पुरोला: पहाड़ दिखने में जितने खूबसूरत होते हैं, उतना ही मुश्किल होती है इनकी डगर. जी हां हम बात कर रहे हैं पहाड़ी पैदल रास्तों की, जहां करोड़ों खर्च होने के बाद भी रास्ते चलने लायक नहीं हैं. इन पैदल रास्तों में अपनी मंजिल तक सुरक्षित पहुंचना बहुत मुश्किल होता है. देखिए ट्रेक ऑफ द ईयर 2019 के नाम से मशहूर देव क्यारा बुग्याल से एक खास रिपोर्ट.....
यूं तो राज्य सरकार ने देव क्यारा बुग्याल को ट्रेक ऑफ द ईयर के रूप से नवाजा है. लेकिन यहां पहुंचने के लिए पर्यटकों और स्थानीय लोगों को काफी जोखिम उठाना पड़ता है. ऐसे में इन्हें जान हथेली पर रखकर काफी लंबी दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है. गोविंद पशु विहार क्षेत्र के अधिकांश गांवों के पैदल रास्तों के यही हाल है. ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार ने इन क्षेत्रों में बजट की कोई कमी रखी हो, जखोल से देव क्यारा बुग्याल 27 किमी मार्ग बनाने के लिए साल 2015 से अब तक लगभग पौने दो करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं.
वहीं, विभागीय भ्रष्टाचार और बेलगाम नौकरशाही के चलते इन इलाकों की स्थिति जस की तक बनी हुई है. ऐसे में इन्हीं खतरनाक रास्तों से स्थानीय लोगों को अपने मवेशियों के चारे के अलावा अन्य जरूरतों के लिए होकर गुजरना पड़ता है. इसके साथ ही बरसात के सीजन में क्षेत्र की नदियां और गाड़-गदेरे उफान पर रहते हैं. वहीं, गर्मियों में ग्लेशियर पिघलने पर एकाएक इन नदियों का जल स्तर भी बढ़ जाता है. ऐसे में इन खतरनाक रास्तों पर पिछले एक दशक में करीब 1 दर्जन से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.