सूबे के पर्वतीय क्षेत्रों में बिखरी जोतों को एकीकृत करने के मकसद से सरकार ने चकबंदी एक्ट तो बना दिया, लेकिन 3 साल बाद भी इसे लेकर कोई नियमावली तैयार नहीं हो पाई है. लिहाजा प्रदेश के पर्वतीय किसान चकबंदी को लेकर आज भी ठगा सा महसूस कर रहे हैं. वहीं, किसानों के हितों की बात करने वाली त्रिवेंद्र सरकार राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते चकबंदी नियमावली की दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई है. देखिए Etv Bharat की खास रिपोर्ट...