परिवार पर जिम्मेदारियां कितनी है.

मृतक कर्मचारी की एक पुत्री अब भी अविवाहित है. परिवार यदि पिछले 12 वर्षों से सामान्य जीवन जी रहा है, तो इसका अर्थ यह नहीं होता है कि परिवार के लोग आर्थिक रूप से संघर्ष नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने जिला गन्ना अधिकारी संभल का 30 सितंबर 2023 और राज्य गन्ना प्राधिकारी का 25 नवंबर 2023 के प्रस्ताव को रद्द कर दिया. साथ ही एक माह के भीतर याची के आवेदन पर अनुकंपा नियुक्ति देने के संबंध में नए सिरे से आदेश पारित करने के लिए कहा है.

ये भी पढ़ें- कांस्टेबल की पत्नी ने DCP के ऑफिस में जमकर किया हंगामा, चीख-चीखकर बोली- पति ने देवर से कराया रेप

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को अपने एक आदेश में कहा कि किसी दिवंगत कर्मचारी के आश्रित को इस आधार पर अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता है कि परिवार के पास कृषि भूमि का कोई टुकड़ा है या परिवार का कोई सदस्य संविदा के आधार पर कोई काम कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि आश्रित परिवार की आर्थिक स्थिति का आंकलन करते समय यह देखा जाना चाहिए कि मृतक के जीवन काल में परिवार की आमदनी कितनी थी और उसकी मृत्यु के बाद परिवार की आमदनी कितनी है. परिवार पर जिम्मेदारियां क्या हैं.

संभल के अमन पाठक की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने दिया. कोर्ट ने राज्य गन्ना समिति और जिला गन्ना अधिकारी द्वारा याची का अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन खारिज करने का आदेश रद्द कर दिया तथा नए सिरे से एक माह के भीतर याची की अनुकंपा नियुक्ति पर निर्णय लेने के लिए कहा.

याची अमन पाठक के पिता जिला गन्ना अधिकारी चंदौसी में क्लर्क थे. 13 नवंबर 2011 को उनकी मृत्यु हो गई. उस वक्त अमन की आयु मात्र 9 वर्ष थी. बालिग होने पर उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. राज्य समिति और जिला गन्ना अधिकारी ने उसका आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि कर्मचारी की मृत्यु के 10 वर्ष बाद तक परिवार का ठीक-ठाक निर्वहन होता रहा. मृतक कर्मचारी की पत्नी आंगनवाड़ी केंद्र संचालित करती है. साथ ही उसके पास कृषि योग्य दो भूमि के टुकड़े हैं.

कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकती थी, मगर उसने ऐसा नहीं किया. लिहाजा अब परिवार को अनुकंपा नियुक्ति की आवश्यकता नहीं है. इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. कोर्ट ने कहा कि जिला गन्ना अधिकारी ने परिवार की आर्थिक स्थिति की सही तरीके से समीक्षा नहीं की. उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया, जो कि उन्हें देना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का पद कोई स्थाई सरकारी पद नहीं है, बल्कि यह संविदा का पद है. उससे उसे मात्र 6000 रुपये प्रतिमाह की आमदनी होती है.

जिस कृषि भूमि का जिक्र किया जा रहा है वह काफी छोटी है. साथ ही उसमें अन्य हिस्सेदारी भी है. अधिकारियों ने यह जानने का प्रयास भी नहीं किया कि उस कृषि भूमि से वार्षिक उपज कितनी होती है तथा परिवार को उससे कितनी आमदनी हो रही है. जहां तक 10 वर्ष बाद आवेदन करने का प्रश्न है यह स्पष्ट है कि याची पिता की मृत्यु के समय नाबालिग था, बालिग होते ही उसने आवेदन किया. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को इस बात का आंकलन करनी चाहिए था कि मृतक के जीवन काल में परिवार की आमदनी कितनी थी और उसकी मृत्यु के बाद अब परिवार की आमदनी कितनी है तथा परिवार पर जिम्मेदारियां कितनी है.

मृतक कर्मचारी की एक पुत्री अब भी अविवाहित है. परिवार यदि पिछले 12 वर्षों से सामान्य जीवन जी रहा है, तो इसका अर्थ यह नहीं होता है कि परिवार के लोग आर्थिक रूप से संघर्ष नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने जिला गन्ना अधिकारी संभल का 30 सितंबर 2023 और राज्य गन्ना प्राधिकारी का 25 नवंबर 2023 के प्रस्ताव को रद्द कर दिया. साथ ही एक माह के भीतर याची के आवेदन पर अनुकंपा नियुक्ति देने के संबंध में नए सिरे से आदेश पारित करने के लिए कहा है.

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