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होटल कारोबार छोड़कर किया रिवर्स पलायन, औषधीय पौधों से आज कमाते हैं 1 करोड़ से ज्यादा, 5 हजार से ज्यादा लोगों की किस्मत बदली

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 20, 2024, 10:56 AM IST

Updated : Mar 20, 2024, 12:55 PM IST

Medicinal plant cultivation in Uttarakhand रोजगार के अभाव में पहाड़ छोड़ने को मजबूर युवाओं को टिहरी के महिपाल सिंह से सीख लेनी चाहिए. महिपाल ने शहर का अपना अच्छा खासा बिजनेस छोड़कर न सिर्फ अपने पैतृव गांव की बंजर भूमि को हर भरा किया, बल्कि उनकी बदौलत आसपास के करीब 5,500 किसानों की आर्थिकी भी सुधारी है. जिस खेती से किसानों का घर खर्च भी नहीं निकल रहा था, आज वही किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं.

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महिपाल सिंह ने औषधीय खेत कर पलायन को दी मात

श्रीनगर: आपने उत्तराखंड में हमेशा से ही घोस्ट विलेजों की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन आज ईटीवी भारत आपको उत्तराखंड की इससे अलग नई तस्वीर दिखाने जा रहा है. ऐसी तस्वीर जहां एक व्यक्ति ने रिवर्स पलायन करके अपने गांव को तो आबाद किया ही है, साथ में उसने आस पास के गांवों के 5,500 से अधिक किसानों को रोजगार प्रदान किया है. ये कहानी है टिहरी जिले के कीर्तिनगर विकासखंड के रहने वाले किसान महिपाल सिंह पंवार की.

महिपाल पंवार ने रिवर्स पलायन से रचा इतिहास: महिपाल सिंह पंवार कीर्तिनगर विकासखंड के धारपइयाकोटी गांव के रहने वाले हैं. वो बेरोजगार युवाओं और किसानों से लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभर रहे हैं. उन्होंने अपने गांव में पारंपरिक खेती को छोड़ जड़ी बूटी की खेती की. जड़ी-बूटी की खेती से आज महिपाल सिंह पंवार ना सिर्फ एक करोड़ से ज्यादा का रेवेन्यू जनरेट कर रहे हैं, बल्कि आसपास के गांवों के किसानों को भी समृद्ध बनाया है.

होटल कारोबार छोड़ खेती को चुना: महिपाल सिंह पंवार का मसूरी में होटल का कारोबार था. वो बताते हैं कि मसूरी में उनका होटल का कारोबार बहुत अच्छा चल रहा था. लेकिन एक दिन वो अचानक अपने गांव आए तो यहां की हालत को देखकर उनका मच कचोट गया. गांव के अधिकांश युवक पालयन कर चुके थे. गांव में खेती की जमीन बंजर पड़ी हुई थी. यहीं से उनके दिमाग में बंजर भूमि को फिर से आबाद करने का आइडिया आया. इसके लिए उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को चुना.

cultivating medicinal crops
महिपाल सिंह पंवार ने आज 5500 किसानों का जीवन बदल दिया है.

औषधीय पौधों की खेती ने दी पहचान: महिपाल सिंह पंवार बताते हैं कि साल 2016 में उन्होंने अपने पैतृक गांव धारपइयाकोटी में रोजमेरी, डेंडिलियन, ओरिगैनो, थाइम, कीवी और सेब की खेती से शुरुआत की. हालांकि परिजनों को भी उनका फैसला कुछ सही नहीं लगा. लेकिन धीरे-धीरे जब आधुनिक खेती और फसल से अच्छी खासी आमदनी होने लगी तो परिजनों के साथ आसपास के लोगों ने भी महिपाल सिंह पंवार के इस कदम की सराहना की.

सवा करोड़ है महिपाल का टर्नओवर: आज महिलापाल 150 नाली जमीन पर औषधीय फसलों की खेती कर रहे हैं. आज उनका टर्नओवर सवा करोड़ रुपये पहुंच गया है. आसपास के किसानों को भी औषधीय फसल उगाने की सलाह दे रहे हैं. महिपाल की मानें तो आज उन्होंने करीब 5,500 किसानों का समूह खड़ा कर रखा है, जो औषधीय फसल से लाखों रुपए कमा रहे हैं.

