उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

उत्तरकाशी माघ मेले के चौथे दिन हाथी के स्वांग पर बैठे कंडार देवता, रासौं नृत्य ने खींचा ध्यान - Magh Mela Uttarkashi

Uttarkashi Magh Mela उत्तरकाशी माघ मेले का आज चौथा दिन है. आज हाथी के स्वांग (लकड़ी का हाथी) के ऊपर सवार बाड़ाहाट क्षेत्र के आराध्य कंडार देवता की भव्य रथ यात्रा निकाली गई. इसी बीच रासौं नृत्य ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा पढ़ें पूरी खबर..

उत्तरकाशी माघ मेले
उत्तरकाशी माघ मेले

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 16, 2024, 5:34 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में माघ मेला (बाड़ाहाट थौलू) के चौथे दिन लोक संस्कृति और आस्था का अनूठा संगम दिखाई दिया. हाथी के स्वांग (लकड़ी का हाथी) के ऊपर सवार बाड़ाहाट क्षेत्र के आराध्य कंडार देवता की भव्य रथ यात्रा निकाली गई. पारंपरिक वेशभूषा में आई बाड़ाहाट की महिलाओं ने ढोल की थाप पर रासौं नृत्य किया जो कि आकर्षण का केंद्र रहा. जगह-जगह यात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया. इसके अलावा कंडार देवता की भोग मूर्ति की शोभा यात्रा भी निकाली गई.

महिलाओं और पुरूषों ने किया रासौं और तांदी नृत्य:शोभायात्रा बाड़ाहाट स्थित कंडार देवता मंदिर से शुरू हुई, जो भैरवचौक, विश्वनाथचौक, रामलीला मैदान और मेन बाजार होते हुए मणिकर्णिकाघाट पहुंची. यहां कंडार देवता की विशेष पूजा-अर्चना की गई. जिसके बाद बस अड्डा, सब्जी मंडी और भटवाड़ी रोड़ होते हुए चमाला की चौरी पहुंची, जहां परंपरागत परिधानों में पहुंचे बाड़ाहाट, पाटा, संग्राली, बग्यालगांव, गंगोरी, लक्षेश्वर, बसुंगा और अन्य क्षेत्रों की ग्रामीण महिलाओं और पुरूषों ने हाथी के स्वांग के साथ रासौं और तांदी नृत्य की प्रस्तुति दी. इस दौरान शोभायात्रा माघ मेले मंच पर भी पहुंची, जहां जिला पंचायत सदस्य सरिता चौहान ने स्वागत कर कंडार देवता की पूजा अर्चना की. यात्रा का नगरवासियों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया.
ये भी पढ़ें:उत्तरकाशी में शुरू हुआ बाड़ाहाट थौलू, देवी डोलियों की रही धूम, उमड़ा जनसैलाब

क्या है हाथी का स्वागत:पंडित दिवाकर नैथानी ने बताया कि कंडार देवता को श्री क्षेत्र बाड़ाहाट का आराध्य देवता माना जाता है. कंडार देवता की भोग मूर्ति के विग्रह रूप को पौराणिकाल से ही हाथी के स्वांग पर सवार कर प्रसन्न किया जाता है, लेकिन आधुनिकता के चलते यह पिछले चालीस सालों से यह परंपरा लुप्त होने लगी थी. उन्होंने कहा कि बाड़ाहाट थौलू की परंपरा को बचाने के लिए पिछले 11 सालों से क्षेत्र के ग्रामीण जन सहयोग से इसे पुनर्जीवित करने में जुटे हैं.
ये भी पढ़ें:बागेश्वर में उत्तरायणी मेले का शुभारंभ, सिल्क्यारा टनल हादसे की शोभायात्रा ने खींचा ध्यान

ABOUT THE AUTHOR

...view details