साबरकांठा : गुजरात के साबरकांठा जिले के विजयनगर के दढवाव गांव के दो युवक बड़ी मुश्किल से कुवैत से अपने घर लौट पाए हैं. दोनों ही युवकों को कुवैत की जेल में बंद कर दिया गया था. इस दौरान भारतीय दूतावास की ओर से उनको कोई मदद नहीं मिली. दोनों युवकों ने कुवैत में फंसे भारतीय लोगों को रिहा करने के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है.
ये युवक कुवैत से मस्कट होते हुए दिल्ली पहुंचे. यहां से वे अपने घर वापस आ गए हैं. युवकों ने आरोप लगाया कि 18 दिनों में उन्हें कई यातनाओं से गुजरना पड़ा. उनका कहना था कि हमारे पास 17 साल से वैध पासपोर्ट है, लेकिन पासपोर्ट को जमा कर लिया गया है और आपातकालीन अस्थायी पासपोर्ट देकर हमें वापस भेज दिया गया है. उन्होंने कहा कि कुवैत पुलिस प्रशासन स्थानीय स्तर पर हमें परेशान कर रहा था. इसमें खाने से लेकर दवाइयों तक पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था. साथ ही यह भी बताया गया है कि एमबीसी की मौजूदगी में उन्हें लौटाया गया था. हालांकि अभी भी कुवैती शासन द्वारा बड़ी संख्या में भारतीयों को बंधक बनाकर रखा गया है. युवकों ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सभी लोगों को रिहा करने की मांग की है.
साबरकांठा के विजयनगर के गढवाव गांव के रहने वाले दो युवक कल रात कुवैत से अपने गृहनगर हिम्मतनगर लौटे. दोनों युवक 2017 में वर्क परमिट पर कुवैत गए थे. जिनमे से हिमाशुं पटेल नामक युवक एक ड्राइवर की नौकरी कर रहा था. वह बकरीद की छुट्टियों में कुवैत में अपने रिश्तेदार के घर गया था और शाम करीब 5:30 बजे उनके घर पर पुलिस का दस्ता आया और उनकी सिविल आईडी चेक की गई. वर्क परमिट होने के बावजूद उन्हें और उनके सहयोगियों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया.
थाने में कार्रवाई के बाद उनको दूसरी जगह ले जाया गयां. वहां कुवैती सरकार के सुरक्षाकर्मियों ने भारतीय नागरिकों के साथ मारपीट करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि, कुवैती सरकार ने कुल 365 भारतीय नागरिकों को परेशान किया. बाद में उनके मूल पासपोर्ट छीन लिए गए और उसकी जगह उसका सफेद पासपोर्ट (आपातकालीन पासपोर्ट) बना दिया गया. उसने कहा कि बाद में नागरिकों को जेल में डाल दिया गया. उसने आरोप लगाया कि जेल में उन्हें खाना भी नहीं दिया जाता था. जेल में भी उन्हें बहुत प्रताड़ित किया गया. 18 दिन जेल में रहने के बाद उन्हें सफेद पासपोर्ट दिया गया. फिर वह कुवैत से मस्कट और मस्कट से दिल्ली आए. यहां तक कि दिल्ली एयरपोर्ट पर भी उनके सफेद पासपोर्ट की वजह से उन्हें दो घंटे तक रोके रखा गया और फिर वो अहमदाबाद आए.
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