5 हजार से ज्यादा किसानों को औषधीय खेती से जोड़ा: इसी गांव के रहने वाले शैलेन्द्र पंवार बताते हैं कि महिपाल सिंह को देखकर अब गांव वाले भी आधुनिक खेती सीख रहे हैं, जिससे अन्य किसानों को भी लाभ मिल रहा है. महिपाल पंवार की पत्नी आशा पंवार बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें अपने पति का खेती करना काफी अजीब लगा था. क्योंकि मसूरी में उनका अच्छा खासा बिजनेस चल रहा था. लेकिन जब उनका प्रयास रंग लाने लगा और हमारे साथ-साथ अन्य लोगों को भी इसका लाभ मिला तो उन्हें बहुत खुश हुई. अपने पति के इस कदम से आज वो काफी खुश हैं.

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महिपाल सिंह ने औषधीय खेत कर पलायन को दी मात

श्रीनगर: आपने उत्तराखंड में हमेशा से ही घोस्ट विलेजों की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन आज ईटीवी भारत आपको उत्तराखंड की इससे अलग नई तस्वीर दिखाने जा रहा है. ऐसी तस्वीर जहां एक व्यक्ति ने रिवर्स पलायन करके अपने गांव को तो आबाद किया ही है, साथ में उसने आस पास के गांवों के 5,500 से अधिक किसानों को रोजगार प्रदान किया है. ये कहानी है टिहरी जिले के कीर्तिनगर विकासखंड के रहने वाले किसान महिपाल सिंह पंवार की.

महिपाल पंवार ने रिवर्स पलायन से रचा इतिहास: महिपाल सिंह पंवार कीर्तिनगर विकासखंड के धारपइयाकोटी गांव के रहने वाले हैं. वो बेरोजगार युवाओं और किसानों से लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभर रहे हैं. उन्होंने अपने गांव में पारंपरिक खेती को छोड़ जड़ी बूटी की खेती की. जड़ी-बूटी की खेती से आज महिपाल सिंह पंवार ना सिर्फ एक करोड़ से ज्यादा का रेवेन्यू जनरेट कर रहे हैं, बल्कि आसपास के गांवों के किसानों को भी समृद्ध बनाया है.

होटल कारोबार छोड़ खेती को चुना: महिपाल सिंह पंवार का मसूरी में होटल का कारोबार था. वो बताते हैं कि मसूरी में उनका होटल का कारोबार बहुत अच्छा चल रहा था. लेकिन एक दिन वो अचानक अपने गांव आए तो यहां की हालत को देखकर उनका मच कचोट गया. गांव के अधिकांश युवक पालयन कर चुके थे. गांव में खेती की जमीन बंजर पड़ी हुई थी. यहीं से उनके दिमाग में बंजर भूमि को फिर से आबाद करने का आइडिया आया. इसके लिए उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को चुना.

cultivating medicinal crops
महिपाल सिंह पंवार ने आज 5500 किसानों का जीवन बदल दिया है.

औषधीय पौधों की खेती ने दी पहचान: महिपाल सिंह पंवार बताते हैं कि साल 2016 में उन्होंने अपने पैतृक गांव धारपइयाकोटी में रोजमेरी, डेंडिलियन, ओरिगैनो, थाइम, कीवी और सेब की खेती से शुरुआत की. हालांकि परिजनों को भी उनका फैसला कुछ सही नहीं लगा. लेकिन धीरे-धीरे जब आधुनिक खेती और फसल से अच्छी खासी आमदनी होने लगी तो परिजनों के साथ आसपास के लोगों ने भी महिपाल सिंह पंवार के इस कदम की सराहना की.

सवा करोड़ है महिपाल का टर्नओवर: आज महिलापाल 150 नाली जमीन पर औषधीय फसलों की खेती कर रहे हैं. आज उनका टर्नओवर सवा करोड़ रुपये पहुंच गया है. आसपास के किसानों को भी औषधीय फसल उगाने की सलाह दे रहे हैं. महिपाल की मानें तो आज उन्होंने करीब 5,500 किसानों का समूह खड़ा कर रखा है, जो औषधीय फसल से लाखों रुपए कमा रहे हैं.

5 हजार से ज्यादा किसानों को औषधीय खेती से जोड़ा: इसी गांव के रहने वाले शैलेन्द्र पंवार बताते हैं कि महिपाल सिंह को देखकर अब गांव वाले भी आधुनिक खेती सीख रहे हैं, जिससे अन्य किसानों को भी लाभ मिल रहा है. महिपाल पंवार की पत्नी आशा पंवार बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें अपने पति का खेती करना काफी अजीब लगा था. क्योंकि मसूरी में उनका अच्छा खासा बिजनेस चल रहा था. लेकिन जब उनका प्रयास रंग लाने लगा और हमारे साथ-साथ अन्य लोगों को भी इसका लाभ मिला तो उन्हें बहुत खुश हुई. अपने पति के इस कदम से आज वो काफी खुश हैं.

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Last Updated : Mar 20, 2024, 12:55 PM IST
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