पटना : नीट प्रश्न पत्र लीक मामले ने पूरे देश में भूचाल मचा दिया है. मुख्य विपक्षी दल की ओर से संसद में भी सवाल उठाए जा रहे हैं. केंद्र की सरकार ने पूरे मामले को सीबीआई को सौंप दिया है. अब आगे की कार्रवाई सीबीआई के हाथ में है. बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने तमाम कागजात और प्रमाण सीबीआई को सौंप दिए हैं. इस केस को पुख्ता रूप देने में ईओयू और पुलिस के 5 अफसरों का महत्वपूर्ण योगदान है. जिन्होंने न सिर्फ रैकेट का भांडाफोड़ किया बल्कि कड़ी दर कड़ी गैंग तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की.
नीट पेपर लीक कांड खुलासे के हीरो : मामले का खुलासा बिहार से हुआ था. 5 मई को पटना के एसपी को सूचना दी जाती है कि डस्टर गाड़ी से प्रश्न पत्र लीक करने वाले लोग जा रहे हैं. सूचना पर शास्त्रीनगर थाना प्रभारी अमर कुमार हरकत में आते हैं. उक्त गाड़ी का पीछा करने के बाद किंगपिन इंजीनियर सिकंदर यादवेन्दु को पकड़ लिया जाता है. पूछताछ के बाद जब मामले की गंभीरता समझ में आती है तब आर्थिक अपराध इकाई को इनवॉल्व होती है.
ईओयू ने किया पर्दाफाश : 8 मई को जांच की कार्रवाई बढ़ाने का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई को मिल जाती है. आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैय्यर हसनैन खान हरकत में आते हैं. आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू हो जाती है. केस सीबीआई को हैंडओवर करने तक बिहार की ईओयू पुलिस अब तक 19 आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित कर चुकी है. पूरे कार्यवाही के दौरान बिहार पुलिस के अधिकारियों ने बेहतर नतीजे दिए हैं और जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है.
ईओयू से शिक्षा मंत्रालय ने भी मांगी रिपोर्ट : आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैय्यर हसनैन खान को दिल्ली भी बुलाया गया था. उनकी रिपोर्ट पर ही सीबीआई जांच के लिए केंद्र की सरकार ने सिफारिश किया है. आईए जानते हैं वह पांच कौन-कौन से किरदार हैं जिन्होंने नीट प्रश्न पत्र लीक मामले को उजागर किया और इस मुकाम तक पहुंचाया.
ईओयू एडीजी नैय्यर हसनैन खान : आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैय्यर हसनैन खान तेज तर्रार और ईमानदार ऑफिसर माने जाते हैं. पिछले कुछ साल से नैय्यर हसनैन खान आर्थिक अपराध इकाई की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. नीट प्रश्न पत्र लीक मामले को नैय्यर हसनैन खान ने गंभीरता से लिया. इनकी रिपोर्ट पर ही केंद्र की सरकार ने कार्रवाई की. जांच के लिए सीबीआई से सिफारिश की गई. टीम गठित कर पूरे मामले में तीव्र कार्रवाई करने का श्रेय भी इन्हें जाता है.
ईओयू डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो : आर्थिक अपराध इकाई में डीआईजी के पद पर तैनात मानवजीत सिंह ढिल्लो के हाथ पूरे मामले की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी थी. नीट घोटाला मामले में मानवजीत सिंह ढिल्लो मॉनिटरिंग कर रहे थे. जांच प्रतिवेदन को अंतिम रूप देने का काम इन्होंने किया.
ईओयू एसपी वैभव शर्मा : वैभव शर्मा आर्थिक अपराध इकाई में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं और छापेमारी को कंडक्ट करने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी. पूरे मामले में कब कहां छापेमारी हो इसके लिए एक्शन प्लान इन्होंने तैयार किया. बेहतर प्लानिंग की बदौलत ही झारखंड में छापेमारी की गई जिसमें बिहार पुलिस को सफलता मिली और 6 आरोपी वहां से दबोचे गए.
ईओयू उपाधीक्षक मदन कुमार : आर्थिक अपराध इकाई के उपाधीक्षक मदन कुमार की भूमिका भी पूरे प्रकरण में अहम थी. मदन कुमार के नेतृत्व में आठ सदस्यों की टीम गठित की गई थी. आठ सदस्यीय एसआईटी की टीम ने पूरे मामले का खुलासा किया और पुलिस सॉल्वर गैंग तक पहुंचने में कामयाब हुई.
शास्त्रीनगर थानाध्यक्ष अमर कुमार : सबसे अहम किरदार अमर कुमार थे. अमर कुमार शास्त्री नगर थाना अध्यक्ष हैं और पहली बार इन्होंने पूरे मामले की प्राथमिक दर्ज की थी. सिकंदर को गिरफ्तार करने का श्रेय इन्हीं को जाता है. इनकी तत्परता की वजह से पूरे मामले का खुलासा हो पाया. अमर कुमार की कर्मठता की बदौलत नीट के नटवरलाल अब सलाखों के पीछे हैं. अब केस सीबीआई को सौंपा जा रहा है तो इसी जांच के आधार पर मास्टरमाइंड तक की तलाश की जा रही है.
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