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100 करोड़ के आभूषणों से राधाकृष्ण का जन्माष्टमी श्रृंगार, सिंधिया राजवंश के दौर से जारी परंपरा - 100 CR JEWELLERY TO KRISHNA

जन्माष्टमी पर पूरे विश्व में श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने मंदिरों में पहुंच रहे हैं. इसी बीच ग्वालियर के गोपाल जी मंदिर में भगवान के अनोखे श्रृंगार के चर्चे हैं. यहां भगवान का 100 करोड़ रु के गहनों से श्रृंगार किया गया है. ऐसे में ये अद्भुत दर्शन करने भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है.

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100 करोड़ के आभूषणों से राधाकृष्ण का जन्माष्टमी श्रृंगार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 26, 2024, 3:28 PM IST

ग्वालियर : शहर के गोपाल जी मंदिर पर हजारों की संख्या में श्रीकृष्ण भक्त उनकी 1 झलक पाने को इकट्ठा हुए हैं. वैसे तो यह मंदिर करीब 100 साल पुराना है लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां का माहौल मथुरा से कम नज़र नहीं आता. पूर देश में इस मंदिर के चर्चे यहां की अनोखी परंपरा की वजह से हैं. पिछले कई वर्षों से यहां जन्माष्टमी के दिन गोपाल जी का असली गहनों से भव्य शृंगार किया जाता है, जिनकी कीमत 100 करोड़ रु तक बताई जाती है.

मंदिर में जेवरों से श्रृंगार की परंपरा (Etv Bharat)

मंदिर में जेवरों से श्रृंगार की परंपरा

इस मंदिर की परंपरा के अनुसार इस भव्य शृंगार का स्वरूप बहुत ही अलग है. मंदिरों में सोने चांदी के आभूषण तो भगवान पर कई जगह दिखाई देते हैं लेकिन ग्वालियर के गोपालजी मंदिर में साल में एक दिन जन्माष्टमी पर उनका श्रृंगार प्राचीन और बेशकीमती आभूषणों से किया जाता है. कहा जाता है कि इन आभूषणों में मंदिर में चढ़ाए गए और आभूषण भी जुड़ते चले जाते हैं और इनकी कीमत लगातार बढ़ती जाती है. वहीं यहां कुछ ऐसे दुर्लभ रत्न भी हैं, जो विश्व में शायद ही कहीं देखने मिलें.

KRISHNA JANMASHTAMI SPECIAL  Gopal ji temple gwalior
राधा कृष्ण का हर वर्ष होता है गहनों से श्रृंगार (Etv Bharat)

सिंधिया राजवंश ने चढ़ाए थे आभूषण

जन्माष्टमी पर सोमवार को भी भगवान गोपाल जी और माता राधा रानी का वैसा ही भव्य श्रृंगार किया गया. उन्हें हीरा, पन्ना, माणिक और मोती से तैयार प्राचीन आभूषण पहनाकर तैयार किया गया जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षक उनके मुकुट थे जिन पर पन्ना और हीरे रत्न जड़े हुए हैं. ग्वालियर नगर निगम के सभापति मनोज सिंह तोमर ने बताया, '' यह मंदिर लगभग सौ साल पुराना है जिसे आजादी से पहले सिंधिया रियासत के दौरान राजघराने द्वारा बनवाया गया था. और उसी दौरान सिंधिया राजवंश ने भगवान पर यह बेशकीमती आभूषण चढ़ाए थे.''

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दर्शन के लिए उमड़ रही भारी भीड़ (Etv Bharat)

जन्माष्टमी के दिन निकाले जाते हैं बैंक लॉकर से जेवरात

जब भारत में रियासतें खत्म हुईं तो उस दौरान इन बेशकीमती आभूषणों को लॉकर में रखवा दिया गया और 50 सालों तक ये वहीं रहे. साल 2007 में इन आभूषणों को नगर निगम के आधिपत्य में सौंपा गया और उसके बाद पुरानी परंपरा को निभाते हुए हर साल नगर निगम द्वारा जन्माष्टमी के दिन बैंक लॉकर से इन आभूषणों को निकलवाया जाता है और समिति की देख रेख में इनसे भगवान का श्रृंगार किया जाता है. पूरा दिन श्री गोपाल जी और राधा रानी इन आभूषणों से सजे रहते हैं हर रात 12 बजे कमेटी की देख रेख में एक बार बैंक में जमा करा दिया जाता है.

