गुवाहाटी: विधानसभा में बहुचर्चित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का सोमवार को मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आया. सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों ने सोमवार को लगभग 27 लाख लोगों की समस्याओं पर चिंता व्यक्त की, जो एनआरसी के अद्यतनीकरण के मुद्दे से संबंधित जटिलताओं के कारण आधार कार्ड के लिए आवेदन नहीं कर सके या उनका उपयोग नहीं कर सके.
सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अद्यतनीकरण से जुड़ी जटिलताओं के कारण आधार कार्ड के लिए आवेदन करने में परेशानी का सामना कर रहे लगभग 27 लाख लोगों के मुद्दे पर कांग्रेस विधायक कमलाक्ष्य डे पुरकायस्थ द्वारा उठाए गए सवाल का मुख्यमंत्री ने जवाब दिया.
सीएम ने कहा कि असम सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए काम कर रही है. सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने सदन को बताया कि इस मसले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार से मौखिक तौर पर बातचीत की जा रही है. असम सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र भी भेजा है. सरमा ने कहा कि सरकार चाहकर भी कुछ नहीं कर पाई है, क्योंकि आधार कार्ड का मुद्दा अदालत में विचाराधीन है.
सरमा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अद्यतनीकरण से जुड़ी जटिलता के कारण आधार कार्ड के लिए लगभग 27 लाख लोगों के बायोमेट्रिक्स एकत्र करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी 13 नवंबर 2019 को डेटा संरक्षित करने का आदेश दिया था. शीर्ष अदालत ने उन लोगों के काम में तेजी लाने का निर्देश दिया, जिनका नाम आधार कार्ड में शामिल किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जिन लोगों का नामांकन नहीं हो सकता, उनके नाम तब तक आधार कार्ड में शामिल नहीं किए जाने चाहिए, जब तक कि विदेशी न्यायाधिकरण उनके विवादों का समाधान नहीं कर देता. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सारी जानकारी केंद्र सरकार को भेज दी है. मामला अभी भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है.
राज्य में हर साल सामने आ रहे कैंसर के 50 हजार नए मामले
असम में कैंसर रोगियों की संख्या चिंताजनक दर से बढ़ रही है. यह मामला सोमवार को राज्य विधानसभा के चल रहे सत्र में उठा. सोमवार को असम विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधायक जाकिर हुसैन सिकदर और जयंत बसुमतारी ने कैंसर के खतरे के संबंध में कई सवाल उठाकर सदन का ध्यान आकर्षित किया. इस पर स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत ने जवाब दिया कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है.
यह बताते हुए कि असम में हर साल 50,000 नए कैंसर के मामले सामने आते हैं, मंत्री ने कहा कि दरांग, कामरूप और चिरांग जिलों में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले हैं. वहीं, 50,000 नए पहचाने गए मरीजों में से 70 फीसदी मरीज देर से डॉक्टर के पास जाते हैं और बाद में उनका निदान होता है. परिणामस्वरूप देर से पता चलने पर रोगी को पूर्णतः रोगमुक्त होने का अवसर नहीं मिल पाता.