हैदराबाद: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने स्वदेशी तौर पर निर्मित अग्नि-5 बेलिस्टिक मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया. इस सफल परीक्षण के बाद भारत की सेना की ताकत और बढ़ गई है, वहीं डीआरडीओ ने स्पेस एंड रिसर्च क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ा लिया है. इस सफल परीक्षण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीआरडीओ को बधाई दी है. इस मिसाइल का निर्माण डीआरडीओ ने मिशन दिव्यास्त्र के अंतर्गत किया है.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डीआरडीओ को बधाई देते हुए लिखा कि 'मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है, मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण.' तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 बेलेस्टिक मिसाइल में क्या खास है.
अग्नि-5 की रेंज बढ़कर हुई 7,000 किमी
अग्नि-5 एक परमाणु बेलेस्टिक मिसाइल है, जो परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है. पहले इस मिसाइल की रेंज 5,000 किमी तक थी, लेकिन अब इसकी रेंज बढ़ाकर 7,000 किमी तक हो गई है. इसकी रेंज को बढ़ाने के लिए डीआरडीओ ने इसमें लगे स्टील के हिस्सों को हटाकर कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल किया है, जिससे इसका वजन करीब 20 फीसदी कम हो गया है.
अग्नि-5 की जद में अब कई देश
आपको बता दें कि अग्नि-5 एक अतरमहाद्वीपीय बेलिस्टिक मिसाइल है, जो अपनी बढ़ी हुई रेंज के चलते लगभग आधी दुनिया को अपनी जद में ले सकती है. भारत से लॉन्च किए जाने के बाद यह मिसाइल आधे अफ्रीका, रूस का ऊपरी हिस्सा, ऑस्ट्रेलिया का उत्तरी भाग और ग्रीनलैंड तक को अपनी जद में ले सकती है. जानकारी के अनुसार इस मिसाइल को भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और डीआरडीओ ने संयुक्त प्रयास के साथ बनाया है.
ले जा सकती है 1,500 किग्रा का परमाणु बम
जानकारी के अनुसार अग्नि-5 का वजन करीब 50 हजार किलोग्राम था, लेकिन चूंकि इसके स्टील एलिमेंट को हटाकर कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल किया गया और इसका वजन 20 फीसदी कम किया गया है, तो अब इसका वजन करीब 40 हजार किलोग्राम हो गया है यह मिसाइल 17.5 मीटर लंबी है और इसका व्यास 6.7 फीट है. इस मिसाइल में 1,500 किलोग्राम वजन का परमाणु बम लगाया जा सकता है.
जानकारी के अनुसार इस मिसाइल में तीन स्टेज के रॉकेट बूस्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो सॉलिड फ्यूल पर चलते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि यह मिसाइल आवाज की गति से 24 गुना ज्यादा तेजी से उड़ती है. इस मिसाइल की अधिकतम रफ्तार 29,401 किमी प्रति घंटा है. दुश्मन पर सटीक वार करने के लिए इस मिसाइल में लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, जीपीएस और NavIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम इस्तेमाल किया गया है.
MIRV तकनीक है इसकी सबसे बढ़ी खूबी
अग्नि-5 बेलिस्टिक मिसाइल में लगाई जाने वाली मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स तकनीक यानी MIRV तकनीक इसे बेहद खतरनाक बना देती है. इस तकनीक की मदद से मिसाइल के ऊपर लगाए जाने वाले वॉरहेड्स की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जिसकी वजह से यह एक से ज्यादा टारगेट्स पर हमला कर सकती है.
अग्नि सीरीज की अब तक की मिसाइलें
अग्नि सीरीज में अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3, अग्नि-4 और अब अग्नि-5 मिसाइलें विकसित की जा चुकी हैं. इनमें अग्नि-1 पहली जनरेशन की मिसाइल थी, जिसकी रेंज 700 से 800 किमी की थी. इसके बाद अग्नि-2 विकसित हुई, जिसकी रेंज 2,000 किमी से अधिक हुई. अग्नि-3 की रेंज 2,500 किमी तक हुई, जिसके बाद अग्नि-4 की रेंज को बढ़ाकर 3.500 किमी तक किया गया. अब अग्नि-5 की रेंज को बढ़ाकर 5,000 से 7,000 किमी तक कर दिया गया है.