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एक झलक पाने को उतावले श्रद्धालु

भगवान का यह स्वरूप देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इनकी संख्या 1 लाख से अधिक होती है. इस बार भी मंदिर प्रशासन दो लाख श्रद्धालुओं के दर्शन की उम्मीद जता रहा है, जिसके लिए खास सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

ग्वालियर : शहर के गोपाल जी मंदिर पर हजारों की संख्या में श्रीकृष्ण भक्त उनकी 1 झलक पाने को इकट्ठा हुए हैं. वैसे तो यह मंदिर करीब 100 साल पुराना है लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां का माहौल मथुरा से कम नज़र नहीं आता. पूर देश में इस मंदिर के चर्चे यहां की अनोखी परंपरा की वजह से हैं. पिछले कई वर्षों से यहां जन्माष्टमी के दिन गोपाल जी का असली गहनों से भव्य शृंगार किया जाता है, जिनकी कीमत 100 करोड़ रु तक बताई जाती है.

मंदिर में जेवरों से श्रृंगार की परंपरा (Etv Bharat)

मंदिर में जेवरों से श्रृंगार की परंपरा

इस मंदिर की परंपरा के अनुसार इस भव्य शृंगार का स्वरूप बहुत ही अलग है. मंदिरों में सोने चांदी के आभूषण तो भगवान पर कई जगह दिखाई देते हैं लेकिन ग्वालियर के गोपालजी मंदिर में साल में एक दिन जन्माष्टमी पर उनका श्रृंगार प्राचीन और बेशकीमती आभूषणों से किया जाता है. कहा जाता है कि इन आभूषणों में मंदिर में चढ़ाए गए और आभूषण भी जुड़ते चले जाते हैं और इनकी कीमत लगातार बढ़ती जाती है. वहीं यहां कुछ ऐसे दुर्लभ रत्न भी हैं, जो विश्व में शायद ही कहीं देखने मिलें.

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सिंधिया राजवंश ने चढ़ाए थे आभूषण

जन्माष्टमी पर सोमवार को भी भगवान गोपाल जी और माता राधा रानी का वैसा ही भव्य श्रृंगार किया गया. उन्हें हीरा, पन्ना, माणिक और मोती से तैयार प्राचीन आभूषण पहनाकर तैयार किया गया जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षक उनके मुकुट थे जिन पर पन्ना और हीरे रत्न जड़े हुए हैं. ग्वालियर नगर निगम के सभापति मनोज सिंह तोमर ने बताया, '' यह मंदिर लगभग सौ साल पुराना है जिसे आजादी से पहले सिंधिया रियासत के दौरान राजघराने द्वारा बनवाया गया था. और उसी दौरान सिंधिया राजवंश ने भगवान पर यह बेशकीमती आभूषण चढ़ाए थे.''

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दर्शन के लिए उमड़ रही भारी भीड़ (Etv Bharat)

जन्माष्टमी के दिन निकाले जाते हैं बैंक लॉकर से जेवरात

जब भारत में रियासतें खत्म हुईं तो उस दौरान इन बेशकीमती आभूषणों को लॉकर में रखवा दिया गया और 50 सालों तक ये वहीं रहे. साल 2007 में इन आभूषणों को नगर निगम के आधिपत्य में सौंपा गया और उसके बाद पुरानी परंपरा को निभाते हुए हर साल नगर निगम द्वारा जन्माष्टमी के दिन बैंक लॉकर से इन आभूषणों को निकलवाया जाता है और समिति की देख रेख में इनसे भगवान का श्रृंगार किया जाता है. पूरा दिन श्री गोपाल जी और राधा रानी इन आभूषणों से सजे रहते हैं हर रात 12 बजे कमेटी की देख रेख में एक बार बैंक में जमा करा दिया जाता है.

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