पलामूः नक्सलियों ने पिता की हत्या की, फिर खुद बना नक्सली. नक्सली बनने के बाद पुलिस जवान की हत्या की और 20 वर्ष जेल में गुजरा. इस दौरान एक बेटी को खोया परिवार टूट गया. जेल में रहने के बाद विचारधारा ही बदल गई और अब महात्मा गांधी के विचारधारा को अपना लिया है. यह कहानी है नक्सली कमांडर रहे मनोगा गंझू की.
झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद की बैठक में मनोगा गंझू को जेल से रिहा करने का निर्णय लिया गया. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मनोगा गंझू को जेल से छोड़ा गया. मनोगा गंझू चतरा के कुंदा थाना क्षेत्र के गुंदरा गांव का रहने वाला है. पलामू सेंट्रल जेल से मनोगा को रिहा कर दिया गया है. इस दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर दी गई है. साथ ही उसने महात्मा गांधी के विचारों को अपनाने की शपथ ली है.
2001 में हुए नक्सल हमले में शहीद हुए थे जवान, 2008 में मनोगा को हुई थी सजा
2001 में पलामू के पांकी थाना क्षेत्र में एक नक्सल हमला हुआ है. एमसीसी की टीम ने पुलिस की जीप उड़ा दी थी. इस घटना में पुलिस के एक जवान शहीद हो गए थे. बाद में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मनोगा गंझू को गिरफ्तार कर लिया. मनोगा गंझू को 2008 में कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा हुई थी. जिस वक्त यह हमला हुआ था नक्सल संगठन कई भागों में बटे हुए थे. झारखंड और बिहार में एमसीसी और पीडब्लूजी का ग्रुप सक्रिय था.
मनोगा गंझू को हत्या एवं 17 सीएलए एक्ट के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी. जेल में बेहतर आचरण और व्यवहार के कारण झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद ने मनोगा को रिहा किया है. पलामू सेंट्रल जेल से चार कैदियों का प्रस्ताव भेजा गया था जिसमें से मनोगा का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है.- प्रमोद कुमार, जेलर, पलामू सेंट्रल जेल
जेल में रहने के दौरान बेटी को खोया, बिखर गया परिवार
मनोगा गंझू 20 वर्षों तक जेल के अंदर रहा. इस दौरान उसकी बेटी की मौत हो गई. जबकि उसके भाई एवं नाते रिश्तेदार के अच्छे मकान बन गए. मनोगा की पत्नी टूटी फूटी घर में रह रही है. मनोगा गंझू ने बताया कि नक्सलियों ने उसके पिता की हत्या कर दी थी. बाद में वह इस संगठन में शामिल हो गया था. वह एमसीसी में था. उसे नक्सल हमले के अभियुक्त बनाया गया था. उसका परिवार बिखर गया. जेल में जाने के बाद प्रबंधन का काफी सहयोग मिला. मनोगा बताता है कि उसके पास घर नहीं है और न ही अन्य तरह की सुविधा. अब उसे सरकार से उम्मीद है कि उसे पेंशन एवं आवास योजना का लाभ दे.
जिस वक्त पिता की हत्या हुई थी उस दौरान डर का माहौल था और नक्सलियों का दबाव था, लग रहा था कोई नहीं बचेगा, मजबूरी में शामिल हुआ था. आज मेरी मां 100 वर्ष की जिंदा है. अब महात्मा गांधी के विचारों को अपना रहे हैं और सामान्य जीवन जीना चाहते हैं. घर जाकर खेतीबारी करेंगे और बिछड़े दोस्त, यार एवं परिवार से मिलेंगे.- मनोगा गंझू
मनोगा गंझू पर लगा था पोटा, 2017 में हुए थे बरी
पलामू के मनातू थाना क्षेत्र में हुए एक नक्सली हमले के मामले में मनोगा गंझू पर पोटा लगाया गया था. 2017 में मनोगा को पोटा एवं नक्सल हमले के आरोप से मुक्त कर दिया गया था.
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