श्रीनगर: ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने जम्मू-कश्मीर को लेकर एक बार फिर बड़ी बात की है. मीरवाईज उमर फारूक ने शनिवार (5 अक्टूबर 2024) को 5 साल बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने, अपनी नजरबंदी जैसे मुद्दों पर बात की है. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन पर भी अपनी बात रखी है.
बता दें कि, पांच साल से ज़्यादा समय बाद पहली बार मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने एक्स पर एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि "5 अगस्त 2019 के बाद से मैंने ज़्यादातर समय हिरासत में बिताया है." उन्होंने लिखा कि जब अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को अर्ध-स्वायत्त दर्जा खोने का झटका लगा और अपमान सहना पड़ा, उसे दो हिस्सों में तोड़ दिया गया, उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया और फिर बिना किसी रोक-टोक के बंद कर दिया गया और संचार व्यवस्था ठप कर दी गई.
उन्होंने एक्स पर आगे लिखा कि "मैं अब फिर से मंच पर लोगों के लिए शांति और न्याय की उम्मीद के साथ लौट रहा हूं, जिसकी मैं हमेशा कामना करता हूं. बढ़ती चुनौतियों के बावजूद, संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत है."
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने एक्स पोस्ट पर लिखा "कश्मीरी अनिश्चितता से जूझ रहे हैं, हम इसे खत्म करना चाहते हैं. भारत और पाकिस्तान के पास एससीओ शिखर सम्मेलन में बर्फ को तोड़ने और रचनात्मक रूप से जुड़ने का एक वास्तविक अवसर है. उम्मीद है कि वे इस पर ध्यान देंगे."
उन्होंने आगे लिखा, "हो सकता है कि ऐसा हो याद दिला दें कि, कल मीरवाइज ने एक महीने की हिरासत के बाद श्रीनगर में जुमे की नमाज के दौरान उपदेश दिया था, जिसमें उन्होंने हिरासत में लिए गए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की आलोचना की थी. उन्होंने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने कभी भी हिंसा या बंदूक के जरिए कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की वकालत नहीं की है. साथ ही कहा कि चुनावों को लंबे समय से चले आ रहे विवाद का समाधान नहीं माना जा सकता. मौलवी उमर फारूक न केवल "मीरवाइज ए कश्मीर" हैं, बल्कि वे ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष भी हैं.
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