सामाजिक कार्यकर्ता अनु पंत ने मानव वन्यजीव संघर्ष पर उठाए सवाल. उत्तरकाशी/पौड़ीः चिन्यालीसौड़ के दिवारीखौल गांव में बकरी ढूंढने गए ग्रामीण पर गुलदार ने हमला कर दिया. गनीमत रही कि आस पास अन्य लोग मौजूद थे. उनके शोर मचाने पर गुलदार उसे छोड़कर भाग गया. गुलदार के हमले में ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गया. जिसे उपचार के लिए सीएचसी चिन्यालीसौड़ पहुंचाया गया, जहां पर उपचार के बाद उसे छुट्टी दे दी गई. उधर, पौड़ी में सामाजिक कार्यकर्ता अनु पंत ने पीसीसीएफ से गुलदार के हमले में जान गंवाने वाले लोगों की जिम्मेदारी लेने को कहा है.
जानकारी के मुताबिक, गड़थ दिवारीखौल गांव निवासी बलवीर सिंह (उम्र 40 वर्ष) बनाड़ी नामे तोक में अपनी बकरियों को ढूंढने गया था. उसकी बकरी शनिवार को जंगल में खो गई थी. बलवीर सिंह रविवार सुबह से ही जंगल में अपनी बकरियां ढूंढ रहा था. जैसे ही वो रविवार शाम के समय बनाड़ी नामे तोक में पहुंचा तो वहां पर घात लगाए गुलदार ने उस पर हमला कर दिया. बलवीर सिंह ने हिम्मत दिखाते हुए शोर मचाया तो आस पास मौजूद लोगों ने पहुंच गए. उनके शोर मचाने गुलदार भाग गया.
वहीं, गुलदार ने बलवीर सिंह के गर्दन और छाती पर गहरे घाव कर दिए. ग्रामीणों ने बलवीर सिंह को उपचार के लिए सीएचसी चिन्यालीसौड़ पहुंचाया. जहां पर प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अवकाश दे दिया गया. बता दें कि दिवारीखौल में बीते डेढ़ हफ्ते में गुलदार के हमले की यह दूसरी घटना है. रेंज अधिकारी नागेंद्र सिंह रावत ने बताया कि गुलदार के हमले की सूचना मिल चुकी है. जिसके बाद गश्त बढ़ा दी गई है.
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गुलदार के हमलों में मारे गए लोगों की जिम्मेदारी लें पीसीसीएफःपहाड़ी राज्य उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर सामाजिक कार्यकर्ता अनु पंत ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि वन महकमा उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में रह रहे लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है. उन्होंने कहा कि वन अधिनियम की आड़ लेकर महकमा मासूम लोगों को तात्कालिक सुरक्षा मुहैया ही नहीं करवा पा रहा है. वन महकमे की इन गलत नीतियों के खिलाफ लोगों को अब मुखर होना पड़ेगा.
सामाजिक कार्यकर्ता अनु पंत ने कहा कि वन विभाग के उच्च अधिकारियों की ओर से वन अधिनियम की आड़ में पहाड़ के मासूम लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है. आरोप लगाया कि वन विभाग के पीसीसीएफ लगातार पहाड़ियों की जीवन को जोखिम में डालने का खेल खेल रहे हैं. जिस तरह से उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में आए दिन बाघ और गुलदार के हमले में मासूम लोगों की जानें जा रही हैं, वो दुर्भाग्यपूर्ण है.
जब ग्रामीण इन हमलावर जानवरों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने को कहते हैं तो पीसीसीएफ के आदेश पर 4 से 5 दिन बाद घटनास्थल पर पिंजरा लगाया जाता है. नवंबर 2022 में उन्होंने हाईकोर्ट में मानव वन्यजीव संघर्ष को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसके बाद कोर्ट ने विभाग को एक्सपर्ट कमेटी बनाने आदेश जारी किए थे. कोर्ट के आदेश पर वन विभाग ने एक्सपर्ट कमेटी तो बनाई, लेकिन इस कमेटी में एक भी एक्सपर्ट नहीं हैं.
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उन्होंने कहा कि पीसीसीएफ की ओर से कमेटी में जान बूझकर एक्सपर्ट नहीं रखे जा रहे हैं. जिस पर आक्रोशित सामाजिक कार्यकर्ता अनु पंत ने गुलदार के हमलों में मारे गए लोगों की मौत के लिए पीसीसीएफ की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके कार्यकाल की जांच करने की मांग उठाई है. साथ ही गुलदार के हमले में डीएफओ और रेंजर को पिंजरा लगाने के अधिकार देने की मांग की है. उन्होंने चेतावनी दी है कि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो प्रदेश में वन महकमे के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जाएगा.