विश्व गौरैया दिवस: कोटद्वार के दिनेश की मेहनत रंग लाई, चहकने लगी गौरैया
कुछ दशक पहले घर के आंगन में फुदकने वाली गौरैया अब मानवीय गलतियों के कारण अब विलुप्त होने के कगार पर है. इसका मुख्य कारण प्रदूषण और नई कॉलोनियों, कटते पेड़ों और फसलों में कीटनाशकों के छिड़काव है.ऐसे में कोटद्वार के नंदपुर गांव के रहने वाले शिक्षक दिनेश कुकरेती अध्यापन कार्य के साथ-साथ गौरेया के संरक्षण का भी काम करते हैं. दिनेश कुकरेती पिछले 15 साल से गौरेया के संरक्षण का काम कर रहे हैं. गौरैया के लिए दिनेश घोंसला खुद ही बनाते हैं. अभी तक विभिन्न राज्यों में 1600 घोंसला और क्षेत्र में करीब 500 घोंसला लगा चुके हैं.