चेन्नई: तमिलनाडु के इंजीनियरिंग कॉलेजों में फर्जी प्रोफेसरों के काम करने का मामला सामने आया है. इसको लेकर अरप्पोर इयक्कम ने आरोप लगाया है कि अन्ना विश्वविद्यालय के संबद्धता मान्यता केंद्र ने पिछले शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में सैकड़ों अयोग्य कॉलेजों को प्रवेश देकर धोखाधड़ी की है.
इससे पहले कॉलेजों एफिलियशन को लेकर अन्ना विश्वविद्यालय के कुलपति वेलराज न कहा था कि अन्ना विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों में कुल 52 हजार 500 प्रोफेसर होने चाहिए. हम संबद्ध कॉलेजों को मान्यता देते समय प्रोफेसरों के विवरण का विश्लेषण करेंगे. हमने आधार नंबर के आधार पर प्रोफेसरों के विवरण का विश्लेषण किया है.
हालांकि, कॉलेजों ने 500 से ज्यादा प्रोफेसरों ने गलत जानकारी दी है. कॉलेजों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ये प्रोफेसर्स कई कॉलेजों में काम कर रहे हैं. मामला सामने आने के बाद इन कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वेलराज ने कहा कि हमने प्रोफेसरों की जन्मतिथि के आधार पर इस अनियमितता का पता लगाया है. इस पर और भी विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है.
जांच के लिए बनेगी समिति
वेलराज ने कहा, "हम वर्तमान वर्ष में मान्यता प्राप्त कॉलेज में कार्यरत प्रोफेसरों के विवरण का विश्लेषण उनकी जन्मतिथि के आधार पर कर रहे हैं. अधिक विस्तृत जांच के लिए एक समिति गठित की जा रही है." उन्होंने कहा कि तमिलनाडु उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रदीप यादव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अन्ना विश्वविद्यालय के विलय को मंजूरी देने में अनियमितताओं की जांच के लिए एक समिति गठित की जा रही है.
इसमें तकनीकी शिक्षा आयुक्त अब्राहम, अन्ना विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर कुमारवेल, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा संस्थान की निदेशक उषा नटेसन को नियुक्त किया गया है. वे मामले की जांच करेंगे और एक सप्ताह में रिपोर्ट देंगे.
कॉलेजों को नोटिस जारी
अन्ना विश्वविद्यालय के कुलपति वेलराज ने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में 91 कॉलेजों के 600 से अधिक प्रोफेसरों और शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में 124 इंजीनियरिंग कॉलेजों के 800 से अधिक प्रोफेसरों ने अन्ना विश्वविद्यालय की संबद्धता की मंजूरी पाने के लिए फर्जी खाते दिखाए हैं. अन्ना विश्वविद्यालय ने गलत जानकारी देने वाले कॉलेजों को एक सप्ताह के भीतर मान्यता के लिए आवेदन करते समय दी गई जानकारी के आधार पर रिपोर्ट देने का नोटिस जारी किया है.
कॉलेजों में अवैध रूप से पंजीकरण
अन्ना विश्वविद्यालय में की मान्यता के मुद्दे पर पूर्व कुलपति सुरप्पा की रिपोर्ट में कहा गया है कि मेरे कार्यकाल के दौरान, उन कॉलेजों का विवरण सामने आया, जहां मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रोफेसरों ने एक से अधिक कॉलेजों में अवैध रूप से पंजीकरण किया था. तब तत्कालीन निदेशक ने कॉलेजों को मान्यता प्रदान करके इस कुप्रथा को रोकने के लिए कदम उठाए थे.
उसके आधार पर कॉलेजों के आधार नंबर और पैन नंबर को लिंक किया गया और अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा जारी आईडी नंबर को भी लिंक करके अन्ना यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. इस तरह की गड़बड़ी में शामिल एक कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गई. कुछ कॉलेजों में नामांकन 50 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। इस संबंधित मामले में अन्ना यूनिवर्सिटी के आदेश की हाईकोर्ट ने भी पुष्टि की है.
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